10 करोड़ का 'तबेला'

जहां बड़ी-बड़ी घास उग आई हो, पूरे दिन गाय और भैंस गोबर कर रही हों। उन्हें आप क्या कहेंगे? सिटी के पास एक ऐसा तबेला भी है, जो करोड़ों रुपए का है। स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट का करोड़ों रुपया खर्च हो चुका है। वास्तव में इंसानों के लिए बनाई जा रही योजना किस तरह से तबेले में तब्दील हो गई, इसके बारे में तो न तो बनाने वाले को जानकारी है और न घोषणा करने वाले को। आइए आपको भी इस तबेले के बारे में डिटेल में जानकारी देते हैं

करोड़ों की योजना पर डंगरों का आवास

- डाबका में डूडा के बन रहे हैं करीब 576 मकान

- यूपी राजकीय निर्माण निगम के पास निर्माण की जिम्मेदारी

- अभी तक मकानों में हो चुके हैं करीब 10 करोड़ रुपए खर्च

- करीब डेढ़ साल से रुका हुआ है योजना का काम

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : गरीबों को सिटी की मलिन बस्तियों से निकालकर साफ सुथरे आशियाने देने की योजनाओं का किस तरह से पलीता लगाया जाता है, इसका उदाहरण डाबका में अर्बन पुअर्स के लिए बन रहे मकानों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। करीब दो सालों से काम न होने के कारण उनकी स्थिति किसी तबेले से कम नहीं रह गई है। करोड़ों रुपयों पर गोबर फैल गया है और संबंधित विभागों के अलावा जन प्रतिनिधि भी सोए हुए हैं।

डूडा की योजना

डिस्ट्रिक्ट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी (डूडा) डाबका में बेसिक सर्विसेस फॉर अर्बन पुअर्स के लिए आवासीय योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत डाबका में बंबे के किनारे करीब भ्7म् मकान निर्माणाधीन हैं। इनके निर्माण की शुरुआत ख्009 में हुई थी, जिनका काम करीब दो सालों से रुका हुआ है। डूडा अधिकारियों के अनुसार हम इस योजना के महज ऑब्जर्वर हैं, जबकि कार्यकारी कार्रवाई उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड कर रहा है।

बन गया है तबेला

जब आई नेक्स्ट का कैमरा इस योजना के अंदर पहुंचा तो वहां की स्थिति किसी तबेले से कम नहीं मिली। आसपास के लोग अपने जानवरों को रख रहे हैं। साथ ही उनके चारे का इंतजाम भी वहीं पर हो रहा है, क्योंकि निर्माणाधीन भवन के अंदर और बाहर बड़ी-बड़ी घास और झाड़ उग आए जो पूरे दिन के लिए क्या कई दिनों के लिए काफी है। इस बारे में डूडा और निर्माण निगम के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने वहां की मौजूदा स्थिति के बारे में अपनी अनभिज्ञता जाहिर की।

क्0 करोड़ रुपए खर्च

निर्माण निगम के अधिकारियों के अनुसार वहां काम 80 फीसदी पूरा हो चुका है, जिसमें करीब क्0 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि करोड़ों रुपए के इस प्रोजेक्ट की हालत क्या हुई है। अधिकारियों की इसकी हालत के पूछे जाने का कारण रुपयों का अभाव बताया। अधिकारियों के अनुसार काफी समय से ऊपर से रुपया नहीं आया है, जिसके कारण काम को रोकना पड़ा। इस वजह से उसकी ऐसी हालत हो सकती है।

अभी कई तरह के होने है काम

यूपी राजकीय निर्माण निगम के जेई आरके राय की मानें तो इंफ्रास्ट्रक्चर तो पूरी तरह से खड़ा हो गया है, लेकिन अभी तक वहां की सड़कें, बिजली, पानी की पाइप लाइन, स्ट्रीट लाइट्स आदि सुविधाएं दी जानी बाकी है। मूल्यांकन विभाग से वित्त विभाग को पूरा एस्टीमेट मूल्यांकित किया जा चुका है। जैसे ही रुपया हमारे पास आ जाएगा। उसके अगले चार महीनों में हम काम पूरा करके देंगे। इसमें किसी भी तरह की देरी नहीं की जाएगी।

चोरी हो गए खिड़की दरवाजे

सैंकड़ों मकानों पर तो लाखों रुपए की खिड़की और दरवाजे भी लगा दिए गए थे। जो अब मकानों में मौजूद नहीं है। निर्माण निगम के जेई के अनुसार कई मकानों को पूरी तरह से तैयार कर दिया गया था, जिनमें खिड़की और दरवाजे भी पूरी तरह से लगा दिए गए थे। जब आई नेक्स्ट ने मौके पर जाकर देखा तो वहां से खिड़की और दरवाजे गायब थे। उसके बाद निर्माण निगम ने कहा कि कॉर्नर में होने की वजह से स्थानीय लोगों ने उतार लिए होंगे।

कोई जवाबदेही लेने को नहीं तैयार

जब इन मकानों की बुरी स्थिति की जवाबदेही की बात दोनों ही डिपार्टमेंट के अधिकारियों से पूछी गई तो दोनों ने ही अपना पल्ला झाड़ लिया। डूडा के अधिकारियों का कहना है कि हम सिर्फ मॉनिटर कर रहे हैं और रुपया दे रहे हैं। काम तो निर्माण निगम कर रहा है। इसकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है। वहीं निर्माण निगम के अधिकारियों ने कहा जब हमें रुपया समय पर नहीं मिलेगा तो वक्त तो लगेगा ही। समय के साथ स्थिति तो खराब होगी। किसी ने भी कोई जिम्मेदाराना बयान देने को तैयार नहीं है।

बॉक्स

दो लाख रुपए का एक फ्लैट

वास्तव में ये मकान मॉडल वन के तहत बन रहे हैं, जिसमें एक फ्लैट की कॉस्ट दो लाख रुपए है। डूडा की प्रोजेक्ट इंजीनियर सरस्वती सिंह के अनुसार डूडा पांच मॉडल के फ्लैट तैयार करता है। मॉडल एक और दो के तहत फ्लैट की कॉस्ट दो लाख रुपए, मॉडल तीन में फ्लैट की कॉस्ट क्.9ब् लाख, मॉडल ब् में फ्लैट क्.90 लाख और मॉडल पांच में क्.87 लाख है। सिटी में पांचों तरह के ही फ्लैट बनाए जा रहे हैं। डाबका में करीब क्क्.भ्ख् करोड़ कॉस्ट फ्लैट बन रहे हैं।

तो दोबारा बनाई जाएगी सूची

डाबका में जिन गरीब लोगों को मकान देने थे, उसकी सूची तहसील स्तर से ख्009 में ही डूडा को दे गई थी। पांच बीत जाने के बाद भी मकान तैयार न होने की स्थिति एक नई लिस्ट तैयार कराने की बात कर रहा है। डूडा का मानना है कि इन सालों में कई लोग वहां से जा चुके और मर चुके होंगे। इसलिए एक सर्वे कराने के बाद लिस्ट को अपडेट कराया जाएगा।

सिटी में बन रहे हैं करीब 9000 मकान

डूडा सिटी में गरीबों के लिए करीब 9000 मकान तैयार कर रही है। जिसका पूरा काम निर्माण निगम ही देख रहा है। निर्माण निगम को क्ब् जोन में बांटा हुआ है। जिसमें जोन तीन है ही नहीं। डाबका जोन ख् में आता है।

जोन फ्लैट की संख्या

क्। क्भ्00

ख्। 7ब्ब्

ब्। म्77

भ्। म्भ्भ्

म्। म्78

7. म्ख्9

8. 7ख्फ्

9. म्9ब्

क्0. 7ख्क्

क्क्। भ्00

क्ख्। म्ख्फ्

क्फ्। 8भ्ख्

कुल 900भ्

स्टेट का फ्0 और सेंट्रल गवर्नमेंट का 70 फीसदी हिस्सा

ये योजना पूरी तरह से राज्य और प्रदेश सरकार की मिलि-जुली योजना है। जिसमें केंद्र की 70 फीसदी और राज्य की फ्0 फीसदी हिस्सेदारी है। लेकिन दोनों में से कोई से के भी इस योजना को देख ही नहीं रहा है।

बजट की कमी के कारण से ही काम रुका हुआ है। मैं वहां की स्थिति से थोड़ी अनभिज्ञ थी। मैं वहां जाकर मकानों की स्थिति का निरीक्षण करूंगी और स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया जाएगा।

- सरस्वती सिंह, प्रोजेक्ट इंजीनियर, डूडा

काम पिछले दो सालों से रुका हुआ है। अब पता चला है कि रुपया सेक्शन हो चुका है। जैसे ही रुपया मिलेगा। उसके चार महीने में फ्लैट तैयार हो जाएंगे। वैसे वहां का 80 फीसदी काम हो चुका है।

- आरके राय, जेई, यूपीआरएनएनएल