-हॉस्पिटल में घटती है कोई घटना तो पहुंच जाते हैं चहेते गुर्गे

-ये गुंडे डरा, धमका कर मरीज व उनके तीमारदारों से झाड़ते रौब

-प्रोटेक्शन के बदले ये गुर्गे लेते अच्छी फीस

GORAKHPUR: शहर में करीब 360 निजी हॉस्पिटल व नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. इसमें से कई ऐसे हॉस्पिटल हैं जहां मरीजों की सेवा से ज्यादा उनके परिजनों पर धौंस जमाया जाता है. इसके लिए हॉस्पिटल संचालक किराए पर गुर्गे पाल रखे हैं. मरीज को ओपीडी से लेकर वार्ड में भर्ती होने तक ये गुर्गे उन्हें धमका डरा कर अपने अदर्ब में लेते हैं. सिर्फ इतना नहीं मामला बिगड़ने पर उन्हें भगा भी दिया जाता है. इसके लिए गुर्गो को हॉस्पिटल संचालक अच्छी खासी फीस भी देते हैं.

तेजी से बढ़ रहा बाउंसर रखने का क्रेज

शहर के डॉक्टर्स में इन दिनों बाउंसर रखने का क्रेज बढ़ता जा रहा है. शहर के 60 से भी अधिक डॉक्टर्स बाउंसर रखे हुए हैं. हर डॉक्टर के पास चार से छह बाउंसर तैनात हैं. इसके अलावा तीन दर्जन से अधिक डॉक्टर्स व अस्पताल संचालकों ने बाउंसर के लिए आवेदन भी कर रखा है. कुछ तो एजेंसी मुहैया कराती है तो कुछ इलाके के गुंडों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है. कुछ डॉक्टर्स तो अपनी सुरक्षा के लिए गनर भी रखे हुए हैं. सिटी में इस समय करीब 10 डॉक्टर्स ऐसे हैं जो गनर की सेवा ले रहे हैं. अस्पताल में सेवा देने वाले बाउंसर को 15 से 20 हजार रुपए मिलते हैं जबकि गनर को 35 हजार रुपए प्रतिमाह डॉक्टर भुगतान कर रहे हैं.

मुहैया कराते हैं बाउंसर

इलाज के नाम पर मरीजों से अनाप-शनाप तरीके से रकम वसूलने वाले डॉक्टर बाउंसरों के नाम पर मोटी रकम खर्च कर रहे हैं. बाउंसरों की सुविधा अस्पताल संचालक भी ले रहे हैं. गोरखनाथ, बरगदवा, छात्रसंघ चौराहा, दाउदपुर, बेतियाहाता, गोलघर, मोहद्दीपुर, खजांची और करीम नगर में स्थित दो दर्जन से अधिक अस्पतालों में बाउंसर मौजूद रहते हैं. इसमें मोटी रकम को देखकर कुछ जिम संचालक और कराटे कोच भी कूद गए हैं. यहां ट्रेंड बेरोजगार युवाओं को बतौर बाउंसर हॉस्पिटलों में तैनात किए जा रहे हैं.

इलाके में गुंडें भी दे रहे हैं प्रोटेक्शन

यहीं नहीं कई जगह इलाके के गुंडों का प्रोटेक्शन भी शहर के कई डॉक्टर ले रहे हैं. बेतियाहाता, दाउदपुर और छात्रसंघ चौराहे के पास अलग-अलग गुंडों ने इलाके वाइज प्रोटेक्शन दे रखा है. किसी घटना पर पुलिस को बुलाने से पहले वे अपने चहेते गुंडों को बुलाते हैं.

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शहर में निजी हॉस्पिटल व नर्सिग होम--360

प्राइवेट डॉक्टर्स की संख्या--850

क्लीनिक--237

एक बाउंसर की फीस--15-20 हजार

गनर की फीस--35 हजार

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डॉक्टर को मरीज से कोई खतरा नहीं होता है. खतरा सिर्फ उन्हें होता है जो अपने पेशे से न्याय नहीं कर पाते हैं. बाउंसर की परंपरा गलत है. इससे डॉक्टर और मरीज के बीच असामाजिक तत्व प्रवेश कर रहे हैं. इसका आईएमए विरोध करती है. पकड़े जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

डॉ. एपी गुप्ता, अध्यक्ष आईएमए