- मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए दर-दर भटक रहे हैं कैंडिडेट

- हॉस्पिटल्स में लंबी लाइन लगने से मरीजों को भी हो रही परेशानी

ALLAHABAD: काउंसिलिंग जारी है। सभी को अच्छे कॉलेजों में सीट चाहिए। सेंटर्स में टाइमली पहुंचना भी जरूरी है। लेकिन, क्या करें। बरसों पुरानी परंपरा भी तो निभानी होगी। यूपीटीयू और पॉलीटेक्निक काउंसिलिंग में पार्टिसिपेट करने वाले कैंडिडेट्स फिलहाल इसी सिचुएशन के शिकार हैं। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाना जितना अनिवार्य है, उससे भी ज्यादा कठिन है इसे बनवाना। इसके लिए कैंडिडेट्स को हॉस्पिटल्स के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। घंटो लाइन लगानी पड़ रही है। उनकी भीड़ के चलते हॉस्पिटल्स के मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

कड़ी धूप में करना पड़ता है इंतजार

नियमानुसार यूपीटीयू और पॉलिटेक्निक काउंसिलिंग में मेडिकल सर्टिफिकेट लगाना जरूरी है। यही रीजन है कि फ्0 से ब्0 हजार कैंडिडेट्स को अगले कुछ दिनों के भीतर इसे बनवाना होगा। ऐसे में सरकारी हॉस्पिटल्स में इन दिनों जबरदस्त भीड़ लगी हुई है। हजारों की संख्या में कैंडिडेट्स कड़ी धूप में अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं। हालात यह हैं कि फ्राइडे को बेली और कॉल्विन में हॉस्पिटल में दो से ढाई हजार कैंडिडेट पहुंचे थे तो शनिवार को इस संख्या और इजाफा हो गया।

बड़ा लंबा प्रॉसेस है

एक मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने में कैंडिडेट को काफी लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले लाइन में लगकर दो रुपए का फॉर्म लेना पड़ता है। इसके बाद चेस्ट फिजीशियन फिर ईएनटी सर्जन और अंत में आई स्पेशलिस्ट से जांच कराकर रिपोर्ट लगानी पड़ती है। केवल इसी प्रॉसेस में चार से पांच घंटे लग जाते हैं। अंत में सर्टिफिकेट पर सीएमएस के साइन होते हैं, जिसमें भी काफी टाइम लग जाता है। कुल मिलाकर हॉस्पिटल्स में ऐसे कैंडिडेट भी मिले जिनको सुबह सात बजे से लेकर शाम पांच बजे तक सर्टिफिकेट के लिए इंतजार करना पड़ा।

मरीज भी हैं परेशान

गर्मी के सीजन में वैसे भी हॉस्पिटल्स की ओपीडी में जबरदस्त रश चल रहा है। रोजाना दो से तीन हजार नए मरीज पहुंच रहे हैं तो वार्ड भी फुल हैं। इसी बीच मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर पहुंचने वाली दो से ढाई हजार कैंडिडेट्स की भीड़ ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। खुद डॉक्टर्स भी परेशान हैं कि वह मरीज को तरजीह दें या कैंडिडेट्स को। दोनों की जरूरतें अपनी जगह इम्पार्टेस रखती हैं।

सीएमओ ऑफिस ने किया इंकार

हालांकि मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने की जिम्मेदार सरकारी हॉस्पिटल के अलावा हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिस की भी होती है। लेकिन, पहले से काम के लोड को देखते हुए चीफ मेडिकल ऑफिसर ने अपने ऑफिस में इस पर रोक लगा दी है। बताया जाता है कि फ्राइडे को कुछ कैंडिडेट्स ने यहां उत्पात भी मचाया था जिसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स ने अपने यहां इस सिस्टम को बंद कर दिया। ऑफिसर्स का कहना है कि पहले से ही विकलांग और अमरनाथ यात्रा पर जाने वालों का सर्टिफिकेट बनाया जा रहा है, ऐसे में कैंडिडेट्स को बुलाने से व्यवस्था चरमरा सकती है।

जारी है सिफारिश का दौर

इतना ही नहीं, दोहरी मार से जूझ रहे हॉस्पिटल्स के डॉक्टर्स इन दिनों सिफारिश से भी परेशान चल रहे हैं। फटाफट मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उनके पास लगातार फोन कॉल्स आते रहते हैं। ऐसे लोग रुपए-पैसे का लालच देने से भी नहीं चूकते। फिलहाल डॉक्टर्स का कहना है कि सर्टिफिकेट तो एडमिशन के बाद भी जमा किए जा सकते हैं, इस तरह से अचानक हजारों कैंडिडेट्स के आ जाने से काफी परेशान होना पड़ रहा है।

- सुबह आठ बजे से आए हुए हैं। फॉर्म भरकर जमा कर दिया है। अब डॉक्टर्स के बुलावे का इंतजार है। जांच के बाद हमें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। काफी लंबी लाइन लगी है।

विनय कुमार, कौशाम्बी डिस्ट्रिक्ट

-पूरी जांच होने में चार से पांच घंटे लग गए। बताया गया है कि सर्टिफिकेट मिलने में देर लगेगी। काफी तेज धूप है। एक दिन बाद काउंसिलिंग में भी शामिल होना है।

अंकित सिंह, कालिंदीपुरम

-सुबह से आकर बैठे हैं। अब शाम को पांच बजे बुलाया है। कल भी आए थे लेकिन दोपहर के क्ख् बजे के बाद उन्होंने फॉर्म देने से इंकार कर दिया। जिससे आज दोबारा आना पड़ा है।

अमरजीत सिंह, तेलियरगंज

-एक मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने में छह से आठ घंटे लग जा रहे हैं। गवर्नमेंट को इसके लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए। हजारों कैंडिडेट्स आखिर जाएं तो कहां जाएं।

राहुल, बलिया डिस्ट्रिक्ट

-दो दिनों से हॉस्पिटल में काफी भीड़ हो रही है। इसलिए हमने मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए अलग से एक बिल्डिंग दे दी है। ताकि, ओपीडी में आने वाले मरीजों को दिक्कत का सामना न करना पड़े। बावजूद इसके भीड़ इतनी ज्यादा है कि प्रॉब्लम क्रिएट हो रही है।

डॉ। सुरेश द्विवेदी, सीएमएस बेली हॉस्पिटल

-गर्मी के सीजन में ओपीडी पहले से हाउसफुल चल रही है। हजारों की संख्या में मरीज आ रहे हैं, उन्हीं के बीच में हजारों बच्चों का मेडिकल सर्टिफिकेट बनाना मुश्किल साबित हो रहा है। मरीज और बच्चों को एक साथ मैनेज करने में परेशानी हो रही है।

डॉ। एआर सिंह, सीएमएस कॉल्विन हॉस्पिटल