- भाजपा के कई प्रत्याशियों ने की थी बगावत

- सपा प्रत्याशियों के आगे टेक दिए थे घुटने

- जांच के बाद भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं

LUCKNOW: एमएलसी चुनाव में पार्टी से बगावत करने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ जांच अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष ने नामांकन वापस लेने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ जांच का जिम्मा कई वरिष्ठ नेताओं को सौंपा था। जांच रिपोर्ट विगत छह मार्च को प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी जानी थी। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। किसी ने उसके पन्ने पलटने तक की जहमत तक नहीं उठाई। पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे सार्वजनिक करने से कतरा रहे हैं.अब गेंद नये प्रदेश अध्यक्ष के पाले में डाल दी गयी है कि वे ही इस बाबत कोई निर्णय लेंगे।

कई प्रत्याशियों ने दिया था दगा

भाजपा ने एमएलसी चुनाव में 28 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। भाजपा के तमाम राष्ट्रीय नेताओं के क्षेत्र में जिन्हें टिकट दिया गया, उन्होंने ही ऐन वक्त पर पार्टी को दगा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लखनऊ-उन्नाव से अनिरुद्ध सिंह को प्रत्याशी बनाया था। अनिरुद्ध ने आखिरी वक्त में अपना नामांकन वापस ले लिया था। मेरठ में सपा से आये वीरेन्द्र सिंह को टिकट देना बड़ी भूल साबित हुआ और उन्होंने नामांकन के अगले दिन ही भाजपा छोड़कर फिर सपा का दामन थाम लिया। आगरा में बीजेपी प्रत्याशी टीपी सिंह ने अपना अपहरण होने की बात कह कर पर्चा ही दाखिल नहीं किया जबकि हमीरपुर-बांदा में आनंद त्रिपाठी ने अपना पर्चा वापस ले लिया। वहीं सीतापुर में भाजपा प्रत्याशी ने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए पर्चा ही दाखिल नहीं किया था। बाद में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने अनिरुद्ध सिंह और आनंद त्रिपाठी को पार्टी से निलंबित कर दिया था।

इनको दी गयी थी जांच

एमएलसी चुनाव में हुई इस किरकिरी के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डा। लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही को आगरा क्षेत्र, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा। रमापतिराम त्रिपाठी को बांदा क्षेत्र, प्रदेश उपाध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ल को मेरठ क्षेत्र तथा सतीश महाना को लखनऊ-उन्नाव क्षेत्र की जांच का जिम्मा सौंपा था। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं ने अपनी जांच रिपोर्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सौंप दी थी जिसके बाद उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

जांच रिपोर्ट मुझे मिल गयी थी लेकिन मेरा कार्यकाल समाप्त होने वाला था। नये प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती होने की वजह से मेरा इस बारे में कोई निर्णय लेना उचित नहीं था। मैंने रिपोर्ट नये प्रदेश अध्यक्ष के कार्यालय को सौंप दी है। अब वे ही इस बाबत कोई निर्णय लेंगे।

-डॉ। लक्ष्मीकांत बाजपेई

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष