KANPUR: दिव्या रेप एंड मर्डर केस की यादें एक बार फिर ताजा हो गईं. बजरिया में क्लास फस्र्ट की एक स्टूडेंट को दरिंदे ने अपनी हवस का शिकार बना डाला. इसके बाद बड़ी बेरहमी से सिर पर वार कर उसकी सांसें भी छीन लीं. दो दिन से लापता बच्ची का सोमवार सुबह घर के पास स्थित नाले से शव बरामद हुआ तो घर पर कोहराम मच गया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची से रेप की पुष्टि हुई है. बच्ची से हैवानियत भरी घटना सुनकर लोग आक्रोशित हो उठे. लोगों ने रोड पर उतरकर प्रदर्शन किया और पुलिस पर भी अपना गुस्सा उतारा. घरवालों का आरोप है कि अगर पुलिस सूचना मिलते ही अलर्ट हो जाती तो शायद उनकी बच्ची बच जाती.

कूड़ा फेंकने निकली थी
बजरिया में रहने वाले सब्जी विक्रेता की सात साल की बेटी बेबी(काल्पनिक नाम)फातिमा कान्वेंट स्कूल में क्लास वन की स्टूडेंट थी. वह 15 जून को घर से कूड़ा फेंकने गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी. घरवालों ने सब जगह ढूंढा लेकिन कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने बजरिया थाने में बेटी की गुमशुदगी की तहरीर दी. लेकिन पुलिस घरवालों को टरका दिया और बच्ची को तलाशने के लिए कोई एफर्ट नहीं किए. सोमवार सुबह बेबी का शव नाले में पड़ा होने की सूचना मिली तो घरवाले बदहवास मौके पर पहुंचे.

शैतान का अब तक पता नहीं
बेबी का ये हाल किसने किया अब तक इसका पता नहीं चल पाया है. इलाकाई लोगों ने घटना के प्रति अपना आक्रोश जताते हुए मंडे शाम को बड़े चौराहे पर प्रदर्शन किया. लोग इस कदर गुस्से में थे कि आरोपी को ढूंढकर फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे थे. एसओ का कहना है कि एफआईआर दर्ज कर छानबीन की जा रही है.

एक दर्जन से अधिक चोटें, सिर पर चोट लगने से हुई मौत
पोस्टमॉर्टम में बेबी की बॉडी पर चोट के एक दर्जन से ज्यादा निशान पाए गए. मौत भी सिर पर गहरी चोट लगने से हुई. माना जा रहा है कि उसके सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया या उसका सिर जमीन पर पटका गया. डॉक्टर्स ने बच्ची के साथ रेप के साथ अननेचुरल सेक्स की भी पुष्टि की है. जिसके चलते दो स्लाइड बनाई गई हैं.

तो बच सकती थी मासूम की जान
बजरिया में मासूम की रेप के बाद हत्या कर दी गई. वह दो दिन से लापता थी. परिजनों ने उसको ढूढऩे के लिए थाने में गुहार लगाई, लेकिन पुलिस उसे गंभीरता से नहीं लिया. पुलिस उनको गोलमोल जवाब देकर थाने से टहलाती रहीं. उसके शव के मिलने के बाद कोई भी पुलिस आफिसर्स वहां नहीं पहुंचा. चौबीस घंटे के बाद पब्लिक के गुस्से को देख पुलिस एक्टिव हुई. एसीएम समेत कई थाने का फोर्स मौके पर पहुंच गया, लेकिन अगर पुलिस पहले ही एक्टिव हो जाती, तो शायद वह आज अपनी फैमिली के साथ होती. उसके साथ इतना घिनौना कृत्य न होता और उसकी जान बच जाती है. यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल है.

Experts says...
रेप जैसे हादसों को झेलने के बाद जो बच्च्यिां बच जाती हैं उनके लिए आगे की जिंदगी एक सजा की तरह लगती है. बच्चे का सामाजिक जीवन बहुत ज्यादा प्रभावित हो जाता है. वो अलग-थलग रहने की कोशिश करता है. समाज के प्रति उसके मन में नफरत और डर बना रहता है. जब बच्चा अपने ही परिवार के किसी सदस्य के हाथों शिकार होता है, तो उसका विश्वास पूरी तरह टूट जाता है और वह अपने परिवार में कभी ठीक से एडजस्ट नहीं कर पाता. दूसरी ओर अगर ऐसी चीजें समाज में फैल जाएं तो हमारा समाज भी विक्टिम को एक सामान्य प्राणी के तौर पर नहीं देखता. रेप विक्टिम को विशेष नजर से देखा जाता है. कभी कभी उसके प्रति ज्यादा सहानुभूति दिखाकर उसके सामान्य विकास को और भी ज्यादा बाधित कर दिया जाता है. इससे बच्चे की सेल्फ एस्टीम में कमी आती है और उसकी पूरी पर्सनैलिटी छिन्न भिन्न हो जाती है.
-डॉ. एसपी सिंह समाजशास्त्री

कम उम्र बच्चियों के रेप जैसी घटना होने से उनमें इमोशनल शेड ब्रेक हो जाता है. इसके अलावा लोकल इंजरी होती है. जिसमें वेजाइना, यूरेट्रा पर इफेक्ट पड़ता है. अगर ज्यादा छोटी बच्ची है तो उसके वेजाइना का वॉल्ट भी इंजर्ड हो सकता है. वहीं इंफेक्शन का सबसे बड़ा खतरा बन जाता है. जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस, सिफीलिस, गूनोरिया, ट्रइक्रोमोनाज हो सकते है. जो आगे आने वाले जीवन में बहुत बड़ी परेशानी बन सकते है. ग्रेगनेंसी और डिलीवरी में भी कई तरह के कॉम्पलीकेशंस हो सकते है.
-डॉ. सपना मेहरोत्रा, गाइनाकोलॉजिस्ट

-ऐसी घटना के बच्चे में ट्रामा हो जाता है, क्योंकि वो इन सब चीजों से अनजान होता है
-वो फोबियाग्रस्त हो सकता है. फोबिया किसी बी चीज की तरह शिफ्ट भी हो सकता है
-जरूरी ये है कि बच्चे की प्रॉपर काउंसलिंग की जाए
-पेरेंट्स बच्चे का पूरा ध्यान रखें, उसे कभी भी अकेला न छोड़ें
-उसके सामने बार-बार उस चीज को डिसकस न किया जाए
-उसका माइंड डायवर्ट करने के लिए उसे रोचक एक्टिविटीजी में लगा सकते है
-ऐसे प्रोटेक्टिव मेजर्स मिल जाएं कि ऐसी घटना फिर कभी न हो
-अगर बच्चा बड़ा हो तो उसका स्कूल बदल सकते है और सिटी भी बदला जा सकता है.
(साइकियाट्रिस्ट डॉ. रवि कुमार के अनुसार)

पुलिस नहीं रोक सकती ऐसी वारदातें..!!
कानपुर नगर के एसएसपी यशस्वी यादव कहते हैं कि बच्चियों के साथ ऐसी घटनाएं वाकई गंभीर विषय है, लेकिन सिर्फ पुलिस इन्हें रोक नहीं सकती है. क्योंकि ज्यादातर केस में कोई अपना या करीबी ही आरोपी होता है. मेडिकल रिपोर्ट में भी रेप की जगह अटेम्प्ट टू रेप आता है. इसका फायदा उठाकर आरोपी छूट जाते है. ये एक सामाजिक समस्या भी है इसलिए लोगों को ही इसके लिए आगे आना होगा. उन्हें अलर्ट रहना होगा और अपने आसपास घूम रहे इस मानसिकता के लोगों को पहचान कर उनसे बचना होगा. उम्र बढऩे के साथ-साथ पेरेंट्स को अपने बच्चों को प्रॉपर गाइड करना चाहिए. जिससे ऐसी स्थितियों में उसमें प्रतिरोध की क्षमता डेवलप हो सके. पुलिस भी रेप के आरोपियों पर सख्ती से पेश आएगी.

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FOR your help
- बच्ची का ध्यान रखें, अकेले
घर से बाहर न जाने दें
-बच्चियों को सिखाएं कि किसी
अजनबी से चॉकलेट या
टॉफी न लें
- दोस्त-यार, पड़ोसी,
रिश्तेदार यहां तक टीचर से भी अलर्ट रहें
-नजर रखें कि वो बेवजह बच्ची
को बार-बार टच करने की
कोशिश तो नहीं कर रहे
- शादी, समारोह में जाने पर
बच्ची को अकेला न छोड़ें
- बच्च्यिो की सुरक्षा के मामले
में कोई कितना भी करीबी हो,
आंख बंद कर भरोसा न करें
-बच्ची के व्यवहार में अचानक
बदलाव देखें तो प्यार से वजह
जानने की कोशिश जरूर करें