- पूरे राज्य में 74 प्रत्याशी उतरे थे चुनावी मैदान में

-सिर्फ दस प्रत्याशी ही बचा सके अपनी जमानत

-जमानत राशि के लिए वैध मतों का छठवां भाग होता है जरूरी

>dehradun@inext.co.in

DEHRADUN : मोदी की सुनामी में उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों के चुनावों में नब्बे फीसदी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार चुनाव मैदान में उतरे 7ब् उम्मीदवारों में से म्ब् ऐसे उम्मीदवार रहे, जो अपने जमानत बचाने में नाकाम रहे। जबकि क्0 प्रत्याशी ही जमानत बचा पाए। खास बात यह रही कि जमानत जब्त होने वालों की आप, सपा, माकपा व बसपा जैसी पार्टियों के उम्मीदवार भी शामिल रहे। इस प्रकार से सिर्फ कांग्रेस उम्मीदवार ही अपनी जमानत राशी बचा सके।

म्ब् प्रत्याशियों की जमानत जब्त

प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों में से टिहरी संसदीय सीट पर क्म् उम्मीदवार मैदान में थे। इस सीट पर जमानत बचाने के लिए क्,ख्8,77ख् वोट हासिल करने जरूरी थे। लेकिन इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे साकेत बहुगुणा ही जमानत बचा पाए। बाकियों की जमानत नहीं बच पाई। ऐसे ही पौड़ी से क्0 उम्मीदवार मैदान में थे। यहां जमानत बचाने के लिए क्,क्ख्,ख्फ्ख् वोट प्राप्त करना जरूरी था। लेकिन यहां भी दूसरे नंबर के प्रत्याशी के अलावा बाकी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

वैद्य मतों का छठा भाग

किसी भी चुनाव में जमानत राशि बचाने के लिए प्रत्याशियों को वैद्य मद का छठा भाग मिलना जरूरी होता है। पर कांग्रेस को छोड़ कर किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी या दूसरे दलों के प्रत्याशियों को वोट नहीं मिला। अल्मोड़ा से 9 प्रत्याशियों में से जमानत बचाने के लिए क्079म्म् वोट जरूरी थे। लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी के अलावा बाकी प्रत्याशी जमानत बचाने में नाकाम रहे। नैनीताल सीट पर भी क्भ् प्रत्याशी रणभूमि थे। यहां केसी बाबा ही जमानत बचा पाए। बाकी क्फ् उम्मीदवार जमानत बचाने में नाकाम रहे। यहां जमानत बचाने के लिए क्8फ्9म्0 वोट जरूरी थे। हरिद्वार लोकसभा सीट पर ख्ब् उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। यहां भी पहले और दूसरे नंबर पर आने वाले प्रत्याशी ही जमानत बचा पाए। बाकी ख्ख् प्रत्याशियों की इस सीट पर जमानत जब्त हो गई।

::बॉक्स::

जमानत राशि सरकारी खजाने में

चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ख्भ् और रिजर्व के लिए क्ख् हजार तय है। लेकिन जब प्रत्याशी हार जाने के बाद भी जमानत नहीं बचा पाते हैं तो उनकी जमानत राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है।