RANCHI: रिम्स में गंभीर मरीजों का एक्सरे उनकीबेड पर ही करने के लिए मोबाइल एक्सरे मशीनें खरीदी गई थीं। लेकिन रिम्स के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट कमरे में मशीनें धूल फांक रही हैं। इधर, गंभीर मरीजों को भी एक्सरे के लिए रेडियोलॉजी की दौड़ लगानी पड़ रही है। ऐसे में मरीजों के साथ ही परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद मशीनों को कमरे से बाहर नहीं निकाला जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लाखों रुपए की मशीनें क्या शोपीस में रखने के लिए खरीदी गई थी?

वार्ड में ही करना है इलाज

एक्सीडेंट में घायल मरीजों का एक्सरे करने के लिए ही मोबाइल एक्सरे मशीनों की खरीदारी की गई थी। जिसमें एक-एक मशीनें लगभग साढ़े तीन लाख रुपए में आई थीं। ताकि वार्ड में मशीन ले जाकर ही मरीजों का एक्सरे किया जा सके। इसके अलावा इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भी एक्सरे के लिए कहीं ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं रिपोर्ट मिलने से तत्काल मरीजों का इलाज भी शुरू हो जाता। लेकिन मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।

ट्राली पर लादकर ला रहे परिजन

वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों को भी मोबाइल एक्सरे का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में परिजन मरीजों को ट्राली पर लादकर एक्सरे विभाग में लाते हैं। ट्राली पर लाने के दौरान मरीजों का दर्द और बढ़ जाता है। वहीं घंटों उन्हें अपनी बारी का भी इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद जब रिपोर्ट मिलती है, तब मरीजों का इलाज शुरू हो पाता है।

दो मशीनें कई दिनों से खराब

हॉस्पिटल में मरीजों के लिए पांच मोबाइल एक्सरे मशीन हैं। लेकिन उसमें से दो कई दिनों से खराब पड़ी हैं। ऐसे में केवल तीन मोबाइल एक्सरे मशीनें ही रनिंग मोड में हैं। इसके बाद भी मरीजों के लिए मशीनें कमरे से बाहर नहीं निकाली जा रही हैं। अगर यही स्थिति रही तो खड़े-खड़े बाकी मशीनें भी खराब हो जाएंगी।

वर्जन

हमारे पास तो मोबाइल एक्सरे मशीनें हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें निकाला जाता है। वजन अधिक होने के कारण इसे निकालना मुश्किल है। लेकिन हमारी पूरी कोशिश रहती है कि गंभीर मरीजों को इसका लाभ मिल सके।

-सोनेलाल राय, रेडियोलॉजी, प्रभारी, रिम्स