RANCHI: निर्मल हृदय में 10 गर्भवती युवतियों को रखा जाता था और जब मिशनरीज ऑफ चैरिटी के तहत विदेशी फंड लेना होता था, तो उसे 100 बताया जाता था। यह खुलासा निर्मल हृदय के जब्त रजिस्टर की जांच के बाद महिला व बाल विकास विभाग द्वारा किया गया है।

दुमका, पाकुड़, गुमला, चाईबासा, खूंटी की विक्टिम

जांच में पाया गया कि राज्य के दुमका, पाकुड़, गुमला, चाईबासा और खूंटी से गर्भवती युवतियां लाई जाती थीं, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता था। जब सीडब्ल्यूसी की नजर में ये बात आई तो पूछताछ में कहा जाता था कि संस्था में चार से पांच युवतियां ही हैं। जबकि सीडबल्यूसी में आई पीडि़त युवतियों से पूछा जाता था तो कहा जाता था कि वहां पर 15 से 20 युवतियों को रखा गया है। इन युवतियों को सेवा भाव करने की बात कहकर सिस्टर द्वारा रांची भेज दिया जाता था।

गर्भवती व मजबूर लड़कियां ढूंढते थे

राज्यभर में फैली इन संस्थाओं द्वारा स्थापित शेल्टर होम की सिस्टर गर्भवती और मजबूर लड़कियों को यहां लाती थी और बच्चा नहीं होने तक उसकी सेवा की जाती थी। इधर, जब बच्चा हो जाता था तो संस्था में मां को दस दिन और बच्चों की देखभाल के लिए अस्पताल से लाया जाता था। फिर, मां-बाप पर यह दबाव बनाया जाता था कि बच्चा ले जाना चाहते हो या नहीं? फिर समाज की दुहाई देकर बच्चे को रख लिया जाता था और उसकी मां को मां-बाप के साथ भेज दिया जाता था।