साधुओं के धर्म गुरू का नाम अभिवावक के तौर पर स्वीकृत
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को पासर्पोट के आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को कई सुविधायें देने का एलान किया है। जिसमें विदेश यात्रा के के इच्छुक साधू और सन्यासी के लिए भी कुछ नये नियम आये हैं। ये लोग अब माता-पिता के नाम की जगह अपने आध्यात्मिक गुरुओं का नाम भी पासपोर्ट में दर्ज करा सकेंगे। ऐसा करने के पीछे धार्मिक और सामाजिक  तर्क बताये जा रहे हैं।
पासपोर्ट में जन्मतिथि बदलना हुआ आसान

जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता समाप्त
इसके साथ ही पासपोर्ट नियमों में बदलाव करते हुए स्पष्ट किया गया कि जन्मतिथि के सबूत के तौर पर जन्म प्रमाण पत्र भी दिखाना अनिवार्य नहीं होगा। पासपोर्ट में आवेदन के दौरान जन्मतिथि के सबूत के तौर पर जन्म प्रमाण पत्र पेश करने के अनिवार्य नियम पर कहा गया है कि अब पासपोर्ट बनवाने का इच्छुक कोई भी आवेदक अब, ट्रांसफर/ स्कूल लीविंग/ मैट्रीकुलेशन सर्टिफिकेट, पेन कार्ड, आधार कार्ड/ ई-आधारकार्ड (जिसमें जन्मतिथि लिखी हो), ड्राइविंग लाइसेंस, इलेक्शन फोटो आइडेंटिटी कार्ड और एलआईसी पॉलिसी बॉन्ड में से किसी भी एक को प्रमाण के तौर पर पेश कर सकता है। साथ ही किसी रजिस्ट्रार या नगर निगम या किसी अन्य विहित प्राधिकारी की ओर से जारी किए गए जन्म प्रमाण को भी सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। जबकि पासपोर्ट नियम 1980 के वैधानिक प्रावधानों के अनुसार, सभी आवेदकों या 26 जनवरी, 1989 के बाद पैदा हुए लोगों को पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य था।
'फटाफट' बनेंगे सरकारी कर्मचारियों के पासपोर्ट

पासपोर्ट नियमों में हुआ बदलाव,जन्‍म प्रमाणपत्र नहीं रहा अनिवार्य

सरकारी कर्मचारियों को भी सुविधा
नए नियमों के तहत उन सरकारी कर्मचारियों के लिए भी प्रावधान उपलब्ध करवाए हैं जो अपने संबंधित मंत्रालयों और विभागों से एनओसी पाने में असमर्थ होते हैं। मंत्रालय ने ऐसे लोगों के लिए पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया को काफी सहज और आसान बनाने के कई प्रयास किए है जिसका फायदा उन सरकारी कर्मचारियों को हो सकता है जो पासपोर्ट बनवाना चाहते हैं।
रेंट पर रहने वालों को भी अब 10 दिन में मिलेगा पासपोर्ट, जाने कैसे...

 

Personal Finance News inextlive from Business News Desk

Business News inextlive from Business News Desk