Meerut. परिवहन विभाग में घोटालों की लिस्ट लगातार लंबी होती जा रही है. पिछले दिनों पीएफ, बीमा और पेंशन घोटाले के बाद अब दो और नए मामले सामने आए हैं. रोडवेज के भैंसाली डिपो में पिछले करीब 23 साल से तैनात एक वरिष्ठ लिपिक पर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रमोशन पाने का आरोप लगा है. लेकिन गंभीर मसला यह है कि विभाग ने जब इस आरोप की जांच की, तो उसे इस वरिष्ठ लिपिक के पर्सनल डॉक्युमेंट्स की फाइल ही नहीं मिली, इससे मामले का खेल साफ जाहिर हो रहा है. फिलहाल, आरोपों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी गई है.

फर्जी सर्टिफिकेट का मामला

रोडवेज के ही एक कर्मचारी श्रीगोपाल शर्मा ने विभाग में शिकायत की थी कि भैंसाली डिपो पर करीब 23 साल पहले मृतक आश्रित कोटे से भर्ती परिचालक वर्तमान में रोडवेज में वरिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत है. आरोप है कि उसने प्रमोशन के लिए स्पो‌र्ट्स के फर्जी प्रमाण पत्रों का प्रयोग किया है. इन फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर वह साल 2002 में प्रमोशन पाकर बुकिंग क्लर्क बन गया था.

गायब हुई फाइल

इस मामले की शिकायत और जांच की मांग होने के बाद कुछ माह तक रोडवेज के आला अधिकारियों की तरफ से मामला टाला गया लेकिन जांच का दवाब बनने पर जब वरिष्ठ लिपिक के प्रमाण पत्रों की फाइल की तलाश कराई गई तो फाइल ही रोडवेज के रिकॉर्ड से गायब हो गई.

रिश्वत का भी आरोप

रोडवेज में अन्य मामले में विभाग में तैनात वरिष्ठ लेखाकार पर सेवानिवृत कर्मचारी की पेंशन शुरू करने की एवज में 50 हजार रुपये बतौर रिश्वत मांगने का आरोप लगा है. इस मामले में भी मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी गई है.

दोनों मामलों की शिकायत आने के बाद जांच की गई थी. रिश्वत का मामला निराधार है. फिर भी मजिस्ट्रेट स्तर से दोनों मामलों में जांच का आश्वासन दे दिया गया है.

नीरज सक्सेना, आरएम