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RANCHI: एक दिव्यांग नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता पढ़ना चाहती है पर उसे नारी निकेतन में रखा गया है। वह भी उसके खुद के बच्चे के साथ। विक्टिम को जब अदालत में प्रस्तुत किया गया था तो उसने पढ़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन, उसकी इच्छा अधूरी रह गई और वह भी एक साल से। न तो उसका किसी स्कूल में दाखिला करवाया गया है और न ही, उसके बच्चे को एडॉप्शन सेंटर भेजा गया है।

क्या है मामला
बताया जाता है विक्टिम गुमला की है, जिसे मोहल्ले के ही एक युवक ने अपनी हवस का शिकार बनाया और गर्भवती कर छोड़ दिया। मोहल्ले में रह रही एक दीदी ने उसे गुमला सीडब्ल्यूसी भेजा। इसके बाद अदालत ने नियम के तहत दुष्कर्म पीड़िता को 1.50 लाख रुपए दिए। 75 हजार होने वाले बच्चे के लिए और 75 हजार उसके लिए। इसके बाद गुमला सीडब्ल्यूसी ने विक्टिम को नारी निकेतन भेज दिया। फिर उसे प्रोबेशन होम में भर्ती करवाया गया।

सीडब्ल्यूसी चेयरमैन को लगी थी फटकार
मामले में गुमला सीडब्ल्यूसी चेयरमैन शम्भू सिंह की भूमिका संदिग्ध बताई गई है? उस वक्त गुमला जिला जज ने चेयरमैन को फटकार लगाई थी। चेयरमैन पर बच्चा बेचने का भी आरोप लगा था। जज को आशंका थी कि वह पीडि़ता के बच्चे की हेराफेरी कर सकता है। इसलिए उन्होंने पीडि़ता को रांची के नारी निकेतन भेज दिया था। चेयरमैन पर यह भी आरोप लगा था कि गुमला की एक अन्य लड़की को दिल्ली में नौकरी का झांसा देकर ले जाया गया था, जहां उसे गर्भवती कर दिया गया था। इसके बाद वह गांव लौट गई थी, लेकिन गुमला सीडब्ल्यूसी ने उसकी सुधि तक नहीं ली थी।

सीडब्ल्यूसी, जेजेबी फिर सीडब्ल्यूसी में काबिज
शम्भू सिंह एक कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, इस कारण वो कभी सीडब्ल्यूसी, कभी जेजेबी और फिर सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन बनाए गए हैं। उन्होंने सीडब्ल्यूसी में पदस्थापित एक मेंबर को हटा कर सुषमा देवी नामक एक महिला को मेंबर बनाया है। जब बाल संरक्षण आयोग ने गड़बड़ी पकड़ी तो उसका भी मुंह बंद कर दिया गया। अब यह मामला गुमला में एक एमएसडब्ल्यू देख रही है तो उसे भी धमकी दिया जा रहा है।