हर मां-बाप चाहता है कि उसका लाडला डॉक्टर या इंजीनियर बने। कई पेरेंट्स तो सालों साल तक बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराते हैं। मगर, अंत में परिणाम यह होता है कि सफलता हर किसी को नसीब नहीं होती। स्टूडेंट्स को एक बार एग्रीकल्चर की पढ़ाई की ओर भी रूख जरूर करना चाहिए। क्योंकि बीएससी एजी या एमएससी, पीएचडी रिसर्च के दौरान एग्रीकल्चर में संघर्ष कम है। रोजगार के भी अन्य क्षेत्रों से ज्यादा अवसर हैं। पढ़ाई के दौरान ही स्टूडेंट्स 25 हजार से 50 हजार मंथली इनकम कर रहे हैं। एग्रीकल्चर की पढ़ाई में बहुत स्कोप है बशर्ते, इस बात को स्टूडेंट्स सहित उनके पेरेंट्स को समझने की जरूरत है। अब इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए बीएचयू में 72 हजार स्टूडेंट्स ने आवेदन किया था। जबकि यूपी कॉलेज में डेढ़ सौ सीट के लिए चार हजार स्टूडेंट्स ने फॉर्म अप्लाई किया था, जो कि पूरे सूबे में सबसे अधिक है।

अदर कोर्सेज की अपेक्षा फीस भी कम

ऐसा भी नहीं है कि मेडिकल, इंजीनियरिंग या फिर अन्य कोई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कोचिंग की अपेक्षा एग्रीकल्चर की फीस अधिक हो। मान कर चलिए कि एग्रीकल्चर की साल भर की फीस महज आठ से दस हजार रुपये होती है। यदि सेल्फ फाइनेंस कॉलेज है तो 25 से 30 हजार रुपये में साल भर की पढ़ाई पूरी हो जाएगी। पूरे साल की फीस अदर कोर्सेज की अपेक्षा बहुत कम है। अब तो कई इंस्टीट्यूट-कॉलेजेज भी अपने यहां एग्रीकल्चर का कोर्स शुरू कर दिए हैं।

बीएचयू में पौने दो सौ सीट

बीएचयू में एग्रीकल्चर कोर्स की डिमांड सबसे अधिक है। यहां से बीएससी एजी करने के लिए स्टूडेंट्स में गजब की होड़ रहती है। बनारस ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से छात्र-छात्राएं यहां एडमिशन लेकर एग्रीकल्चर की पढ़ाई करते हैं। यहां के लैब बेहतरीन है कि प्रैक्टिकल करके स्टूडेंट्स आज के समय में देश-विदेश में सफलता का परचम लहरा रहे हैं। एंट्रेंस का मौका तो अभी हाथ से निकल गया है लेकिन फरवरी 2019 में एक बार फिर एंट्रेंस एग्जाम का फॉर्म निकलेगा। एग्रीकल्चर की 123 सीट के अलावा बरकछा कैंपस सहित इम्प्लाइज कोटा मिलकर सीट की संख्या लगभग दो सौ पहुंच जाती है।

यूपी कॉलेज में डेढ़ सौ सीट

एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए उदय प्रताप कॉलेज को बेस्ट माना जाता है। कारण कि यहां का लैब काफी आकर्षक और स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी है। बीएससी एग्रीकल्चर में कुल डेढ़ सौ सीट है। सेमेस्टर वाइज क्लास चलने के कारण यहां थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों साथ-साथ होते हैं। यूपी कॉलेज से एग्रीकल्चर करने के लिए बेताबी का हाल इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार हजार आवेदन इस सेशन में आए थे।

यहां चल रहे कोर्स

एग्रीकल्चर की पढ़ाई बीएचयू, यूपी कॉलेज के अलावा टीडी कॉलेज जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, जक्खिनी, मिर्जापुर में सेल्फ फायनेंस के अभी तीन नए कॉलेज खुले हैं। जहां एग्रीकल्चर की पढ़ाई हो रही। वहीं सब्जी, फल, दूध, अनाज की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग ने एग्रीकल्चर की दशा और दिशा दोनों बदल कर रख दी है।

कृषि का क्षेत्र अब बहुत व्यापक हो गया है। अब इसे बिजनेस के रूप में देखा जा रहा। प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और एक्सपोर्ट की संभावनाएं अपार हो गई है। सिर्फ मिल्क एक्सपोर्ट की बात करें तो म्यांमार से लेकर सऊदी अरब देशों में भारत नंबर वन है। एग्रीकल्चर की पढ़ाई को लेकर इधर बीच स्टूडेंट्स का रूझान तेजी से बढ़ा है।

डॉ। मनीष कुमार सिंह, डीन

एग्रीकल्चर फैकल्टी यूपी कॉलेज

एग्रीकल्चर में जॉब की अपार संभावनाएं है। प्रोसेसिंग, पैकेजिंग सहित न्यू आइडिया ने एग्रीकल्चर की धारा ही चेंज कर दी है। बस कमी है अवेयरनेस की। हर मां-बाप अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर ही बनाना चाह रहा है। जबकि कम खर्च में एग्रीकल्चर की पढ़ाई हो रही और लास्ट सेमेस्टर पहुंचते तक स्टूडेंट्स को बेहतर जॉब भी मिल जा रहा है।

प्रो। डीसी राय, एग्रीकल्चर डेयरी साइंस व कोऑर्डिनेटर

डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नालॉजी इंस्पायर प्रोग्राम बीएचयू

माइक्रोटेक से करें बीएससी एजी

सिटी के प्रतिष्ठित मैनेंजमेंट कॉलेजेज में शुमार माइक्रोटेक कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट में अब बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई होगी। यूजीसी रिकग्नाइज्ड एग्रीकल्चर कोर्स शुरू हो गया है। सिटी में मलदहिया और संकटमोचन कैंपस में एग्रीकल्चर कोर्स के लिए एडमिशन प्रोसेस भी शुरू हो चुका है। कुल 60 सीट बीएससी एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में है। एप्टीट्यूट टेस्ट के बाद डायरेक्ट एडमिशन दिया जा रहा है। खास बात कि मलदहिया स्थित कैंपस के छत पर ही एग्रीकल्चर का लैब बनाया गया है। लैब के लिए भोपाल के साइंटिस्ट को हायर किया गया है। इसके अलावा माइक्राटेक कॉलेज से स्टूडेंट्स पीएमकेवीवाई के तहत सर्टिफिकेट कोर्स और बीकॉम के साथ-साथ टैली ईआरपी कोर्स भी कर सकते हैं।

स्टूडेंट्स की डिमांड पर बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स की शुरूआत की गई है, जो कि यूजीसी रिकग्नाइज्ड है। स्टूडेंट्स डायरेक्ट एडमिशन लेकर एग्रीकल्चर कोर्स कर सकते हैं। यही नहीं, स्टूडेंट्स को न्यू टेक्नालॉजी से पढ़ाने के लिए वेल क्वालिफाइड फैकल्टी सहित भोपाल के साइंटिस्ट को हायर किया गया है।

पंकज राजहंस, अधिशासी निदेशक

माइक्रोटेक कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट