BAREILLY: 21 अगस्त 2016 को घर के अंदर से लापता 9 वर्षीय कोहिनूर का दो वर्ष बाद भी सुराग नहीं लग सका है। कोहिनूर रात में घर के अंदर परिजनों के साथ सो रही थी। उसी वक्त घर के अंदर कोई गैलरी के सहारे आया और फिर उठाकर ले गया था। उसके बाद पुलिस ने पास के खेतों में भी तलाश की थी। एक खेत में गीली मिट्टी होने के चलते खोदाई भी गई थी लेकिन नतीजा जीरो निकला था। जब थाना पुलिस उसे तलाशने से थक गई तो परिजनों की मांग पर केस क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया। 15 मई 2018 से क्राइम ब्रांच कोहिनूर की तलाश कर रही है लेकिन उसका सुराग नहीं लग सका है। क्राइम ब्रांच ने नए सिरे से उसके पंपलेट छपवाकर बंटवाए। आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी उसके गायब होने की सूचना दी गई। रिश्तेदारों से भी पूछताछ की गई लेकिन दो महीने बाद भी क्राइम ब्रांच भी खाली हाथ है।

-इस वर्ष अब तक 13 मिसिंग बच्चों का नहीं लगा है सुराग

-थानों की पुलिस बरत रही है लापरवाही, सख्त निर्देश जारी

मिसिंग बच्चों को ट्रेस करने के लिए ट्रेक द मिसिंग चाइल्ड नेशनल पोर्टल बनाया गया है, लेकिन थानों की पुलिस बच्चों को खोजने में कोई इंट्रेस्ट नहीं ले रही हैं। यही वजह है न तो मिसिंग बच्चों का डाटा नेशनल पोर्टल पर किया जा रहा है और न ही वेब पोर्टल की आईडी के साथ अन्य माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एससीआरबी) ने इसको लेकर नाराजगी जाहिर की है। एसएसपी ने सभी थाना प्रभारियों को पोर्टल पर मिसिंग चाइल्ड की डिटेल अपलोड करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं। बरेली में इस वर्ष अब तक 13 बच्चे ऐसे हैं, जो मिसिंग हैं।

थानाें को पोर्टल पर भरनी है डिटेल

सभी थानों को मिसिंग चाइल्ड के नेशनल पोर्टल www.trackthemissingchild.gov.in पर डाटा अपलोडिंग की ट्रेनिंग दी गई है। सभी थानों को यूजर आईडी और पासवर्ड भी दिए गए हैं। जिसके तहत थाने में गुमशुदगी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर मय फोटो के गुमशुदगी का डाटा अपलोड करना होता है। इस संबंध में कई बार डाटा अपलोडिंग का सर्टिफिकेट मांगा गया और यूजर आईडी और पासवर्ड भेजे गए लेकिन थानों ने इंट्रेस्ट नहीं लिया।

सीओ नहीं ले रहे इंट्रेस्ट

स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की ओर से सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और डीजीपी ने सख्त निर्देश जारी किए थे कि इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर के द्वारा मिसिंग पर्सन का डाटा वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। उसके बाद इसे वेबसाइट पर अपलोड डाटा की फोटोकॉपी की जीडी में एंट्री करेंगे। आईओ फोटो प्रिंट और वेबसाइट की आईडी के बिना पर्चा नहीं काटेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। यही नहीं सीओ भी इसकी सही से मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं। जिसकी वजह से गुमशुदगी के प्रचार प्रसार में देरी हो रही है। एसएसपी ने सभी थाना प्रभारियों को जल्द से जल्द डाटा अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा गुमशुदगी दर्ज होने पर 24 घंटे में डाटा अपलोड करने के भी निर्देश दिए हैं।

2006 से अब तक 77 बच्चे हैं गायब

जहां इस वर्ष 5 जुलाई तक डिस्ट्रिक्ट में 13 बच्चे मिसिंग हैं तो वहीं पिछले साढ़े 12 वर्षो यानी जनवरी 2006 से अब तक 77 बच्चे ऐसे हैं, जिनका पुलिस सुराग नहीं लगा सकी है। इन बच्चों को ट्रेस करने के लिए सभी थानों में 5 लोगों की टीम गठित की गई है, जिसमें एक एसआई के अंडर में दो कान्स्टेबल और दो महिला कांस्टेबल की ड्यूटी लगाई गई है।

इस वर्ष मिसिंग 13 बच्चे

-सुमित साहू, उम्र 12 वर्ष, पता सदभावना कॉलोनी कैंट

-सरस्वती देवी, उम्र 15 वर्ष, पता कटघर चौमुखी मंदिर किला

-आकाश, उम्र 10 वर्ष, पता शिव मंदिर के पीछे सुभाषनगर

-बाबू, उम्र 16 वर्ष, पता राजीव कॉलोनी, सुभाषनगर

-रॉकी, उम्र 14 वर्ष, पता दामोदरपुरम, सुभाषनगर

-वीरा, उम्र 16 वर्ष, पता सैदपुर कुर्मियान बिथरी चैनपुर

-शबीना, उम्र 12 वर्ष, पता आलमपुर गजरौला, बिथरी चैनपुर

-सचिन, उम्र 14 वर्ष, पता धनेली शाही

-अजय, उम्र 12 वर्ष, पता मोहल्ला नई कॉलोनी बिलपुर, फतेहगंज पश्चिमी

-भूरी, उम्र 12 वर्ष, पता पनवडि़या, आंवला

-कन्यावती, उम्र 14 वर्ष, पता पृथ्वीपुर पट्टी, सिरौली

-सुमन, उम्र, 16 वर्ष, पता रिठौरा, हाफिजगंज

-तूबा, उम्र 15 वर्ष, पता खेड़ा, रिठौरा हाफिजगंज