-वाजिदपुर की जनसभा में दिखी 2019 की चुनावी सरगर्मी

-ढाई हजार करोड़ की योजनाओं से बदलते बनारस की गाथा सुना गए प्रधानमंत्री मोदी

-विकास की गंगा से काशी सहित पूर्वाचल से पूर्वी भारत तक को साधा

बिहार-झारखंड का सबसे लोकप्रिय और मान्यताओं वाला सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने काशी से पूर्वी भारत तक को साधा। मंच पर पहुंचे पीएम ने जब माइक संभाला तो सबसे पहले भोजपुरी में छठ पूजा की बधाइयां दीं। दिवाली के अलावा खास महत्व वाले भाईदूज, गोवर्धन पूजा और पूर्वी भारत में लोकप्रिय छठ पूजा की बधाई-शुभकामनाएं देकर अपना मुरीद बनाया। इसके बाद दो सौ करोड़ की लागत से रामनगर में बने बंदरगाह का जिक्र करते हुए यह एहसास दिलाया कि आजादी के बाद पहली बार काशी से कारगो शिप चलने का मतलब पूर्वी प्रदेश, पूर्वी भारत अब बंगाल की खाड़ी से जुड़ गया है। बेहद नजदीक आ चुके 2019 चुनाव को केंद्र में रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी इशारा कर दिया कि काशी का सामान पूर्वी भारत में कहीं भी आ-जा सकता है। यह भी कहने से नहीं चूके कि पिछली सरकारों ने विकास पर पैसा नहीं खर्च करके बल्कि कहीं और बहाया है। चार साल पहले जब हल्दिया-बनारस के बीच जलमार्ग शुरू करने की योजना बनी तो मजाक उड़ाया गया, कई तरह की नकारात्मक बातें की गई। मगर कोलकाता से आए जहाज ने आलोचना को करारा जवाब दे दिया है।

किसानों, नौजवानों को किया आश्वस्त

बनारस सहित पूर्वाचल वासियों को यह विश्वास दिलाया कि आने वाले दिनों में मल्टी मॉडल टर्मिनल में रोरो सर्विस भी शुरू की जाएगी। कृषि प्रधान पूर्वाचल के किसानों को यह आश्वस्त किया कि इस सुविधा से लंबी दूरी तय करने के लिए ट्रैक्टर, ट्रक, बस के अलावा जहाज के माध्यम से भी दूसरे शहरों को पहुंच सकेंगे। जनसभा में नौजवानों को भी यह विश्वास दिलाया कि जब इतना बड़ा प्रोजेक्ट शुरू होगा तो हजारों पद रोजगार के सृजित होंगे। बेरोजगारों को बड़ा रोजगार पूर्वाचल में ही मिल जाएगा।

सोशल मीडिया पर छाया है बनारस

काशी वासियों को मंच से पीएम मोदी ने यह भी एहसास दिलाया कि सोशल मीडिया पर बनारस छाया हुआ है, इस पर बाबतपुर फोरलेन और रिंग रोड के रास्ते छाए हुए हैं। मुझे बताया गया है कि दिवाली की छुट्टियों में जब लोग एयरपोर्ट से वापस घर की ओर रुख किए तो रास्ते देखकर हैरान हो गए। यहां तक कि इस रास्ते में लोग रुक कर सेल्फी भी ले रहे हैं। पीएम ने यह भी एहसास कराया कि चार साल पहले जब लोग घर से बाबतपुर एयरपोर्ट के लिए निकलते थे तो जाम में फंसकर फ्लाइट मिस कर देते थे। एयरपोर्ट की रोड पर गड्ढे़ जानलेवा साबित हो रहे थे। आठ सौ करोड़ की लागत से इसका स्वरूप बदला गया। दशकों से अटकी योजनाओं को सरकार बनते ही छह माह के अंदर प्रयास करके शुरू कराया गया। जिसका प्रमाण सात सौ करोड़ की लागत से बना रिंग रोड फ‌र्स्ट फेज है।