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LUCKNOW: इकतरफा मुहब्बत के लिये इंस्पेक्टर कातिल बन जाए, यह न पहले कभी किसी ने सुना न ही देखा. 29 मई 2013 की वह खूनी रात जब अज्ञात शूटरों ने इंदिरानगर के फरीदीनगर में एक मकान में घुसकर 12 वर्षीय माज की हत्या कर दी. जांच में जुटी पुलिस टीमें हैरान थीं कि इतनी कम उम्र के बच्चे से किसी की क्या रंजिश. हत्यारों और हत्या की वजह का कोई सुराग नहीं लग रहा था. आखिरकार तत्कालीन एसएसपी जे. रविन्दर गौड ने परिजनों के मोबाइल फोन की सीडीआर निकलवाई. जिसके बाद केस की कडि़यां सिलसिलेवार ढंग से खुलती चली गई. जांच के बाद जो हकीकत सामने आई उसने सभी को हैरान कर दिया. यह हत्या क्राइम ब्रांच के तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय राय ने भाड़े के शूटरों से अंजाम दिलाई थी. इस खुलासे ने पुलिस को सन्न कर दिया.

 

घर में घुसकर की थी हत्या

इलाहाबाद निवासी किसान खुर्शीद अहमद का बेटा माज इंदिरानगर के फरीदीनगर में अपनी बुआ हुस्नबानों के घर रहकर पढ़ाई करता था. 29 मई 2013 की रात करीब 10.30 बजे माज तख्त पर लेटकर टीवी देख रहा था. इसी दौरान दरवाजे पर दस्तक हुई. माज के छोटे भाई फैजान ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही घर में घुसे बदमाशों ने लेटे माज पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस दौरान वे हुस्नबानों के बेटों अदीम व नदीम का नाम ले रहे थे. शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने आशंका जताई कि बदमाशों के निशाने पर कोई दूसरा सदस्य था. उसके धोखे में माज पर गोलियां दागी गई. हालांकि, हत्या की वजह और रंजिश का पता न लग पाने की वजह से पुलिस खुद को बेबस पा रही थी.

 

सीडीआर से मिला सुराग

जांच का कोई सिरा न मिलने की वजह से परेशान पुलिस हवा में तीर चला रही थी. इसी बीच तत्कालीन एसएसपी जे. रविन्दर गौड ने अपनी सर्विलांस सेल को परिजनों के मोबाइल फोन की सीडीआर निकालने को कहा. सीडीआर में मृतक माज की फुफेरी बहन के मोबाइल फोन की डिटेल ने पुलिस का शक गहराया. उसमें एक नंबर अकमल नाम के शख्स का था, जिससे उसकी लंबी बात होती थी. इसके साथ ही क्राइम ब्रांच के तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय राय की भी उससे कई बार बात की तस्दीक थी. पुलिस ने अकमल को दबोचकर पूछताछ की. अकमल ने बताया कि वह घटना के दिन नैनीताल में था. लोकशन से इसकी पुष्टि भी हुई. हालांकि, उसने पूछताछ में इंस्पेक्टर संजय राय पर शक जताया.

 

अकमल को फंसाने की रची थी साजिश

टीमों ने संजय के मोबाइल फोन की डिटेल खंगाली तो उसकी भी माज की फुफेरी बहन से लंबी बातचीत की पुष्टि हुई. पता चला कि उस वक्त मुथूट फाइनेंस में हुई लूट के नाम पर संजय ने माज की फुफेरी बहन का मोबाइल भी सर्विलांस पर ले लिया. जिसके बाद उसके व उसके करीबी अकमल के बीच बातचीत सुनकर उसके होश उड़ गए. उसने अकमल फंसाने के लिये माज की फुफेरी के भाई की हत्या की साजिश रची. इसके लिये उसने पूर्वाचल से शूटरों सुनील उर्फ पहलवान, रिंकू शुक्ला, बंटी और अतुल उर्फ मामा को बुलाया. इन्हीं बदमाशों ने धोखे में माज की हत्या कर दी. हत्या के बाद इंस्पेक्टर संजय ने माज के परिजनों को अकमल का नाम लेने के लिये उकसाया. हालांकि, पुलिस की जांच में संजय की करतूत का खुलासा हो गया. जिसके बाद पुलिस ने इंस्पेक्टर संजय राय व चारों शूटरों को अरेस्ट कर लिया. साथ ही इंस्पेक्टर संजय राय को यूपी पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया.

माज की हत्या की जांच में इसके पीछे की वजह का पता नहीं चल रहा था. परिजनों की सीडीआर निकलवाई गई तो उसकी फुफेरी बहन के मोबाइल फोन की डिटेल ने पुलिस को जांच की दिशा दे दी और आखिरकार इसका सफल अनावरण हो सका.

- जे. रविन्दर गौड, तत्कालीन एसएसपी