इस डिमांड के बढ़े हिस्से को दूधिए पानी, सोडा, वाशिंग पाउडर व अन्य मिलावट कर पूरा कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार ऑफिसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। इससे मिलवाटखोरों के हौसले और भी बुलंद हैं.

7.5 लाख लीटर खपत

नॉर्मली पर डे 7.50 लाख लीटर मिल्क की खपत है। इस डिमांड का करीब 50 परसेंट दूधिए पूरा करते हैं। पैक्ड मिल्क की हिस्से 25 परसेंट से भी कम है। इधर सावन शुरू होने के साथ ही दूध की डिमांड में इजाफा होना शुरू हो गया था। सावन के सोमवार में व्रत रहने और भोलेनाथ को चढ़ाने की वजह से 10 से अधिक इजाफा हो जाता है। इधर रमजान माह के शुरू होने से दूध, खोया की डिमांड में और बढ़ोत्तरी हो गई है। नागपंचमी में यह डिमांड बढक़र करीब 15 से 20 परसेंट तक पहुंच गई है। डिमांड बढऩे पर पैक्ड मिल्क की भी मांग बढ़ी है,लेकिन बढ़ी हुई डिमांड का अधिकतर मांग को दूधिए ही पूरा कर रहे है. शॉप ओनर ओंकार मिश्रा ने बताया कि पहले 30 पेटी (12 लीटर पर पेटी) पैक्ड मिल्क मंगाते थे। सावन, रमजान में अधिक मांग होने पर बढ़ाकर 35 पेटी कर थी। नाग पंचमी की वजह से आज 40 पेटी मिल्क मंगाया है। बिल्हौर से रावतपुर मंडी आए दूधिए दिनेश शंकर ने कहा कि जिन घरों में दूध देते हैं उनके अधिक मांगने की वजह से आज एक पीपा दूध (16 लीटर)अधिक लाए हैं.  

नहीं हो रही कार्रवाई

बढ़ी हुई डिमांड का अधिकतर हिस्सा दूधिए पूरा कर रहे हैं। लेकिन एक महीने से मिलावटी दूध के मार्केट में आने के लिए न तो सैं पलिंग हो रही है न ही दूध मंडियों में रेड की जा रही है.