- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खबर पर दिया आदेश

- जूनियर्स से अभद्रता की तो जाएंगे जेल

LUCKNOW :

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की खबर का संज्ञान लेते हुए केजीएमयू प्रशासन ने सभी विभागों के डॉक्टर्स और रेजीडेंट डॉक्टर्स को सख्त चेतावनी जारी की है। चीफ प्रॉक्टर की ओर से भेजे गए आदेश में कहा गया है कि जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर के साथ अमर्यादित शब्दों का प्रयोग, मारपीट, ठीक व्यवहार न करना रैगिंग की श्रेणी में आता है। ऐसा करते पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

तो भेजे जाएंगे जेल

खबर का संज्ञान लेते हुए चीफ प्रॉक्टर ने कहा है कि संज्ञान में आया है कि विभागों में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर अपने जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ अमर्यादित, अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हैं और ठीक से व्यवहार नहीं करते। जिसके कारण जूनियर रेजीडेंट डाक्टर मानसिक अस्वस्थता के कारण न ही विभाग का काम कर पाते हैं और न ही ठीक से मरीजों की देखभाल कर पाते हैं।

तो होगी एफआईआर

चीफ प्रॉक्टर ने कहा है कि रैगिंग एक घोर अपराध है जिसमें छात्र के खिलाफ एफआईआर के साथ ही कोर्स से निष्कासन और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। रेजीडेंट डॉक्टर्स द्वारा जूनियर व अन्य छात्र छात्राओं के साथ किया जाने वाला दु‌र्व्यवहार रैगिंग की श्रेणी में आता है। विभागाध्यक्षों से कहा गया है कि वे सभी रेजीडेंट डाक्टरों को लिखित आदेश दिया गया है गाइडलाइन्स से अवगत कराएं। शिकायत पाए जाने पर संपूर्ण जिम्मेदारी रेजीडेंट डॉक्टर की होगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सुसाइड की कोशिश की थी

केजीएमयू में पिछले माह ऑर्थोपेडिक विभाग के एक रेजीडेंट ने सुसाइड करने की कोशिश की थी। बाद में पता चला कि जबरन 24 घंटे से अधिक काम करने के कारण वे डिप्रेशन में चले गए और डिप्रेशन के कारण उन्होंने यह कदम उठा लिया। उन्होंने अपनी हाथ की नस काट ली थी लेकिन परिजनों के समय पर पहुंचने और समय पर इलाज मिलने पर उन्हें बचाया जा सका। वह पिछले कई माह से एंटीडिप्रेशन दवाएं ले रहे थे। कुछ माह पहले उनके साथ मारपीट की घटना भी हुई थी।

और खड़ा कर दिया टेबल पर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने तस्वीर छाप कर बताया था कि कैसे यहां पर रैगिंग की जा रही है। जरा सी गलती पर रेजीडेंट डॉक्टर्स को स्टूल तो कभी मेज पर खड़ा कर दिया जाता है। रेजीडेंट गिड़गिड़ाते हैं लेकिन सीनियर्स का दिल नहीं पसीजता। पीडियाट्रिक, आर्थोपेडिक, जनरल सर्जरी, मेडिसिन, गाइनी विभागों में दिक्कत ज्यादा है। इनमें इमरजेंसी चलती है और हमेशा मरीजों की संख्या बेड की संख्या से अधिक रहती है। इतना सब होने के बावजूद केजीएमयू प्रशासन अब तक उनके ड्यूटी आवर्स कम नहीं कर सका है।