-बर्बाद हो रहा पानी, जलकल विभाग नहीं कर रहा निगरानी

-फाइलों में ही दबा रह गया मीटर कनेक्शन का प्लान

VARANASI

शहर पानी की किल्लत से जूझ रहा है। पानी बचाने के स्लोगन आपको शहर की गली-चौराहों पर नजर आ जाएंगे। इसके बावजूद पानी की जबरदस्त बर्बादी हो रही है। सार्वजनिक नल खराब हैं या उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए घरों में पानी का मीटर लगाया जा रहा और न किसी तरह की निगरानी हो रही है। चौंकाने वाली बात ये भी है कि शहर में हजारों ऐसे घर भी है जहां मात्र एक कनेक्शन लेकर कई परिवार पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। विभागीय अधिकारी किसी पर कार्रवाई कर रहे न ही टैक्स वसूल पा रहे हैं।

पानी में मीटर का प्लान

दशकों पहले ही घरों में पानी का मीटर लगता था। जिसकी रीडिंग के जरिए ही बिल जनरेट होता था। वक्त के साथ विभाग की उदासीनता के चलते मीटर गायब होते गए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 12 साल पहले सरकार ने खुद ही पानी के लिए मीटर की व्यवस्था समाप्त करने का फरमान जारी किया था। इसकी वजह मीटर की मॉनीटरिंग और उसके मेंटेनेंस पर आ रहा खर्च था। हालांकि 5-6 महीने पहले दोबारा से मीटर लगाने को लेकर प्लानिंग हुई थी। लेकिन अभी तक इस कोई चर्चा नहीं हो सकी।

कनेक्शन में झोल

मोटे तौर पर देखे तो वर्तमान में जलकल विभाग के पास मात्र एक लाख आठ हजार कनेक्शन का डेटा है। जबकि नगर निगम की लिस्ट में एक लाख 91 हजार घर दर्ज हैं। 23 हजार कमर्शियल भवन हैं। सवाल उठता है कि क्या एक लाख घरों में पानी का कनेक्शन नहीं है? या फिर एक कनेक्शन से दो मकान में सप्लाई हो रहा है। इसमें झोल नजर आ रहा है। जलकल के अधिकारियों का कहना है कि विभाग अब मेंटेनेंस का काम देखता है कनेक्शन हिसाब जल निगम देगा।

डेटाबेस में लापरवाही

साफ तौर पर नजर आता है कि जलकल विभाग डेटाबेस मेंटेन करने में लापरवाही बरतता है। डिपार्टमेंट ने जहां वाटर कनेक्शन दिया है उसका रिकार्ड मेंटेन है। बिना कनेक्शन वाले और मल्टीपल कनेक्शन लेने वाले घरों का रिकार्ड दर्ज करने में लापरवाही बरती गई। इससे जलकल का रेवेन्यू भी घटा। पिछले काफी समय से जलकल की ओर से सर्वे न किए जाने से ऐसी तस्वीर सामने आ रही है।

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एक नजर

- 1.91 लाख भवन हैं शहर में

- 1.8 लाख वाटर कनेक्शन

- 23 हजार कामर्शियल भवन निगम के रिकार्ड में

- 6 हजार कामर्शियल भवन जलकल के रिकॉर्ड में

ऐसा नहीं है कि विभाग की नजर पानी बबार्द करने वालों पर नहीं है। रही बात मीटर की तो इसकी जिम्मेदारी जन निगम को मिली है।

रघुवेन्द्र कुमार, सचिव, जलकल