- बिगुल बजते ही मिलेनियल्स में इलेक्शन को लेकर क्रेज, लुभावने विज्ञापन नहीं, काम देखकर मिलेगा वोट

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से क्लेमेंटटाउन में आयोजित की गई राजनी-टी मिलेनियल्स स्पीक

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DEHRADUN:
चुनावी बिगुल बजते ही मिलेनियल्स वोट की चोट को लेकर एक्शन मूड में आने लगे हैं. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से क्लेमेंटटाउन में आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने जुमलेबाज नेताओं को सबक सिखाने और उनकी मांग को प्रमुखता से उठाने वाले प्रतिनिधि का साथ देने की बात कही है. मिलेनियल्स ने कहा कि पार्टी के सिंबल पर वोट नहीं दिया जाएगा, बल्कि चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रतिनिधि का पिछला रिकॉर्ड देखने के बाद ही फैसला लिया जाएगा. इसके अलावा पिछले पांच में पार्टियों द्वारा तैयार किए गए रूट मैप का भी अध्ययन किया जाएगा. जो वादे किए गए थे वे पूरे हुए या नहीं, इस पर पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से सवाल जवाब किया जाएगा. सत्ताधारी पार्टियों ने यूथ को यूज एण्ड थ्रो करने का काम किया है, लेकिन आगामी चुनाव में नेताओं के कूट नीति में आने से पहले ही मिलेनियल्स सर्तक रहेंगे.

पहाड़ों में सुविधाओं का टोटा
प्रदेश में सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है, सड़क, बिजली, पानी के अलावा सत्ताधारी पार्टियों के पास कोई मुद्दा नहीं रहता है. आज पहाड़ों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग शहर की ओर तेजी से पलायन कर रहे हैं. सत्ता हासिल करने के बाद जिंदा बाद, मुर्दाबाद के नारों के बीच जनता की समस्याएं गुम हो जाती हैं. राजनी-टी टॉक में मिलेनियल्स ने इन प्वाइंट्स को प्रमुखता से उठाया. पार्टियां वोट के नाम पर बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद सभी वादे भूल जाते हैं.

प्राइवेट संस्थानों की मौज
मिलेनियल्स ने कहा कि पहाड़ में स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर गिरता ही जा रहा है. इंटरमीडिएट की परीक्षा पास के बाद यूथ को आगे की पढ़ाई के लिए अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है. अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी अच्छा जॉब नहीं मिल पाता है. प्राइवेट संस्थानों में शोषण किया जा रहा है. प्राइवेट संस्थानों पर शिकंजा कसने के लिए मजबूत एक्ट बनाने की जरूरत है.

कड़क मुद्दा
धर्मनिरपेक्ष की राजनीति करने वाले प्रतिनिधि को वोट दिया जाएगा. पुलवामा में शहीद हुए जवानों के नाम पर जो वोट की राजनीति करेगा, उसका सपोर्ट नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही मैदान में उतरने वाले प्रतिनिधि का पिछला इतिहास भी टटोला जाएगा.

सिद्धार्थ वर्मा, एडवोकेट

मेरी बात
दून में महिलाओं को साथ आपराधिक घटना तेजी से बढ़ रही है. हर रोज नाबालिग व युवतियों से दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं. इस चुनाव में उसी प्रतिनिधि को वोट दिया जाएगा, जो महिला सुरक्षा को गंभीरता से लेगा.

 

 


सिमरन, स्टूडेंट

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ
युवाओं के लिए रोजगार का प्लेट फार्म तैयार करने वाले प्रतिनिधि को वोट दिया जाएगा. चुनाव से पहले पक्ष-विपक्ष के नेता बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद रोजगार का मुद्दा गायब हो जाता है, ऐसे में आज प्रदेश में दस लाख युवा बेरोजगार हैं.

शिवम ध्यानी, स्टूडेंट
महंगाई चरम सीमा पर है. सरकार इन पांच सालों में जो भी बजट लाई. वह गृहणी के लिए राहत भरा नहीं था. इस चुनाव में जो किचन के बजट में राहत देने की बात करेगा उसी को हमारा वोट जाएगा. बाजार में खाद्यान सामग्रियों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में बजत नहीं हो पा रही है.

ममता, समाज सेवी

प्रदेश में पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है, पहाड़ों में सरकारी स्कूल, स्वास्थ्य सेवा बदहाल होती जा रही है. लोगों को पढ़ाई और इलाज के लिए देहरादून आना पढ़ रहा है, लेकिन यहां प्राइवेट अस्पताल उनकी जमा पूंजी चंद घंटे के भीतर लूट लेते हैं. ऐसे संस्थानों पर शिकंजा करना होगा.

अर्पित गौतम, स्टूडेंट

दून को एजुकेशन हब कहा जाता है, लेकिन अब यह लूट का हब बन चुका है. प्राइवेट शिक्षण संस्थानों की ओर से मनमानी फीस ली जा रही है. जिससे गरीबों के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है. ऐसे संस्थानों पर शिकंजा करने के लिए मजबूत एक्ट लाना होगा.

दीपक शर्मा, प्राइवेट जॉब

एक तो महंगाई, दूसरी तरफ सरकार ने जीएसटी लगाकर सामान के रेट और बढ़ा दिए हैं. पांच साल सत्ता में रही पार्टी ने जनता से वादा किया था कि वह आम पब्लिक को महंगाई से राहत देगी, लेकिन हुआ इसके उल्ट. इस बार लुभावने विज्ञापन पर नहीं धरातल पर काम करने वाले को सपोर्ट किया जाएगा.

- राहिल खान, बिजनेस मैन

दून में नशा का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, शिक्षण संस्थानों में डिग्री ले रहे स्टूडेंट अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं. जिसकी वजह से डिप्रेशन में आकर वह कई बार आत्महत्या की कोशिश कर रहे हैं. सरकार को नशे पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूत एक्ट लाना होगा. नशे के खिलाफ जो बात करेगा उसको मेरा वोट कास्ट होगा.

महादेव रतूड़ी, स्टूडेंट

चुनावी मैदान में बाजी मारने के बाद युवाओं से किए रोजगार के वादे सभी भूल जाते हैं. ऐसे में युवाओं को अगले पांच साल का इंतजार करना होता है, वर्तमान सरकार में जो भी भर्तियां खोली गई है, वह निरस्त हुई है. आज स्थिति ऐसी हो गई कि युवा बेरोजगार बैठे हुए हैं.

हरीश शंकर, वर्किग