- हैदाराबाद मेट्रो के तकनीकों की जानकारी करेंगे अफसर

- 115 करोड़ की लागत से मेट्रो बनाएगी पीएसी के अपार्टमेंट

LUCKNOW: मेट्रो कॉरपोरेशन पीएसी जवानों के लिए सरकारी आवास बनाएगा। पीएसी की जमीन एमएलआरसी मेट्रो डिपो बनाया जाना है। इस जमीन के बदले मेट्रो ने पीएसी के अपार्टमेंट बनाने का जिम्मा लिया था। पीएनबी की मंजूरी मिलने के बाद अब मेट्रो के काम में तेजी लाने के लिए एमएलआरसी के अफसरों को हैदराबाद भेजा जाएगा। ताकि वहां के मेट्रो की तकनीक को देखकर उसे अपनाया जा सके।

हैदराबाद मेट्रो होगा आइडियल

लखनऊ मेट्रो अन्य दूसरी मेट्रो से सबसे अलग होगी। इसके लिए लखनऊ मेट्रो के अधिकारी हैदराबाद जाएंगे। दरअसल, हैदराबाद में मेट्रो का कार्य पीपीपी मॉडल के तहत एलएंडटी कर रही है। ऐसे में एक कंपनी के अनुभवों को समझने के लिए एलएमआरसी के अफसर हैदराबाद जाएंगे। तकनीकी में कुछ नया और आधुनिक होने पर उसे यहां भी अपनाया जा सकता है.एलएमआरसी के एमडी कुमार केशव ने बताया कि पीआईबी से मंजूरी मिलने के बाद प्रोजेक्ट की सारी बाधाएं दूर हो चुकी है। ऐसे में महत्वपूर्ण है कि लखनऊ मेट्रो को किस प्रकार से सबसे अलग और आधुनिक बनाया जाए। यह फिर मेट्रो रेल कोच को लेकर हो, या फिर मेट्रो स्टेशन अथवा फीडर सर्विस को लेकर। बताया कि गुडगांव, दिल्ली, बैंगलोर मेट्रो में लगभग समानताएं हैं लेकिन हैदराबाद मेट्रो इनसे कुछ अलग है। हैदराबाद मेट्रो करीब 70 किलोमीटर में हैं। इसे पीपीपी मॉडल के आधार पर बनाया जा रहा है। एलएंडटी के इस अनुभव को समझने के लिए हम वहां जाएंगे। डीपीआर के साथ ही निर्माण और खर्च भी एलएंडटी ही कर रही है। ऐसे में हैदराबाद मेट्रो में क्या कुछ नया किया गया है। इसका अध्ययन किया जाएगा। अगर यहां कुछ नया होगा और यात्रियों के लिहाज से सुविधाजनक होता है तो हम उसे अपने यहां पर भी लागू करेगें।

115 करोड़ की लागत से बनाएगा अपार्टमेंट

कानपुर रोड पर पीएसी के लिए मेट्रो बहुमंजिला भवन बना कर देगा। यहां मेट्रो का डिपो बनाने के लिए पीएसी कैंप की जमीन इसी शर्त पर ली गई है। एमडी ने बताया कि उस जमीन के बदले हम पीएसी को अपार्टमेंट बनाकर देगें। इन अपार्टमेंट को बनाने पर करीब 115करोड़ की लागत आएगी। डिपो निर्माण के लिए 85 एकड़ में फैले पीएसी भूमि में से 46.05 एकड़ भूमि पर भौतिक कब्जा मिल चुका है। एलएमआरसी के एमडी कुमार केशव और डीजी पीएसी के बीच इस प्रक्रिया पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। पहले चरण में प्रशासनिक भवन का आधा हिस्सा, शिविर कार्यालय, मेस व वाटर यार्ड प्रभावित हुआ है। यहां मेट्रो का ट्रैक निर्मित किया जा रहा है।