- कई जगह ट्रैफिक लाइट खराब, लग जाता है जाम

- सही ऑप्शन नहीं मिलने से बढ़ गई है लोगों की परेशानी

- चौक-चौराहों का रीमॉडल करने से ही होगा साल्यूशन

PATNA: चाहे स्कूल जाने का वक्त हो या शाम में ऑफिस से लौटने का वक्त, सड़कों पर हमेशा ट्रैफिक जाम लगा रहता है। स्कूली बच्चों का दम घुटता है तो ऑफिस पहुंचने में देरी होती है। इसकी वजह पीक ऑवर की हेवी ट्रैफिक ही नहीं, एडमिनिस्ट्रेशन की सुस्ती भी जिम्मेवार है। इसके साथ सड़कों पर गाडि़यों की पार्किंग करने की खुली छूट इसे और भयावह बना देती है। कहीं ट्रैफिक पुलिस है भी तो उसका प्रभाव नजर ही नहीं आता है। खासतौर पर हॉस्पिटलों के आस-पास की स्थिति ऐसी कि एक पेशेंट को हॉस्पीटल में जाना किसी चुनौती से कम नहीं लगता है। हैरानी होती है कि यहां पर कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं होता है।

आईजीआईएमएस के सामने हालत पतली

शाम के चार बजे हैं और हॉस्पीटल के मेन गेट पर ही ऑटो इस प्रकार से खड़ा किया गया है कि एक बाइक तक को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन हद तो यह है कि यहां न तो हॉस्पीटल का गार्ड और न ही ट्रैफिक पुलिस इसकी परवाह करते हैं। जो ट्रैफिक पुलिस रहते भी हैं वे कहीं सड़क के किनारे खड़े नजर आते हैं। बेगूसराय से अपने चाचा को इलाज के लिए कुंदन यहां लाया था, लेकिन गेट पर ट्रैफिक की परेशानी के का सामना करना पड़ा। कुंदन ने कहा कि जब चलने-फिरने वाले पेशेंट का यह है, तो एम्बुलेंस के गंभीर पेशेंट का भला क्या हाल होता होगा।

दिन में पोस्ट खाली, रात में लाइट खराब

ट्रैफिक कैसे मैनेज होगा जब ट्रैफिक पोस्ट पर ट्रैफिक पुलिस ही मौजूद न हो। शाम चार बजे जमुना अपार्टमेंट के सामने के ट्रैफिक पोस्ट पर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर की नजर पड़ी, तो देखा कि वहां पोस्ट पर कोई ड्यूटी पर मौजूद नहीं था, जबकि शाम के वक्त ट्रैफिक हर छोर पर जबरदस्त था। वहीं, रात के समय चाहे डाकबंगला, बोरिंग रोड, बेली रोड, हड़ताली मोड़ या कहीं और एरिया का हाल देख लिया जाएं, वहां पर नई ट्रैफिक लाइट तो लगा दी गई है, लेकिन यह प्रॉपर तरीके से काम नहीं कर रहा है। कहीं जल रहा है तो वहंा केवल येलो लाइट ही लगातार जल रही है।

ट्रैफिक लाइट बना कबाड़

भले ही पुराने ट्रैफिक लाइट को बदल दिया गया हो, लेकिन नया ट्रैफिक लाइट भी काम नहीं आ रहा है। कई प्वाइंट्स पर तो लाइट जलती ही नहीं। डाकबंगला पर रात के समय सिर्फ येलो लाइट ही जलता है। यानी रात में भी अगर ट्रैफिक स्मूथली चलाना हो तो मैनुअली ऑपरेट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं। उधर, पुरानी लाइट को हटाने के बाद वहीं पर छोड़ कबाड़ बना दिया गया है। बोरिंड रोड क्रासिंग, डाकबंगला चौक, हड़ताली चौक, एग्जीबिशन रोड जैसे प्रोमिनेंट प्लेस आदि जैसे स्थानों पर इसे वहीं फेंक दिया गया है।

गाडि़यां हैं बेलगाम, चलती रुक-रुककर

शहर में कई गाडि़यां विशेषकर सिटी राइड की बसें खस्ता हाल में हैं, लेकिन ये बिना फिटनेस के ही धड़ल्ले से चल रही हैं। यह सब हो रहा है प्रशासन के नाक के नीचे, लेकिन कार्रवाई के नाम पर बस सिथिल रवैया अपनाया जाता है। यही वजह है कि शहर में न सिर्फ पॉल्यूशन बढ़ रहा है बल्कि कदम-कदम पर रोककर चलने के कारण ये जाम को बढ़ावा दे रहें हैं। स्टेशन से कुर्जी की ओर जाने वाले सिटी राइट की प्राय: यही हाल है।

ट्रैफिक पुलिस क्या करे?

ट्रैफिक पुलिस का काम सिर्फ ट्रैफिक गतिरोध को खत्म करना ही नहीं, बल्कि गाडि़यों की नियमित चेकिंग भी करना है, पर ऐसा प्राय: नहीं हो पाता है। जब वाहनों की चेकिंग होती है तो लोग अपने को किसी प्रभावशाली व्यक्ति का रेफरेंस देकर छूट जाते हैं। कई बार यंग लड़के बहस पर उतर आते हैं। इसके अलावा समय-समय पर रैली, धरना आदि के कारण भी जाम समय-समय पर लगता रहता है। रूल्स तो हैं लेकिन कोई फॉलो करे तब तो बात बने।

क्या हो सही विकल्प?

जाम से बचने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। एक तो इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और दूसरा रस्सी लगाकर ट्रैफिक कंट्रोल का तरीका पुलिस छोड़े, क्योंकि प्राय: इसका पालन कोई नहीं करता। एनआइटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रो। संजीव सिन्हा ने कहा कि चौक-चौराहों के मॉडल में चेंज की जरूरत है। हेवी ट्रैफिक को ध्यान में रखकर इसे रीमॉडल करना चाहिए। ऐसे प्रयोग दूसरे शहरों में हो चुका है।

08 बजे सुबह

करबिगहिया

हमलोग अपने ड्यूटी का सौ परसेंट देते हैं। रोज सुबह के नौ से रात के नौ ड्यूटी करते हैं। हम जाम को खत्म करे या बाहन चैक।

-बेदेन्दु आर्य, ट्रैफिक पुलिस

ख् बजे दोपहर

हाईकोर्ट चौराहा

यह व्यस्त सड़क है। हम यहां क्ख् घंटे की ड्यूटी करता हूं। अगर वीआईपी हुआ तो क्भ् घंटा का ड्यूटी लग जाता है। रोज क्0-क्भ् बाइक पकड़ता हूॅ। कुछ तो पैरवी ला के छुट जाते हैं।

-सुभाष चन्द्र झा, ट्रैफिक पुलिस

ब् बजे शाम

जमुना अपार्टमेन्ट चौराहा

कुछ नहीं हो सकता यहां। एक को पकड़ो तो ख्0 से ख्भ् लोग आकर हंगामा करते हैं। लोग जहां-तहां गाड़ी पार्क कर देते हैं, कुछ कहो तो धमकी देते हैं।

रमेश सिंह, ट्रैफिक पुलिस