- प्रदेश में अचानक रेप की बढ़ी शिकायतों का यह है एक रूप

- झूठी एफआईआर कराने वाले पर नहीं होती कार्रवाई

- आरोपित को कोर्ट के फैसले से पहले ही मान लेते हैं आरोपी

LUCKNOW: प्रदेश में अचानक रेप की घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है। बदायूं की घटना के बाद शुरू हुआ यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। घटना सच्ची है या झूठी यह तो बाद में पता चलता है लेकिन उतनी ही देर में आरोपी की फजीहत हो जाती है और शुरू हो जाता है समाज में बायकॉट। लेकिन, उस व्यक्ति को बदनाम करने वालों के खिलाफ कभी कुछ नहीं होता। शायद इसीलिए इस तरह की एफआईआर पर और इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है।

नहीं होती फेक एफआईआर कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई

मामला लखनऊ का हो या फिर हमीरपुर थाने का। दोनों ही जगह एविडेंस पूरी तरह आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ थे। इस वजह से आरोपी गलत तरीके से फंसने से बच गये। लेकिन, जरा उन घटनाओं के बारे में भी सोचिये जिसमें जिस पर आरोप लगता है और उसके पास कोई सुबूत नहीं होता। जेल के सिवाय और मुकदमा लड़ने के सिवाय उसके पास कोई चारा नहीं होता।

इसलिए नहीं होती कार्रवाई

एफआईआर अगर किसी ने फर्जी करायी है या झूठी करायी है तो उसके लिए आईपीसी की धारा क्8ख् के तहत कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन, इस कार्रवाई में अक्सर पुलिस कर्मियों को ही परेशान होना पड़ता है। सूत्रों की मानें तो अगर किसी के खिलाफ क्8ख् के तहत कार्रवाई हो गयी और आरोपी ने जांच ट्रांसफर कराने में कामयाबी हासिल कर ली और जांच सीबीसीआईडी या दूसरी विंग से हो गयी तो सम्बंधित एसओ या पुलिस कर्मी की फजीहत होने लगती है। इसीलिए अधिकतर एसओ और एसएचओ क्8ख् की कार्रवाई से बचते हैं।

लखनऊ में हो चुकी हैं कई घटनाएं

चार दिन पहले लखनऊ के जानकीपुरम में एक प्लॉट पर कब्जा करने को लेकर हुए विवाद में महिला वकील ने कुछ डॉक्टर्स और एयरफोर्स कर्मी के खिलाफ रेप का मामला भी दर्ज हो गया। लेकिन जब घटना का वीडियो सामने आया तो एफआईआर को स्पंज कर दिया गया लेकिन महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

मुझे कोई सफाई नहीं देनी, मैं गलत हूं तो जेल भेज दो

हमीरपुर के समीरपुर थाने में जिस राहुल पाण्डेय नाम के दरोगा पर आरोप लगाया गया था उसने अपने पक्ष में सफाई देने के बजाय उसने अपने एसओ से ही कह दिया कि साहब अगर आपको लगता हो कि मैं दोषी हूं तो आप मुझे जेल भेज दीजिये, मुझे कोई एतराज नहीं होगा। जांच में पता चला कि राहुल पाण्डेय जिस समय की घटना बतायी गयी उस समय थाने पर था ही नहीं। बाद में पुलिस ने उसे क्लीन चिट दे दी।

थानों में है सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव

इस तरह के आरोपों और घटनाओं को रोकने के लिए कुछ दिन पहले डीजी ऑफिस को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें राजधानी के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही गयी थी। लेकिन, डीजी ऑफिस में यह प्रपोजल पेंडिंग पड़ा है। माना जा रहा है कि प्रदेश के नये बजट सेशन में प्रदेश भर के थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने के लिए अलग से बजट दिया जाएगा।