-आर्मी के सेक्शन कमांडर का बेटा 12 जुलाई 2011 को अचानक हो गया था लापता

-पुलिस तलाशने के नाम पर उन्ही से गाड़ी और होटल में रखने का लिया खर्च

BAREILLY: 12 जुलाई 2011 की शाम आज भी अर्जुन की मां मुन्नी देवी के सामने आ जाती है। क्योंकि यह वही तारीख है जिस दिन उनका लाल उनकी आंखों से ओझल हो गया था जो 6 साल बाद भी वापस नहीं लौटा। अर्जुन के खोने के गम में मां की रो-रोकर आंखे कमजोर हो गई हैं। पिता भी पुलिस थाने और चौकी के चक्कर लगा लगाकर थक गए हैं लेकिन बेटे का कोई सुराग नहीं लग सका है। पुलिस ने भी ढूंढने के नाम पर उन्हीं की रुपए से गाड़ी और खाने का खर्च लिया लेकिन बेटे को तलाश कर नहीं दिया। इसके बावजूद भी पूरे परिवार को बेटे के वापस आने की उम्मीद है और रोजाना उसके आने की राह देखते हैं।

छत से हुअा था गायब

थाना सुभाषनगर अंतर्गत अटलपुरम कालोनी निवासी राजपाल मिलिट्री हॉस्पिटल में सेक्शन कमांडर हैं। राजपाल के परिवार में पत्‍‌नी मुन्नी देवी, बेटे धर्मेद्र श्रीवास्तव, अर्जुन श्रीवास्तव, विनीत श्रीवास्तव, बेटी ज्योति, लक्ष्मी और आरती हैं। ज्योति की शादी हो गई है और लक्ष्मी बरेली कॉलेज से एमए और आरती अवन्तीबाई कॉलेज से बीए की पढ़ाई कर रही है। उनका बेटा अर्जुन एसएस विद्या मंदिर करगैना में क्लास 9 में पढ़ता था। 12 जुलाई की शाम को मुन्नी देवी का बेटा छत से गायब हो गया था। उसने हाथ से किसी के साथ जाने का इशारा किया था। रात भर तलाशने के बाद भी जब वह नहीं मिला तो पुलिस से संपर्क किया।

पुलिस ने सिर्फ खर्च कराए रुपए

राजपाल बताते हैं कि बेटे की तलाश में उन्होंने पुलिस के काफी चक्कर लगाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अर्जुन को तलाशने के लिए सुभाषनगर पुलिस ने उनके रुपए से ही किराये पर वाहन करवाया। उसके बाद उन्हें शाहजहांपुर, पूरनपुर और रामनगर के पास तलाशने के लिए लेकर गई लेकिन बेटे का सुराग नहीं लगा। यही नहीं इधर उधर घुमाने के बाद उनके ही रुपयों से खाना खाया और नाश्ता किया। जब भी पुलिस से कहा तो बस तलाश रहे हैं का जबाव मिला।

किसी भी काम में नहीं लगता मन

राजपाल नौकरी करते हैं, इसलिए उनका कुछ समय काम में बीत जाता है लेकिन बेटे का चेहरा हमेशा सामने ही रहता है। वहीं मुन्नी देवी तो कभी भी बेटे को नहीं भुला पाती है। उन्होंने बेटी की शादी जरूर कर दी है लेकिन उनका शादी में बिल्कुल मन नहीं लगा। यही नहीं किसी त्यौहार में भी वह गुमशुम से ही रहती हैं। अर्जुन के भाई बहन भी उसकी वापस लौटने की आश लगाए बैठे हैं।

अर्जुन को तलाशने के सभी प्रयास किए गए हैं। पोस्टर छपवाने के साथ सभी जगह डिटेल भी भेजी जा चुकी है।

मुकेश कुमार, एसएचओ सुभाषनगर