लोगो (मुद्दे संग छात्रसंघ)

-महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्टूडेंट्स जाएं किधर, गंदगी से पटे पड़े हैं वाशरूम

-समाज संकाय में यूरिनल पॉट डैमेज, अधिकतर में पानी का अकाल

स्वच्छता अभियान को गति देने के साथ ही छात्र-छात्राओं की सुविधाओं का दावा करने वाली महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में कुछ भी ठीक नहीं है। साफ पेयजल की क्राइसिस के साथ ही टॉयलेट भी साफ-सुथरे नहीं हैं। कहीं-कहीं फैकल्टी में तो वाशरूम भी टूटे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स को काफी परेशानियां फेस करनी पड़ रही हैं। छात्रसंघ चुनाव की तैयारियों में जुटे स्टूडेंट्स इसे मुद्दा बनाकर विद्यापीठ प्रशासन को घेरने की प्लैनिंग भी कर रहे हैं। मंगलवार को डीजे-आई नेक्स्ट की रिएलिटी चेक में यूनिवर्सिटी के अंदर तमाम परेशानियां नजर आयीं।

समाज संकाय में टूटे हैं यूरिनल पॉट

समाज संकाय के सेकेंड फ्लोर पर वाशरूम गंदगी से पटे हुए है। यूरिनल पॉट टूट कर नीचे गिरे रहे। वाशरूम में गंदगी देख स्टूडेंट्स यूज नहीं करना चाहते हैं। असुविधाओं पर कई बार एचओडी से कम्प्लेन भी किए मगर आश्वासन के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ। लिहाजा अब आंदोलन के मूड में है।

मानविकी में खराब कंडीशन

सबसे अधिक स्टूडेंट्स से पटे रहने वाले मानविकी संकाय के वाशरूम भी साफ-सुथरे नहीं है। नीचे निर्माण कार्य की वजह से वाशरूम बंद है। फ‌र्स्ट फ्लोर के वाशरूम ठीक मिले लेकिन यहां पानी की किल्लत दिखी। मानविकी संकाय में सार्वजनिक टायलेट की मांग स्टूडेंट्स लंबे समय से करते आ रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

फैकल्टीज भी कुछ ठीक नहीं

बीकॉम, बीएससी, गांधी अध्ययन, सोशल वर्क और ललित कला विभाग आदि में भी वॉशरूम की कंडीशन ठीक नहीं है। साफ-सफाई का अभाव होने के साथ ही नियमित पानी की सप्लाई भी बाधित रहती है। इसे लेकर यूनिवर्सिटी के स्टाफ भी कई बार कम्प्लेन दर्ज करा चुके है।

छात्रसंघ चुनाव के मुद्दे में यह शामिल है। वाकई में टायलेट की स्थिति बहुत बद्तर है। शिकायत के बावजूद भी साफ-सफाई नहीं होती।

विकास पटेल, स्टूडेंट

साफ-सफाई की कमी के साथ ही वॉशरूम में कभी-कभी पानी का अकाल पड़ जाता है। कैंपस में यह प्राब्लम स्टूडेंट्स के लिए बहुत बड़ी है।

आशुतोष राय, स्टूडेंट

काउंसलिंग के दौरान कैंपस में स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को भी प्राब्लम फेस करना पड़ता है। सार्वजनिक टायलेट तो कैंपस में होना ही चाहिए।

धनंजय राय, एक्स। स्टूडेंट

वॉशरूम में गंदगी बहुत होती है, स्टूडेंट्स इसकी कम्प्लेन भी कई बार संबंधित फैकल्टी में कर चुके है। लेकिन अभी तक कोई खास बदलाव नहीं देखने को मिला।

सूर्यपाल सिंह, स्टूडेंट