गर्मी में पेट्रोल हो रहा वेपराइज
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स के मुताबिक अत्यधिक गर्मी की वजह से एक घंटे में प्रति लीटर करीब 10 से 15 मिली तक पेट्रोल वैपराइजेशन की वजह से उड़ जाता है। पेट्रोल उडऩे से लोग परेशान हो जाते हैं कि आखिर पेट्रोल कहां चला गया। यही नहीं, अगर इस पूरे आंकड़े को एक साथ देखें तो चौंकाने वाले फैक्ट सामने आते हैं। शहर में करीब 1,00,000 वाहन खुली धूप में खड़े किए जाते है। एक वाहन से एक घंटे में 15 मिली पेट्रोल वेपर में चेंज हो जाता है। इस हिसाब से प्रति गाड़ी आठ घंटे में 120 मिलीलीटर पेट्रोल सूर्य देवता पी जाते है। एक महीने में करीब 3,60,000 लीटर और एक दिन में 12 हजार लीटर पेट्रोल इस गर्मी की भेंट चढ़ रहा है। 75 रुपये लीटर के हिसाब से 9 लाख रुपये का पेट्रोल सूर्य देव के पेट में पहुंच रहा है।

95 प्रतिशत से ज्यादा
मकरॉबर्टगंज स्थित एक व्हीकल शोरूम के मैनेजर सुमन कपूर ने बताया कि इस मौसम में सर्विस के लिए आने वाली गाडिय़ों में करीब 95 परसेंट का माइलेज कम हो जाने की शिकायत सामने आई है। उनके मुताबिक इसका मुख्य कारण अत्यधिक गर्मी का पडऩा है। उन्होनें बताया कि बाइक या फोर व्हीलर खुले आसमान में करीब 40 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में खड़ी रहती हैं। इससे पेट्रोल का वैपराइजेशन होता रहता है। इस प्रकार से एक घंटे में करीब 15 मिली पेट्रोल वेपर फॉर्म में आ जाता है। फिर टंकी के खोलने पर यह पेट्रोल कब उड़ जाता है, पता ही नहीं चलता।

माइलेज पर पड़ता है असर
यदि गाड़ी धूप में खुली पार्किंग में सामान्य तौर पर ऑफिस टाइम यानि आठ घंटे भी खड़ा रहे तो प्रतिघंटे 15 एमएल के हिसाब से 120 एमएल पेट्रोल उड़ जाता है। सामान्य स्थितियों में 55 किलोमीटर प्रतिलीटर का माइलेज देने वाली बाइक ऐसी स्थिति में 6.6 किलोमीटर कम यानि करीब 48 किलोमीटर ही चलेगी।

तो यह है रीजन
न केवल टू व्हीलर बल्कि फोर व्हीलर और अन्य हैवी व्हीकल्स भी गर्मियों में कम माइलेज देते है। दरअसल हर व्हीकल के फ्यूल टैंक में एयर पासिंग के लिए एक गैप होता है। जिस पर सीधी धूप पडऩे से वाष्पीकरण तेजी से होता है। डीजल से भी चलने वाले वाहनों में भी ये प्रक्रिया होती है।

इंजन को भी खतरा
दरअसल अधिकांश टू व्हीलर्स में एयरकूल्ड इंजन ही होते हैं। लेकिन, गर्मियों में टेम्परेचर ज्यादा होने के चलते इंजन अपेक्षाकृत ज्यादा गर्म हो जाता है। जिससे इंजन के अंदर लगे वॉल्व, पिस्टन, सिलिंडर, टाइमिंग चेन व अन्य महत्वपूर्ण पाट्र्स के घिसने और खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।

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ऐसे होता है माइलेज कम
-टंकी में निर्वात न बने इसलिए एयर पास होने के लिए ढक्कन में थोड़ा गैप छोड़ा जाता है
-कॉरब्यूरेटर तक पेट्रोल सही से पहुंचने में यह गैप टैंक में हवा जाने देता है
-गर्मियों में कड़ी धूप में इसी गैप के चलते वेपराइजेशन की प्रक्रिया तेज हो जाती है
-इसके अलावा, पेट्रोल पंप पर भराते टाइम ही कुछ मात्रा में तेल वेपर में बदलकर उड़ जाता है

ऐसे बढ़ा सकते हैं माइलेज

-हमेशा वाहनों के टायर में एयर का प्रेशर सही रखें और समय-समय पर चेक कराते रहे
-गाड़ी में इंजन ऑयल की जांच करते रहें
-सेल्फ स्टार्ट बाइक होने के बावजूद दिन में पहली बार इस्तेमाल करते वक्त किक से स्टार्ट करे
-एक्सपट्र्स का मानना है कि टैंक फुल होने से पेट्रोल का वैपराइजेशन काफी कम हो जाता है। यानि, टैंक फुल कराना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है।

Experts speak
पेट्रोल का बॉयलिंग प्वाइंट कम होता है, जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में पेट्रोल जल्द ही बॉयलिंग प्वॉइंट पर पहुंच जाता है और अपने वेपर फॉर्म में आ जाता है। यानि, पेट्रोल की कुछ मात्रा वाष्प बनकर उड़ जाती है।
-प्रवीन केएस यादव, असिसटेंट प्रोफेसर, ऑयल डिपार्टमेंट, एचबीटीआई

सर्दियों की अपेक्षा गर्मियों में स्टॉक लॉस ज्यादा होने लगता है। ओवर हेड टैैंक में धूप में पेट्रोल भरा जाता है। इस पेट्रोल को अंडर ग्राउंड टैंक में डाला जाता है, तो नीचे आकर पेट्रोल ठंडा हो जाता है। इस दौरान पेट्रोल वेपर हो जाता है। मौजूदा समय में यूरो फोर पेट्रोल आ रहा है, जिसमें वेपराइजेशन ज्यादा होता है। धूप में पेट्रोल उडऩे की समस्या को दूर करने के लिए कई प्रयास भी किए जा चुक है और आगे भी प्रयास जारी है।
-ओमशंकर मिश्रा, प्रेसीडेंट पेट्रोल एंड एचएसडी डीलर्स एसोसिएशन