आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डीडीयू के एग्जामिनेशन कंट्रोलर की सगी भतीजी विश्वविद्यालय परीक्षा में शामिल है, फिर भी वह परीक्षा नियंत्रक के पद पर बने हैं। नियमत: और नैतिक रूप से क्या यह उचित है कि जिस शख्स का कोई अपना परीक्षा दे रहा हो, वह एग्जामिनेशन में की पोस्ट पर तैनात हो? इस संबंध में जब एग्जामिनेशन कंट्रोलर से बात की गई तो उनका जवाब था कि उन्हें नहीं पता कि उनकी सगी भतीजी डीडीयू एग्जाम दे रही है।

एमए फाइनल इयर की है स्टूडेंट

एग्जामिनेशन कंट्रोलर प्रो। एनएन त्रिपाठी के भाई नितेंद्र नाथ त्रिपाठी की बेटी सोनल त्रिपाठी देवरिया के दीनानाथ पांडेय राजकीय महिला पीजी कॉलेज से बतौर रेगुलर स्टूडेंट के एग्जाम दे रही है। वह एमए फाइनल इयर होम साइंस की स्टूडेंट है और उसका रोल नंबर 5811500026 है। अगर यह मान भी लिया जाए कि एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने भतीजी को कोई सपोर्ट नहीं किया होगा तो फिर भी एक नैतिक सवाल रह जाता है। एग्जामिनेशन कंट्रोलर को एग्जाम से जुड़े हर काम को चेक करने के अधिकार हैं। चाहे वह पेपर मॉडरेशन हो, स्ट्रांग रूम हो या फिर कॉपियों का मूल्यांकन।

एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने नहीं दिया डिक्लेरेशन

डीडीयू के रूल्स के अकॉर्डिंग परीक्षा संबंधी गोपनीय कार्यों में जिन लोगों को लगाया जाता है, उन्हें एक डिक्लेरेशन देना होता है कि वे अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेंगे। रूल्स के अकॉर्डिंग एग्जामिनेशन से जुड़े गोपनीय कामों में ऐसे लोगों को नहीं शामिल किया जाता जिसका कोई सगा संबंधी उसी यूनिवर्सिटी के एग्जाम में सम्मिलित है। डीडीयू में इस बार पेपर सेटर से तो डिक्लेरेशन फॉर्म भराए गए हैं, लेकिन एग्जामिनेशन कंट्रोलर से कोई डिक्लेरेशन फॉर्म नहीं भराया गया। उससे इस बात की जानकारी लेने की कोई जरूरत नहीं समझी गई कि क्या उसका भी कोई सगा संबंधी एग्जाम में शामिल हो रहा है या नहीं।

क्या कहता है नियम

डीडीयू ने अपने यहां ‘सगे-संबंधियों’ को कुछ इस तरह डिफाइन किया है-संबंधी जनों में पत्नी, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री या किसी संबंधी की गणना की जाएगी जो प्रश्न पत्र निर्माता पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर हो आते हैं।

इसके उलट स्टेट की दूसरी यूनिवर्सिटीज ने सगे संबंधियों को और भी क्लियर्ली डिफाइन कर रखा है। डॉ। राममनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, बरेली यूनिवर्सिटी, कुमाउं यूनिवर्सिट के साथ ही कई यूनिवर्सिटीज के डिक्लेरेशन लेटर के अनुसार संबंधी का मतलब पुत्र, पुत्री, पत्नी, पौत्र, पौत्री, भाई, भतीजा, बहन, भतीजी, चाचा, चाची, दामाद, पुत्रवधु, साला, साली, धेवता, भाभी, ताऊ, ताई, ममेरा भाई, बहनोई, सरहज, ननद, ननदोई, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, तथा वे सभी संबंधी आते हैं जो कि आर्थिक रूप से परीक्षक पर आश्रित हों।

-------------------

‘ईमानदारी से किया है काम’

इस बारे में एग्जामिनेशन कंट्रोलर प्रो। एनएन त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें अपनी भतीजी के एग्जाम देने का ध्यान नहीं था। उन्होंने कहा कि भतीजी के सब्जेक्ट्स तक उन्हें पता नहीं हैं। प्रो। त्रिपाठी ने कहा कि वह बस इतना जानते हैं कि उन्होंने हमेशा अपना काम इमानदारी से किया है। वह कभी पेपर मॉडरेशन को भी देखने नहीं गए। प्रो। त्रिपाठी के अनुसार उनका पूरा फोकस इस बात को लेकर है कि एग्जाम अच्छे से हो जाएं। उन्होंने कहा कि उनका भाई खुद कमाता है और अपनी फैमिली का पालन पोषण करता है। यूनिवर्सिटी में एग्जामिनेशन कंट्रोलर के लिए डिक्लेरेशन फॉर्म भरने की व्यवस्था के बारे में पूछने पर प्रो। त्रिपाठी ने बताया कि उनको फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं है।

Report by Shailesh Arora

National News inextlive from India News Desk