Scene-1

लक्सा के संजीव त्रिपाठी का महंगा मोबाइल मंदिर में दर्शन करने के दौरान चोरी हो गया। रिपोर्ट लिखाने के लिए वह लक्सा थाने पहुंचे। तहरीर लिखकर दी लेकिन थाने में उनके अप्लीकेशन पर मुहर लगाते हुए उन्हें रिसीविंग थमा दी गई। रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।

Scene-2

पाण्डेयपुर के रहने वाले कृष्ण कुमार का मोबाइल चोरों ने घर से उड़ा दिया। महंगा मोबाइल वापस पाने की आस में कैंट थाने पहुंचे। टै्रकिंग एप्स की वजह से उन्हें पता भी चल गया कि मोबाइल में कौन सा नया नम्बर यूज हो रहा है। उन्होंने अप्लीकेशन में इसे मेंशन भी किया। मगर ना तो रिपोर्ट दर्ज हुई ना ही पुलिस ने मोबाइल बरामद करने में इंटरेस्ट लिया।

 

Scene-3

दुर्गाकुण्ड के रहने वाले चंद्रकिशोर सिंह का मोबाइल भी मंदिर में दर्शन करने के दौरान चोरी चला गया। भेलूपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे। काफी तीन-पांच के बाद सिर्फ अप्लीकेशन ली गई। रिपोर्ट दर्ज नहीं हुआ। 25 हजार का मोबाइल खोने के बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं आया।

घटनाएं बढ़ी, रिपोर्ट नहीं

ये तो सिर्फ तीन केस हैं। जबकि रोजाना अपने शहर में कम से कम एक दर्जन लोगों के मोबाइल कब और कैसे निकल जा रहे हैं, ये उन्हें एहसास तक नहीं होता। देखा जाए तो सिटी में मोबाइल चोरी सबसे बड़ा क्राइम है जिसका शिकार रोजाना 10 से 15 लोग होते हैं। इसके बावजूद पुलिस के क्राइम रिकार्ड में मोबाइल चोरी की वारदातें आलमोस्ट जीरो हैं। मोबाइल चोरी की रिपोर्ट सिर्फ उन्हीं केसेज में दर्ज होती है जिसमें मोबाइल के साथ कैश, वॉलेट, लैपटॉप या दूसरी कीमती चीजें चोरी जाती हैं।

हाट केक हैं चोरी के मोबाइल

मोबाइल चोरी आज चोरों के लिए सबसे मुनाफे का सौदा है। वजह ये है कि यदि चोरी पकड़ी भी जाये तो उनके खिलाफ कोई केस नहीं दर्ज रहता। पुलिस को दूसरे किसी मामले में, जैसे डायजापाम की गोली, गांजा या किसी वेपन के साथ उसे अंदर करना पड़ता है। जबकि मोबाइल हाथ में आने के साथ ही चोर उसे हाट केक की तरह बेचते हैं। जितना महंगा मोबाइल, उतनी अच्छी कीमत। एक अच्छे मल्टीमीडिया फोन की चोर मार्केट में कीमत 10 हजार तक मिल जाती है। जबकि चोरी में रिस्क बहुत कम होता है।

 

इंफार्मेशन देने का भी खर्चा

चोर जहां मोबाइल चोरी में ज्यादा मुनाफा कमाते हैं वहीं विक्टिम को चोरी के बाद दूसरा झटका लगता है थाने पर। एफआईआर तो होती नहीं है हां, थाने पर सूचना देना जरूरी होता है। ताकि मोबाइल मिस यूज के केस में विक्टिम बच सके और गुम मोबाइल नम्बर के लिए दूसरा सिम एलॉट करा सके। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी इसके लिए थाने में गुमशुदगी की इंफार्मेशन से रिलेटेड अप्लीकेशन की रिसीविंग मांगती हैं। ये इंफार्मेशन देने में ही विक्टिम को 100 से 200 रुपये तक एक्ट्रा खर्च करने पड़ जाते हैं।

अब गैजेट्स हैं चोरों के फेवरेट

मोबाइल चोरी में मुनाफा कमाने वाले चोरों को अब तरह तरह के गैजेट्स कहीं ज्यादा फायदा दे रहे हैं। इसमें लैपटॉप, टैबलेट, कैमरा चोरों के निशाने पर रहते हैं। मोबाइल के साथ लैपटॉप, टैबलेट और कैमरा चोरी की घटनाएं दिनों दिन बढ़ रही हैं। वजह सिर्फ एक है, रिपोर्ट दर्ज नहीं होती और इनकी ग्रे मार्केट में अच्छी कीमत मिल जाती है। पुलिस भी रिकवरी में बहुत इंटरेस्ट नहीं लेती।

ना जाना मोबाइल रिकवरी सेल में

मोबाइल चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस डिर्पाटमेंट की ओर से मोबाइल रिकवरी सेल बनाया गया था। इसमें सर्विलांस के एक्सपर्ट पुलिसवालों की तैनाती हुई। मगर ये सेल की उपलब्धि कोई नहीं जानता। सोर्स बताते हैं कि शुरूआत में काफी लोगों ने यहां मोबाइल चोरी की इंफार्मेशन दी। सेल वालों ने महंगे मोबाइल हैंडसेट रिकवर भी कर लिए मगर वो विक्टिम को मिले ही नहीं। अंदर ही बंदरबांट हो गयी। धीरे-धीरे लोगों को जब इसका एहसास हुआ तो लोगों ने यहां मदद मांगना ही छोड़ दिया। अब तो लोग दूसरे को भी सलाह देते हैं कि ना जाना मोबाइल रिकवरी सेल में।

बहुत शातिर होते हैं ये गैजेट्स चोर

- मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट चोरी करने में बहुत सारे छोटे गैंग्स एक्टिव हैं।

- फेमस मंदिरों के अलावा टूरिस्ट प्लेस, रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड और भीड़-भाड़ वाली सभी जगहों पर ये काम करते हैं।

- इस गैंग में बड़ी संख्या में बच्चे भी इंवॉल्व रहते हैं जो जेब से कब मोबाइल सरका देंगे, किसी को एहसास तक नहीं होता।

- निशाने पर वो ज्यादा होते हैं जो फार्मल पैंट, कुर्ता जैसे ढीले कपड़े पहनते हैं।

- कार डैश बोर्ड पर मोबाइल रखने वालों के साथ ये उच्चकागिरी भी खूब करते हैं।

- लेडीज जो हैंडबैग या पर्स में मोबाइल रखती हैं, वो भी इनके निशाने पर होती हैं।

- बच्चों के पास खड़े होने, सट कर खड़े होने या मोबाइल सरका देने से लोग शक नहीं कर पाते।

- आटोरिक्शा में बगल में बैठ कर भी ये जेब से आसानी से मोबाइल सरका देते हैं।

- इन दिनों काफी शातिर लड़कियां भी इस तरह की एक्टिविटी में लिप्त हैं जो मोबाइल पार कर देती हैं।

कैसे बचाएं अपने गैजेट्स को

- मोबाइल को कभी कुर्ते की जेब में ना रखें, क्योंकि कुर्ते की जेब से मोबाइल उड़ाना सबसे आसान होता है।

- मोबाइल बेल्ट व रीबन अब आउट ऑफ फैशन हो चुका है मगर इनसे भी सेफ्टी बढ़ जाती है।

- स्मार्ट फोन्स में आप मोबाइल ट्रैकर एप्लीकेशंस डाउनलोड कर उसे एक्टिव रखें।

- इयर फोन यूज करना बहुत लोगों को पसंद नहीं मगर ये भी मोबाइल सेफ करता है।

- मोबाइल को इधर-उधर बिलकुल ना छोड़ और भीड़ के केस में उसे अपने हाथ में ले लें।