संस्कृति मंत्रालय ने ASI को दिया निर्देश
हमारे हिंदू धर्म में सरस्वती नदी को पवित्र माना गया है. जिसके चलते अब इसके वजूद को लेकर राजनीतिक बहस चलने लगी है. इस मुद्दे पर जहां एक ओर बीजेपी खड़ी है, तो वहीं दूसरे पाले में कांग्रेस नजर आती है. फिलाहल खबरों की मानें तो संस्कृति मंत्रालय ने ASI को पुरातात्िवक सबूतों की तलाश करने का निर्देश दिया है. इनका कहना है कि सरस्वती नदी का असल में वजूद था और उसके प्रमाण कहीं न कहीं जरूर मिलेंगे. वहीं ASI ने राजस्थान में पहली खुदाई का काम भी शुरु कर दिया है.

कांग्रेस ने बंद कराया था प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि, सरस्वती नदी की खोज को लेकर सबसे पहली शुरुआत 2002 में बाजपेयी सरकार ने की थी. उस दौरान संस्कृति मंत्री जगमोहन की अगुवाई में एक एक्सपर्ट्स का पैनल बनाया था, जो इस नदी का की खोज में जुटा था. लेकिन इस प्रोजेक्ट को तब झटका लगा, जब कांग्रेस सत्ता में आई. यूपीए सरकार ने 2004 में बाजपेयी के इस सरस्वती प्रोजेक्ट को बंद करा दिया. फिलहाल अब फिर से मोदी की अगुवाई में यह खोज शुरु की जा रही है. बताया जा रहा है कि, मोदी इसके लिए जल्द ही पैनल गठित कर सकते हैं.

घग्गर-हाकरा नदी के इलाकों में होगी खुदाई
अभी हाल ही में हरियाणा की बीजेपी सरकार ने आदि बद्री हैरिटेज बोर्ड के गठन का ऐलान किया था. इस प्लॉन के मुताबिक,  नदी के संभावित रास्तों पर नया वाटर चैनल बनाने का काम दिया गया है. हालांकि इस सिलसिले में ASI की पहली खुदाई घग्गर-हाकरा नदी के इलाकों में होगी. बताया जाता है कि सरस्वती नदी भी इसी इलाके से होकर गुजरती थी. इसके चलते ASI टीम राजस्थान के गंगानगर जिले के बिनजोर इलाके में खुदाई कर रही है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की संरक्षित इस साइट की खुदाई इससे पहले 1970 के दशक में हुई थी.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk