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JAMSHEDPUR: सीबीएसई, आईएससी और झारखंड बोर्ड का रिजल्ट निकल गया है। शहर में क्वालिटी एजुकेशन नहीं होने की वजह से स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए दूसरे शहरों का रूख कर रहे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि शहर के मैक्सिमम कॉलेजों में न तो पढ़ाई का अच्छा माहौल है और न ही अच्छी लाईब्रेरी की सुविधा। किसी कॉलेज में टीचर की कमी है, तो कहीं स्टूडेंट्स ही गायब रहते हैं। इस वजह से क्लासेज नहीं हो पाती है। शहर के अधिकांश कॉलेजों में ना तो कॉलेज फेस्ट ऑर्गनाइज होता है और न ही स्पो‌र्ट्स एक्टिविटीज कराई जाती है। कॅरियर काउंसलर चंद्रेश्वर खां ने बताया कि शहर के 70-75 फीसद बच्चे हर साल हायर एजुकेशन के लिए बाहर का रूख करते हैं।

ढंग के कॉलेज नहीं

शहर स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलुरु, लखनऊ जाते हैं। सबसे ज्यादा माइग्रेट सीबीएसई तथा आईसीएसई के स्टूडेंट्स करते हैं। इसके साथ ही स्टेट बोर्ड के भी बच्चे बाहर के शहरों में ही पढ़ाई करना पसंद करते हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि सिटी में स्कूल की पढ़ाई बहुत अच्छी है, लेकिन ढंग के कॉलेजों की कमी है।

टीचर्स की कमी, नेतागिरी ज्यादा

शहर कॉलेज में टीचर्स की काफी कमी है। इससे पढ़ाई का माहौल दुरुस्त नहीं हो पा रहा है। शहर के सबसे बड़े कॉलेज जिसका कैंपस जो 36 एकड़ फैला हुआ है, इसमें ना ही कैंटीन व्यवस्था है ना तो इंडोर आउटडोर गेम्स की व्यवस्था है। वर्कस तथा ग्रेजुएट कॉलेज के कैंपस काफी छोटे हैं। वीमेंस कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत काम हुआ है, लेकिन वहां भी बहुत सारी चीजों की कमी है। हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि शहर के कॉलेजों में नेतागिरी नेतागिरी नेतागिरि भी काफी होती है। आंदोलन इत्यादि के कारण कॉलेज कई दिनों तक बंद रहते हैं। इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई बाधित होती है। कोल्हान यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में फेस्ट ना के बराबर होता है। स्पो‌र्ट्स एक्टिविटीज के लिए स्टूडेंट्स से एनुअल फीस ली जाती है, लेकिन शहर के एक-दो कॉलेजों को छोड़कर किसी में फेस्ट नहीं होता है।

बंद करवाते हैं कॉलेज

शहर के कॉलेजों में सिटी के आसपास के इलाकों से काफी संख्या में स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं। इनमें चाईबासा, घाटशिला, बहरागोड़ा, चाकुलिया, चांडिल, आदित्यपुर, सरायकेला, पोटका, पटमदा, आसनबनी के बच्चे शामिल हैं। टीचर्स ने बताया कि कॉलेज में डेवलपमेंट का काम सही ढंग से नहीं चलता है, शहर के कॉलेज में नेतागिरी भी ज्यादा होती है। हर दूसरे या तीसरे दिन स्टूडेंट्स लीडर कॉलेज बंद करवा देते हैं। कॉलेज में स्टूडेंट्स लीडर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात नहीं रखते हैं।

शहर के कॉलेज में क्वालिटी एजुकेशन की कमी है। इसी वजह से मैक्सिमम स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए बाहर का रूख करते हैं। कॉलेजों में टीचर्स की कमी है। इससे पढ़ाई सही ढंग से नहीं नहीं हो पाती है। अगर सभी कॉलेजों में पर्याप्त टीचर्स की व्यवस्था हो गई तो स्टूडेंट्स को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी और सभी स्टूडेंट्स को शहर में क्वालिटी एजुकेशन मिलेगा।

एनआर चक्रवर्ती, प्रिंसिपल, को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर

12वीं के बाद मैं खुद सभी बच्चों को बाहर जाने के सलाह देती हूं, क्योंकि यहां के कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन नहीं है। यहां के कॉलेजों में बच्चों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। कॉलेजों बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं।

-आशु तिवारी, प्रिंसिपल, एमएनपीएस

आज कल सारे बच्चों को कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन के साथ सारी चीजें जैसे खेलकूद एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी शामिल होनी चाहिए। शहर के कॉलेजों में ऐसी व्यवस्था नहीं है। दूसरे शहरों में अच्छे कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी हैं। इस वजह से हर साल शहर से 70-75 परसेंट स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाते हैं।

-चंद्रेश्वर खां, कॅरियर काउंसलर