सरकारी रिकार्ड की मानें तो सिर्फ गोरखपुर में अवैध खनन के इस खेल से यूपी सरकार को सालाना करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। सूत्रों की मानें तो पूरे प्रदेश में ये गोरखधंधा चल रहा है। दरअसल, ये पूरा खेल अफसरों और माइनिंग माफियाओं की मिलीभगत से चल रहा है।

माफिया अफसरों से बेनामी परमिट इश्यु कराकर किसी को भी बेच देते हैं। उस परमिट पर न तो डेट और न ही समय दर्ज होता है। लिहाजा इसे कोई भी और कभी भी जितनी बार मर्जी इस्तेमाल कर ले। क्योंकि इस परमिट की जांच करने वाले अफसरों की मिलीभगत से ये सारा खेल चल रहा है। अफसर माइनिंग माफिया के खिलाफ एक्शन लेने की बजाय उसके सिंडिकेट में शामिल हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक इस सिंडिकेट में पॉलिटिशयन भी शामिल हैं।

 सालभर में 1.30 करोड़ का चूना

माइनिंग सिंडिकेट की करतूतों की वजह से फायनेंसियल ईयर 2010-2011 के मुकाबले ईयर 2011-12 में रॉयल्टी में एक करोड़ तीस लाख से अधिक की कमी आई। यह डेटा तो ऑन रिकार्ड है ऑफ रिकार्ड रॉयल्टी की कितनी चोरी की गई तो यह तो इन्वेस्टिगेशन का इश्यू है। माइनिंग माफिया सालों से धड़ल्ले अपने मंसूबों को अंजाम देते रहे हैं और इल्लीगल माइनिंग और रॉयल्टी की चोरी रोकने को जिम्मेदार अफसरों ने आंखें मूंद कर उनका साथ दिया है।

नए डीएम रवि कुमार एनजी ने इल्लीगल माइनिंग को लेकर कुछ कड़ा रुख दिखाया तो अभी कुछ जिम्मेदार अपने बचने की जगह ढूंढ रहे हैं तो कुछ जांच के पहले ही जिम्मेदारी छोड़ कर भाग चुके हैं। लेकिन इल्लीगल माइनिंग जस की तस है।

ब्लैंक पर्चियों से लगा रहे चूना

माइनिंग का सारा खेल बेनामी परमिट के सहारे खेला जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक केवल एक खेत में माइनिंग की परमिशन देने में 20 हजार रुपये घूस लिए जाते हैं। एक लीज पर करीब तीन सौ खनन परमिट जारी की जाती हैं। माइनिंग सिंडिकेट इन परमिट को बाजार में जिसे चाहे उसे बेच दे रहे हैं।

 आई नेक्स्ट के पास बेनामी परमिट

अपनी पड़ताल में आई नेक्स्ट टीम को हाथ लगी बेनामी खनन परमिट। सरकारी लैंग्वेज में इसे प्रोफार्मा एमएम 11 कहते हैं। एमएम 11 खनन के बाद मिट्टी या बालू ढोने के दौरान ड्राइवर के पास रहना जरूरी है। रॉयल्टी की चोरी करने में इस माइनिंग (खनन) पर्ची का बड़ा रोल होता है। रूल्स हैं कि जारी होते समय पर्ची पर डेट, टाईम, इंचार्ज या ड्राइवर का नाम और पता और उसका सिग्नेचर भी होना चाहिए। इसके अलावा यह पर्ची केवल एक बार ही यूज हो सकती है और इश्यू होने के बाद 48 घंटों के लिए ही वैलिड होती है। लेकिन हकीकत इसके उलट है।

माइनिंग सिंडिकेट बेनामी माइनिंग परमिट जारी करता है। इसके बाद एक टाईम यूज होने वाली परमिट से तब तक ढुलाई की जा सकती है जब तक कि उसको कोई पकड़ न ले। इसके अलावा एक लीजहोल्डर को जारी ये परमिट धड़ल्ले से 50 से 300 रुपयों में नीलाम भी होती हैं। ऐसी ही एक बेनामी परमिट आई नेक्स्ट के पास मौजूद है. 

Report by- Avinash Chaturvedy