JAMSHEDPUR: जमशेदपुर पुलिस ने मोबाइल चोर गिरोह के सात सदस्यों को दबोच लिया है। पकड़े गए गिरोह 77 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। ये 77 मोबाइल गिरोह ने शहर के अलग-अलग इलाकों से झपट्टा मार कर उड़ाए थे। पकड़े गए मोबाइल चोर गिरोह में पांच नाबालिग समेत सात लोग शामिल हैं। गिरोह का सरगना मिथुन मंडल था, जो डामरा, आसनसोल पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। मिथुन के साथ कन्हैया नोनिया को भी गिरफ्तार किया गया है। कन्हैया बर्दमान का रहने वाला है।

जब्त फोन की कीमत सात लाख

सोमवार को संवाददाता सम्मेलन कर एसएसपी अनूप बिरथरने ने बताया कि गिरोह के पास से जब्त किए गए मोबाइल की कीमत सात लाख रुपये से अधिक है। बहरहाल, सोमवार को पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से नाबालिगों को बाल सुधार गृह व बाकी दो आरोपितों को जेल भेज दिया गया।

ऐसे हुआ खुलासा

25 फरवरी को साढ़े तीन बजे गोविंदपुर यशोदानगर निवासी धर्मेद्र कुमार सब्जी खरीदने हाट गए थे। इसी दौरान एक लड़के ने अचानक धमेंद्र के ऊपर वाले पॉकेट से मोबाइल निकाल कर अपने दूसरे साथी को दे दिया और दोनों भागने लगे। यह देख धमेंद्र चिल्लाया तो भीड़ ने उनमें से एक लड़के को पकड़ लिया। पकड़े गए लड़के की निशानदेही पर धर्मेद्र का मोबाइल बरामद कर लिया गया। जब गोविंदपुर पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि उनसे मोबाइल चोरी करवाने वाला मिथुन मंडल है। मिथुन मानगो कुंवरबस्ती में किराए के मकान में अन्य लड़कों के साथ रहता है। इसपर गोविंदपुर थाना प्रभारी राजेश रंजन ने पुलिस बल के साथ देर रात को मानगो थाना क्षेत्र के कुंवरबस्ती में छापेमारी की। छापेमारी में पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया। जब तलाशी ली गई तो पुलिस ने कुल 77 मोबाइल बरामद किए। जिस समय छापेमारी की गई, उस समय मोबाइल चोर गिरोह के तीन सदस्य बाहर थे। उन्हें जैसे ही भनक लगी कि पुलिस ने छापेमारी की है, सभी भाग गए। एसएसपी ने बताया कि जमशेदपुर पुलिस बंगाल पुलिस से संपर्क में है। एक टीम को भागे गए आरोपितों को पकड़ने के लिए भेजा जा रहा है ताकि इस गिरोह को जड़ से खत्म किया जा सके।

चार माह से रह रहे थे

हिरासत में लिए गए मोबाइल चोर गिरोह के सरगना मिथुन मंडल से जब पुलिस ने पूछताछ किया तो उसने बताया कि पिछले चार माह से मानगो कुंवरबस्ती में पूरा गिरोह एक किराए के कमरे में रह रहा था। एसएसपी ने बताया कि मिथुन पश्चिम बंगाल के वर्दमान, रानीगंज, आसनसोल व पुरूलिया से नाबालिग बच्चे को लाकर शहर के विभिन्न बाजारों व भीड़भाड़ वाले इलाके में छोड़ देता था। इसके बाद एक बच्चा मोबाइल चोरी कर तत्काल मौके पर थोड़ी दूर पर मौजूद दूसरे साथी को दे देता था। दूसरा साथी मोबाइल को सीधे अपने आका यानि मिथुन मंडल तक पहुंचा देता था।

100 -300 रुपये मिलते थे

जब नाबालिग एक मोबाइल चोरी कर मिथुन के पास पहुंचा देता था तो उसके ऐवज में उसे मोबाइल देखकर 100 से 300 रुपये तक दिए जाते थे। इस तरह नाबालिग को चार से पांच दिन रखकर उससे चोरी करवाने के बाद उसे 1000-1500 रुपये देकर वापस गांव भेज दिया जाता था। गांव से मिथन मंडल बच्चों को काम दिलाने के नाम पर लेकर आता था, और यहां मोबाइल चोरी करवाता था। इसी तरह पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाके से बच्चों को रोटेशन करता रहता था, ताकि वह पकड़ा न जाए।

वर्दमान व आसनसोल में ट्रेनिंग

एसएसपी अनूप बिरथरे ने बताया कि मोबाइल चोर गिरोह के सदस्यों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के वर्दमान व आसनसोल में मोबाइल चोरी करने के लिए बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग देने के बाद ही चोरों को जमशेदपुर भेजा जाता था। एसएसपी ने बताया कि जमशेदपुर में एक-एक कर सभी बाजारों, भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाकर चोरी की घटना को अंजाम देते थे। पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर आए मोबाइल चोर गिरोह का काम लगभग पूरा हो गया था। बड़े पैमाने पर महंगे मोबाइल चोरी कर लिए गए थे। अब एक-दो दिनों में होली से पूर्व अपने गांव वापस चला जाता, लेकिन चोर गिरोह का किस्मत खराब थी और पूरा गिरोह पुलिस के शिकंजे में आ गया।

कर दिया था फार्मेट

एसएसपी ने बताया कि 77 मोबाइल जमा करने के बाद गिरोह के सदस्यों ने सभी मोबाइल का फार्मेट भी कर दिया था। पूछताछ में चोरों ने बताया कि पश्चिम बंगाल ले जाकर इसका इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आइएमईआइ) नंबर भी बदल दिया जाता। इसके बाद इसे महंगे दामों पर बिक्री कर दिया जाता। सिटी एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि मोबाइल को 3-5 हजार रुपये में बिक्री कर देते थे।

पश्चिम बंगाल में बेचते थे

मोबाइल चोर गिरोह के सदस्यों ने बताया कि चोरी के मोबाइल को प्रमुख रूप से वे पश्चिम बंगाल के तीन पहाड़ में बिक्री करते थे। इसके अलावा आसनसोल, रानीगंज, वर्दमान व पुरूलिया में जाकर बिक्री करते थे। एसएसपी ने बताया कि वह बंगाल पुलिस के संपर्क में हैं।