- बाढ़ के पानी में बह गया चारा, अवेलबिल्टी न होने से घट गया दूध का उत्पादन

- पहले रोजाना एक लाख से ज्यादा लीटर की थी सप्लाई, बाढ़ के बाद आई 40 फीसद गिरावट

- पैकेट के दूध पर निर्भर हुए लोग, 70 फीसद हुआ मार्केट शेयर

GORAKHPUR: बाढ़ की चौतरफा मार से लोग परेशान हैं। कहीं खाने-पीने की किल्लत है, तो कहीं लोगों के घरों को काफी नुकसान हुआ है। बाढ़ की इस भीषण तबाही का साइड इफेक्ट अब लोगों के घरों में सप्लाई होने वाले दूध पर भी नजर आने लगा है। ओपन डेयरी और ग्वालों से दूध लेने वाले लोगों के घरों में रोजाना दूध नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे लोगों को पैकेट के दूध पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। इसकी वजह से पैकेट का दूध सप्लाई करने वाली डेयरीज का मार्केट शेयर 70 फीसद से ज्यादा हो चुका है। वहीं लोकल डेयरीज और ग्वालों की सप्लाई का आंकड़ा 40 फीसद गिर गया है। इससे अब ग्वालों और लोकल डेयरीज ने मैनेज कर दूध की सप्लाई करना शुरू कर दिया है।

कहीं पहुंचा, तो कहीं गायब

मार्केट में आई दूध की जबरदस्त किल्लत का असर लोगों को घरों में देखने को मिल रहा है। दूध की शॉर्टेज की वजह से डेयरी संचालक कुछ कस्टमर्स के घर दूध की सप्लाई पहुंचा पा रहे हैं, तो वहीं कुछ से हाथ जोड़ते नजर आ रहे हैं। डेयरी संचालक उत्तम दुबे की मानें तो दूध के उत्पादन में 40 फीसद कमी आई है, वहीं डिमांड का ग्राफ उछलकर दो गुने तक पहुंच गया है। इसकी वजह से दूध सप्लाई में परेशानी आने लगी है। इसका रास्ता यह निकाला है कि किसी दिन एक एरिया में सप्लाई रोककर दूसरे एरिया में की जा रही है। इस तरह अल्टरनेट सप्लाई से हर इलाके में सिर्फ एक दिन दूध नहीं पहुंच पा रहा है।

चारे ने बढ़ा दी दूध की किल्लत

दूध वालों की सबसे ज्यादा आबादी इस वक्त बाढ़ से प्रभावित है। गगहा, कौड़ीराम, जगतबेला, मानीराम, पीपीगंज से दूध वाले रोजाना गोरखपुर में दूध की सप्लाई के लिए पहुंचते थे, लेकिन इन दिनों करीब सभी इलाके बाढ़ की जद में आ चुके हैं। इसकी वजह से उनके जानवरों के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है। मार्केट में भी चारे की सप्लाई न आने से छोटी डेयरी और ग्वालों की मुसीबत और बढ़ गई है। इसकी वजह से उनके जानवरों को पर्याप्त चारा नहीं मिल पा रहा है, जिससे पशु कम दूध देने लग गए हैं और उत्पादन करीब 40 फीसद तक कम हो गया है।

3000 लीटर पर डे बढ़ा कारोबार

एक तरफ जहां दूध की किल्लत से ग्वाले और डेयरी संचालकों की परेशानी बढ़ी हुई है। वहीं पैकेट का दूध सप्लाई करने वाली कंपनीज को इसका फायदा मिलने लगा है। उनके दूध का कारोबार करीब 3 हजार लीटर प्रति दिन बढ़ गया है। ओवरऑल की बात करें तो पैकेट वाले दूध, बड़ी और छोटी डेयरियों के साथ ग्वाले रोजाना करीब 90 से 95 हजार लीटर दूध सप्लाई किया करते थे। इसमें करीब 62 हजार लीटर पैकेट के दूध का कारोबार और बाकी लोकल डेयरी और ग्वालों को नुकसान हो रहा है, जबकि पैकेट वाले दूध का कारोबार बढ़ गया है।

आंकड़ों में दूध का कारोबार

पैकेट दूध -

डेयरी सप्लाई

ग्यान 26400 लीटर

अमूल 10 हजार लीटर

मदर डेयरी 7500 लीटर

पराग 7500 लीटर

शुद्ध 4500-5000 लीटर

पारस 4500-5000 लीटर

बड़ी डेयरी -

महाराजा डेयरी 1500 लीटर

छोटी डेयरी

250 डेयरी 50 से 100 लीटर/डेयरी

डेली दूध की सप्लाई - 90 से 95 हजार लीटर

पैकेट दूध की सप्लाई - 62000 लीटर

बड़ी डेयरी से सप्लाई - 1500 लीटर

छोटी डेयरियों से सप्लाई - 25000 लीटर

ग्वालों से सप्लाई - 10 से 15 हजार लीटर

दूध के उत्पादन में करीब 20 फीसद की कमी आई है। हमारी डेयरी की डेली सप्लाई करीब 1500 लीटर है। मगर इन दिनों चारे की अनुपलब्धता होने की वजह से इसमें गिरावट आई है। इस वक्त लगभग 1200 लीटर सप्लाई ही कर पा रहे हैं। इसमें अल्टरनेट सप्लाई के जरिए व्यवस्था की गई है, जिससे लोगों को रोज परेशानी न हो।

- उत्तम दुबे, संचालक, महाराजा डेयरी

पशुओं को रोजाना डेढ़ मन चारा खिलाना पड़ रहा है। तीन बार खाना खिलाना पड़ रहा है। बाहर जाकर किसी तरह व्यवस्था कर रहे हैं। सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। उत्पादन काफी कम हो गया है, जिससे सभी को दूध नहीं दे पा रहे हैं।

- प्रकाश यादव, दूधवाला

दूध के उत्पादन में करीब 40 फीसद की कमी आई है। घर में जो चारा था, सारा बह गया है। किसी तरह से शहर जाकर अपने खाने की व्यवस्था कर रहे हैं। थोड़ा चारा जानवरों के लिए भी ले ले रहे हैं, मगर पर्याप्त चारा न मिलने से मुश्किल बढ़ गई है।

- शंकर यादव, दूधवाला