Teenage का प्यार

आजकल टीनेज में ही प्यार-मोहब्बत के तमाम केस देखने को मिलते हैं। घरवालों को पता लगने पर पेरेंट्स इसे रोकने का प्रेशर डालते हैं। रिजल्ट ये निकलता है कि गल्र्स और ब्वॉयज घर से भाग जाने का डिसीजन ले लेते हैं। इस पर घरवाले सीधे पुलिस के पास पहुंचते हैं और फिर असली काम पुलिस का स्टार्ट होता है।

पुलिस का procedure लंबा

सबसे पहले पुलिस एफआईआर दर्ज कर केस का आईओ डिसाइड करती है। फिर जल्द से जल्द लड़की को बरामद कर आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजती है। इसमें देरी होने पर फैमिली लड़की की बरामदगी के लिए अधिकारियों से शिकायत करने लगती हैं। लड़की बरामद होने के बाद जर्नी टाइम को छोड़कर उसे 24 घंटे में कोर्ट में पेश करना होता है। पुलिस की मानें तो मेडिकल में हॉस्पिटल सपोर्ट नहीं करता। एक दिन में मेडिकल, दूसरे दिन एक्सरे और फिर तीसरे दिन सप्लीमेंट्री रिपोर्ट देने में कई दिन लग जाते हैं। कोर्ट में बयान के बाद जब तक डिसीजन नहीं आ जाता, पुलिस की टेंशन खत्म नहीं होती। इस प्रोसेस के दौरान लड़की को महिला थाने में रखने के साथ उसकी सिक्योरिटी भी करनी पड़ती है। कई बार बालिग लड़की को पेरेंट्स नाबालिग बता देते हैं। ऐज वैरीफिकेशन के लिए लड़की की मेडिकल रिपोर्ट व ऐज प्रूफ डॉक्यूमेंट्स कलेक्ट करने होते हैं। इसके अलावा लड़की ने अगर मैरिज कर ली है, तो उसके मैरिज डॉक्यूमेंट्स भी कोर्ट में पेश करने पड़ते हैं।

सितंबर में अब तक दर्ज FIR

डेट              थाना

2 सितंबर          कोतवाली

3 सितंबर          महिला थाना

4 सितंबर          नवाबगंज

5 सितंबर          भमोरा

6 सितंबर          फतेहगंज पश्चिमी

7 सितंबर          इज्जतनगर व सुभाषनगर

9 सितंबर          इज्जतनगर

12 सितंबर        प्रेमनगर

14 सितंबर        आंवला

18 सितंबर        किला

19 सितंबर        किला

21 सितंबर        फतेहगंज पश्चिमी

26 सितंबर        शीशगढ़

27 सितंबर        बारादरी व शाही

28 सितंबर        बिथरी, किला व फतेहगंज पश्चिमी

'पुलिस की रेस्पांसिबिलिटी है कि एफआईआर दर्ज कर लड़कियों को बरामद करे और उन्हें कोर्ट में पेश करे। इस दौरान पुलिस पर काफी प्रेशर रहता है। सब कुछ कानून के दायरे में करना पड़ता है.'

त्रिवेणी सिंह, एसपी सिटी बरेली