देहरादून. आज के दौर में मोबाइल से बढ़ता लगाव पारिवारिक रिश्तों में दरार पैदा कर रहा है. पति-पत्‍‌नी के रिश्तों में मोबाइल प्यार नही बल्कि कलह पैदा करने लगा है. महिला आयोग के अनुसार पारिवारिक कलह के करीब 75 परसेंट केसेज का कारण मोबाइल रहा. मोबाइल के कारण पति-पत्‍‌नी केबीच गलतफहमी, मनमुटाव, लड़ाई-झगड़ा हुआ और मामला तलाक तक जा पहुंचा.

सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव

आज के युग में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. फेसबुक व्हाट्सएप, ईमो, स्काइप जैसे कई एप का उपयोग जमकर हो रहा है और इसके लिए सबसे उम्दा टूल है मोबाइल फोन. इसके अलावा कई शादीशुदा कपल शादी के बाद भी पहले प्यार को भुला नहीं पाते और एक दुसरे से छुपकर नये रिश्ते बना लेते हैं. यही उनकी शादीशुदा जिंदगी में जहर घोलते हैं. इसके अलावा मोबाइल पर ज्यादा इंगेजमेंट के चलते पति-पत्नी के पास एक-दूसरे के लिए समय नहीं है.

रिश्तों में खटास

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने बताया कि मोबाइल फोन पर ज्यादा इंगेजमेंट के कारण छोटी-छोटी बातें पारिवारिक विवाद का कारण बन रही हैं. आयोग में आए दिन ऐसे मामले आ रहे हैं जिनमें शादीशुदा युगल के बीच कलह का कारण मोबाइल फोन रहा हो. दोनों में से एक अगर मोबाइल पर लगातार बिजी रहता है तो दूसरा उसपर शक करता है. अविश्वास बढ़ता जाता है और चोरी छिपे मोबाइल चेक करना, मैसेज पढ़ने जैसी हरकतों से विवाद हो जाता है. ये विवाद कभी -कभी रिश्तों में दरार का कारण तक बन जाता है.

महिला आयोग के आंकडों पर एक नजर

दर्ज केस

1386

निस्तारण

590

पेंडिंग

796

महिला अपराध में दून नंबर एक

जिला केस दर्ज निस्तारण पेंडिंग

देहरादून 467 242 225

हरिद्वार 271 120 151

यूएस नगर 247 70 177

सबसे कम मामले

जिला केस दर्ज निस्तारण कार्यवाही गतिमान

रूद्रप्रयाग 4 4 0

बागेश्वर 7 2 5

उत्तरकाशी 13 5 8

काउंसलिंग से समाधान की कोशिश

महिला आयोग के पास पारिवारिक कलह से लेकर घरेलू हिंसा तक के जो भी मामले सामने आते हैं, उनमें दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर काउंसलिंग कराई जाती है. लेकिन, मामले का निस्तारण इतना आसान नहीं होता. कई बार एक पक्ष बहाना बनाकर काउंसलिंग के लिए पहुंचता ही नहीं और केस लंबे समय तक पेंडिंग चलता रहता है.

दरार का कारण बना मोबाइल

केस 1

पुराने प्रेमी से छिपकर बातचीत

पुराने प्रेमी से फोन पर बातचीत सुनने के बाद महिला के पति ने उसे मारपीट करके घर से बाहर निकाल दिया. महिला ने बताया कि पति ने उसपर गलत शक किया. बताया कि शादी से पहले उसका एक लड़के के साथ अफेयर था. लेकिन, शादी नहीं हो पाई. इसके बाद दोनों की अलग-अलग शादी हो गई. शादी के बाद भी दोनों के बीच बात-चीत होती रहती थी. एक दिन उसके प्रेमी ने कहा कि वह अपनी शादी से खुश नहीं है और उसी से शादी करना चाहता है. महिला ने बताया कि उसने उसे टालना चाहा और कह दिया कि सोच कर बताऊंगी. ये बातें पति ने सुन ली और उसे घर से निकाल दिया.

केस 2

छुपकर पढ़े प्रेमी के मैसेज तो खुली पोल

सहस्त्रधारा रोड इलाके में रहने वाली एक महिला का अपने पूर्व प्रेमी से शादी के बाद भी अफेयर चल रहा था. वो अकसर अपने पति से छुपकर प्रेमी से बात करती थी. पति को शक होने लगा, उसने पत्नी का मोबाइल चेक किया. फोन में प्रेमी के मैसेज पढ़ने के बाद पत्नी से इस संबंध में पूछा तो उसने माफी मांगी. लेकिन, कुछ दिन बा महिला फिर प्रेमी से बात-चीत करने लगी. इसके बाद पति ने ही महिला आयोग में एप्लीकेशन डाली. कई दौर की काउंसलिंग हुई, लेकिन महिला का पति उसके साथ रहने को तैयार नहीं था. इसके बाद मामला कोर्ट में चला गया.

केस 3

आयोग ने बचाया पति-पत्नी का रिश्ता

दून निवासी एक व्यक्ति की अपनी पत्नी से इसलिए मारपीट की कि वह अक्सर मोबाइल फोन पर गेम खेलती रहती थी और बातों में बिजी रहती थी. पति को यह भी शक था कि उसका किसी व्यक्ति से संबंध है, हालांकि महिला ने इस बात को खारिज किया. पति का शक दूर करने के लिए उसने मोबाइल रखना छोड़ दिया था. पति का शक दूर नहीं हुआ तो उसने महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया. दो बार काउंसलिंग के बाद पति को गलती का अहसास हुआ और उसने पत्‍‌नी से माफी मांगी.

- पारिवारिक विवाद के मामलों में 75 प्रतिशत केस ऐसे सामने आए जिनमें कलह का कारण मोबाइल बना. पति या पत्नी द्वारा मोबाइल पर बिजी रहना, किसी से बात करना दोनों के बीच शक का कारण बना और मामला आयोग के पास आया. आधे से ज्यादा केसेज में देखा गया कि विवाद का कारण सिर्फ गलतफहमी थी.

विजया बड़थ्वाल, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग