- सिर के करीब मोबाइल रखकर सोना हो सकता है खतरनाक

- हो सकते हैं ब्रेन ट्यूमर के शिकार, जेब में रखना भी हॉर्मफुल

ALLAHABAD: सुबह जल्दी उठने के लिए मोबाइल में अलॉर्म लगाकर सिर के करीब रखकर सोना आपकी आदत बन चुकी है। लेकिन, क्या आपको पता है कि यह हैबिट जानलेवा साबित हो सकती है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि डॉक्टर्स की राय ही कुछ ऐसी है। इसके अलावा ज्यादा देर तक मोबाइल पर बात करना और हमेशा जेब में रखना भी खतरनाक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि आपकी आदतें कैसे नुकसान पहुंचाती हैं।

सिर में दर्द होने लगे तो होशियार हो जाएं

आज की भागमभाग भरी जिंदगी में अधिकतर लोगों की आदत सिर के नजदीक या तकिए के नीचे मोबाइल फोन रखकर सोने की हो गई है। डॉक्टर्स की नजर में यह हॉर्मफुल है। मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स की वजह से ब्रेन ट्यूमर की समस्या सामने आ सकती है। इसका पहला लक्षण सिर में तेज दर्द होना है। इससे बचना है तो अभी से यह आदत बदल डालिए। देश-विदेश में होने वाली कई रिसर्चेज में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है।

पैंट की जेब में मोबाइल फोन रखना खतरनाक

बड़ी संख्या में लोग अपना मोबाइल फोन पैंट की जेब में रखना पसंद करते हैं। इसे वह ईजी टू यूज मानते हैं लेकिन उनकी यह हैबिट भी खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में उन पर नपुंसकता का खतरा मंडराने लगता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से टेस्टिस में बनने वाले स्पर्म की संख्या कम होने लगती है। जानकारी के मुताबिक टेस्टिस में हाइली मल्टीप्लाइंग सेल्स होती हैं जो स्पर्म बनाने में हेल्प करती हैं। इनमें डिस्टर्ब होने से नपुंसकता के आसार बनने लगते हैं।

महिलाओं पर भी मंडरा रहा खतरा

जो महिलाएं जींस पहनती हैं और जेब में मोबाइल लेकर चलती हैं उनको भी होशियार हो जाना चाहिए। रेडिएशन के चलते उनकी ओवेरी में भी बनने वाले अंडाणु की संख्या भी प्रभावित होने के चांसेज बनने लगते हैं। हालांकि ओवेरी बॉडी के काफी अंदर होने की वजह से नुकसान के चांसेज काफी कम होते हैं लेकिन लांग टाइम इफेक्ट से ऐसा संभव हो सकता है।

साउंड वेव्स से कम होता है नुकसान

अगर आपको मोबाइल फोन लंबी बात करने की आदत है तो ईयरफोन का इस्तेमाल करें या स्पीकर ऑन कर लें। ऐसा नहीं किया तो कान के पर्दे पर खराब असर पड़ने से बहरापन हो सकता है। डॉक्टर्स भी मानते हैं कि फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के मुकाबले साउंड वेव्स कम खतरनाक होती हैं। कम क्षमता वाली साउंड वेव्स कान के पर्दे को कम नुकसान पहुंचाती हैं।

हो चुकी है स्टडी

ईएनटी सर्जन डॉ। एसएस कपूर कहते हैं ये आदतें ह्यूमन बॉडी के लिए काफी हॉर्मफुल हैं। उन्होंने मोबाइल रेडिएशन से होने वाले नुकसान को परखने के लिए बलुआघाट व उसके आसपास के एरियाज में स्टडी की थी। वह बताते हैं कि हाइली डेंसिटी पॉपुलेशन वाले इस इलाके में मोबाइल टॉवर के नजदीक रहने वालों में कई तरह के चेंजेज देखने को मिले। उनका टेस्ट करने के बाद पता चला कि इनके जीवन में काफी तेजी से बदलाव आ रहे हैं। डॉ। कपूर के मुताबिक अधिक आबादी वाले इलाकों में मोबाइल टॉवर लगाने की परमिशन पर रोक लगनी चाहिए।

सस्ते मोबाइल फोन से बचना

यह बात भी सच है कि सस्ते मोबाइल फोन की अपेक्षा ब्रांडेड कंपनियों के फोन ज्यादा सेफ होते हैं। इनसे निकलने वाला रेडिएशन काफी कम होता है। वही कुछ कंपनियां अधिक फीचर्स और क्वालिटी वाले सस्ते फोन बनाकर बेच रही हैं। इनमें लगे साफ्टवेयर ज्यादा मात्रा में रेडिएशन फैलाते हैं जो यूजर के लिए खतरनाक होता है। मार्केट में बिकने वाले सस्ते चाइनीज फोन सबसे ज्यादा रेडिएशन फैलाने की श्रेणी में आते हैं।