- नगर विकास मंत्री और सिंचाई मंत्री ने टीम के साथ किया रिवरफ्रंट का निरीक्षण

- बकाया बजट के बारे में अधिकारियों से की पूछताछ, जल्द काम पूरा करने के निर्देश

LUCKNOW :

पूर्व सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवरफ्रंट पर मंडराते विवादों के बीच बुधवार को नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना और सिंचाई मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के नेतृत्व में सरकारी अफसरों की टीम ने इसके अधूरे पड़े कामों की हकीकत जांची। चिलचिलाती धूप के बीच करीब डेढ़ घंटे तक चले निरीक्षण में दोनों ही मंत्रियों ने अधूरे कामों के लिये जरूरी बजट के बारे में अधिकारियों से जानकारी हासिल की। इसके अलावा इन कामों को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये।

सुबह नौ बजे ही पहुंच गये

गोमतीन रिवरफ्रंट में हुए अपव्यय की जांच के लिये नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के नेतृत्व में बनी कमेटी बुधवार सुबह नौ बजे लामार्टीनियर कॉलेज के सामने रिवर फ्रंट पहुंची। सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर पीके गुप्ता ने कमेटी को मैप के जरिए अब तक हुए कामों और बकाया कामों की जानकारी दी। यह प्रेजेंटेशन देखने के बाद मंत्री खन्ना ने उनसे कहा कि वे इन अधूरे कामों को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। जिसके बाद अधिकारी उन्हें लेकर सबसे पहले गोमती बैराज पर निर्माणाधीन अंडरपास पहुंचे।

बजट की ली जानकारी

मंत्री को बताया गया कि अंडरपास व सड़क निर्माण का काम 14.15 करोड़ रुपये का है। अब तक 6.67 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जबकि बाकी बचे कामों के लिये 6.50 करोड़ रुपये की दरकार है। इसके बाद हनुमान सेतु के करीब टीम ने निर्माणाधीन डायाफ्रॉम वॉल का निरीक्षण किया। बताया गया कि 8.1 किलोमीटर के रिवरफ्रंट में अब भी 1.3 किलोमीटर डायाफ्रॉम वॉल बाकी बची है। जिसके निर्माण के लिये 63 करोड़ रुपये की जरूरत है। वॉल देखने के बाद इंटरसेप्टिक ट्रंक ड्रेन के अधूरे काम को देखने के लिये कमेटी डालीगंज रेलवे ब्रिज पहुंची। जहां अधिकारियों ने बताया कि अवशेष लाइन के लिये रेलवे से परमीशन मिल चुकी है। 20 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत होते ही यह काम भी पूरा कर लिया जाएगा। मंत्री ने बकाया धनराशि को जल्द से जल्द स्वीकृत करवाने का आश्वासन दिया।

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कार्रवाई भी जल्द पता चलेगी

निरीक्षण के दौरान मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और चौधरी लक्ष्मी नारायण से पूछा गया कि रिवरफ्रंट में हुए घोटाले की जुडीशियल इंक्वायरी रिपोर्ट में कौन-कौन दोषी मिला है? जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि रिपोर्ट उन्हें प्राप्त हो गई है। इसका अध्ययन किया जा रहा है, जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और सबको पता चलेगा।

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जुडीशियल जांच में खुली कलई

गौरतलब है कि, अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवरफ्रंट में हर कदम पर जमकर लूट हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर रिटायर्ड जस्टिस आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने जो जांच की, उसमें इसका खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने जांच में पाया कि अफसरों ने मनमाने ढंग से प्रोजेक्ट में नये-नये कामों को शामिल किया और सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर अपव्यय किया गया। सूत्रों की मानें तो जांच रिपोर्ट में कहा गया कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई गई। जिसके चलते लागत बढ़ती गई। वॉटर बस और फव्वारों से लेकर हर सामान को मार्केट रेट से भी काफी महंगे रेट पर खरीदा गया। जिससे अधिकारियों व अन्य लोगों को जमकर फायदा पहुंचाया गया। जांच कमेटी में शामिल बीएचयू के प्रोफेसर यूके चौधरी ने जांच में पाया कि प्रोजेक्ट में टेक्निकल पैरामीटर्स को भी दरकिनार कर दिया गया। वहीं, आईआईएम के प्रोफेसर एके गर्ग ने फिजूलखर्ची को सुबूतों के साथ रखा है। इस मामले की शुरुआती जांच में घोटाला मिलने पर सरकार ने प्रोजेक्ट से जुड़े एक सहायक अभियंता को सस्पेंड कर दिया था। साथ ही जांच पूरी होने तक प्रोजेक्ट के लिये किसी भी तरह के फंड को जारी करने पर रोक लगा दी थी।