22 years में बदला बहुत कुछ

करीब दो दशक बीत गए हैं, लेकिन अगर थिएटर के प्रति युवाओं के आकर्षण की बात की जाए तो ऐसा लगता है जैसे सदियां बीत गई हैं। ये कहना है स्टोरी राइटर ओम बधाणी का जो पिछले 22 सालों से थिएटर के लिए लेखन का काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि थिएटर के प्रति युवाओं में तेजी से बदलाव आया है। पहले का युवा थिएटर की ओर बहुत आकर्षण महसूस करता था। क्योंकि पहाड़ों में एक वक्त थिएटर ही नाटकीय मनोरंजन का एक साधन था और यही वजह थी कि दर्शकों में भी युवाओं की संख्या ज्यादा थी। लेकिन टीवी , डिश, इंटरनेट और एफएम रेडियो ने महज एक दशक में ही काफी कुछ बदल कर रख दिया है।

घट रही audience

किसी भी ट्रेंड का फ्यूचर उसकी यूथ एक्सेप्टेबिलिटी तय करती है, लेकिन अफसोस थिएटर के  लिए यूथ एक्सेप्टेबिलिटी काफी मिनिमम आंकी गई है। सीनियर थिएटर आर्टिस्ट जयप्रकाश राणा का कहना है कि युवाओं का थिएटर की ओर अटै्रक्शन काफी तेजी से कम हुआ है। एक समय था जब नाटक देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटा करती थी। हालांकि तब इतने अच्छे ऑडिटोरियम भी नहीं थे, लेकिन आज थिएटर को इतना बेहतरीन मंच मिलने के बावजूद भी युवाओं में इसे देखने का कोई क्रेज नहीं है। औसतन 200 लोगों की भीड़ में 150 लोगों 40 से 45 एज गु्रप के होते हैं।

युवाओं से ही आएगा change

जहां एक तरफ यंग व्यूअर्स की संख्या घट रही है। ऐसे में यूथ का एक तबका ऐसा भी है जो कि थिएटर को सिल्वर स्क्रीन तक पहुंचने की सीढ़ी बना रहा है। हाल ही में थिएटर आर्टिस्ट्स की बढ़ती हुई पॉप्युलैरिटी से ये बात साफ हो गई है कि अब सिर्फ गुड लुक्स नहीं, बल्कि एक मंझा कलाकार ही बाक्स ऑफिस पर हिट है। यंग थिएटर डायरेक्टर डा। अजीत पंवार का कहना है कि भले ही दर्शक कम हों, लेकिन युवाओं की भारी संख्या थिएटर ज्वॉइन करके एक्टिंग की बारीकियों को सीखना चाहती है। आए दिन हमारे पास कई युवा ऑडियंश के लिए आते हैं। इनमें वो युवा ज्यादा हैं जो पहाड़ के उन इलाकों से हैं जहां साधनों का अभाव है। इन कलाकारों की बढ़ रही लगन से थिएटर को एक नया मुकाम मिलने जा रहा है। इसके साथ ही थिएटर के एक्ट्स में भी फ्यूजन करने की तैयारी है।

'मेरा एक्टिंग के प्रति काफी रुझान रहा है। इसलिए मैंने थिएटर चुना है। ताकि मैं सिनसीयर एक्ट सीख सकूं। अब तो बॉलीवुड में भी थिएटर आर्टिस्ट्स की डिमांड है.'

-रेनू खान, युवा आर्टिस्ट

'मैं सात-आठ साल से थिएटर कर रहा हूं। पेशे से में टीचर हूं, लेकिन थिएटर के प्रति मेरे आकर्षण और लगाव ने मुझे यहां पहुंचाया है। मैं इसे पर्सनैलिटी डेवलपमेंट मानता हूं.'

-अरविंद पश्चिमी, युवा आर्टिस्ट