- एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला

- नहीं दर्ज की गयी कोई एफआईआर, परिजनों का पत्र भी नहीं भेजा सीबीआई को

LUCKNOW :

एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले की सीबीआई जांच यूपी पुलिस के अफसरों की खींचतान की भेंट चढ़ गयी। यही वजह है कि सीबीआई ने इस केस को टेकओवर करने से मना कर दिया। दरअसल राजेश की मौत के बाद परिजनों और पीपीएस एसोसिएशन की मांग को मद्देनजर रखते हुए सीएम योगी ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश तो दिए पर जिम्मेदार अफसरों ने इसे लेकर समय रहते औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं। इनमें राजेश की मौत को लेकर स्थानीय थाने में कोई एफआईआर दर्ज न होना और परिजनों से सीबीआई जांच का अनुरोध पत्र लेकर उसे निर्धारित प्रोफार्मा में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को नहीं भेजना शामिल है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई ने इन कमियों को आधार मानते हुए इस प्रकरण की जांच अपने हाथों में नहीं ली।

सीबीआई की जरूरत नहीं

दरअसल सीबीआई मुख्यालय ने इस बाबत लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय से पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था ताकि तय किया जा सके कि केस सीबीआई जांच के लायक है कि नहीं। सीबीआई के अफसरों ने जब पड़ताल शुरू की तो पता चला कि इसमें तो एफआईआर तक नहीं लिखी गयी। साथ ही परिजनों से कोई पत्र भी नहीं लिया गया जो जरूरी होता है। इससे यह तय होता है कि पीडि़त पक्ष को कोई शिकायत है कि नहीं। इनके अभाव में सीबीआई ने नई दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी रिपोर्ट में लिखा कि इन कमियों की वजह से सीबीआई को इस मामले की जांच नहीं टेकओवर करनी चाहिए। सीबीआई एक विशेषज्ञ एजेंसी है और इस प्रकरण में उसके द्वारा जांच किए जाने का कोई ठोस आधार नहीं है।

अंदरूनी खींचतान अब भी जारी

एएसपी राजेश साहनी की मृत्यु को भले ही तीन माह बीतने को हैं पर इसे लेकर अफसरों के बीच आपसी खींचतान अब भी जारी है। गुरुवार को अचानक यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया जब एटीएस के आईजी असीम अरुण ने डीजीपी को पत्र लिखकर जांच अधिकारी पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने जांच को भी सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह एटीएस के मनोबल को गिराने और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए रचा गया कुचक्र है। उन्होंने जांच टीम में शामिल एएसपी अजय मिश्र को लेकर भी आपत्ति जताई है। डीजीपी ने उनका पत्र मिलने के बाद इस मामले में चुप्पी साध ली जबकि जांच अधिकारी एडीजी लखनऊ राजीव कृष्णा ने इसपर कोई टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया। अब देखना यह है कि डीजीपी इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और एडीजी की रिपोर्ट का क्या भविष्य तय करते हैं।

एटीएस से ट्रांसफर कराना चाहते थे साहनी

आईजी एटीएस ने भले की अपने बचाव में डीजीपी को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा और राजेश साहनी की आत्महत्या करने की वजह कार्यालय न होकर बाहरी बताया है पर राजेश की पत्‍‌नी सोनी साहनी की मानें तो वह एटीएस से अपना तबादला कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई बार प्रयास भी किए पर कोई सुनवाई नहीं हुई। आईजी द्वारा डीजीपी को पत्र देकर जांच पर सवाल उठाना भी परिजनों को रास नहीं आया है। राजेश की पत्‍‌नी ने कहा कि उनका परिवार एडीजी की जांच से पूरी तरह संतुष्ट है। उन्होंने आत्महत्या की बाहरी वजह पर भी कहा कि परिवार के बीच ऐसी कोई बात नहीं थी जो राजेश को आत्महत्या करने पर मजबूर करती।