गुरुवार यानी 31 अक्तूबर को ही सरदार पटेल की जयंती भी है. इस मौक़े पर पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी मौजूद होंगे.
गुजरात सरकार दावा कर रही है कि 182 मीटर की ये मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी और अमरीका के मशहूर ‘स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी’ से भी ऊंची होगी.
ये मूर्ति सरदार सरोवर बांध से 3.32 किलोमीटर दूर साधु बेट नाम के टापू पर स्थापित की जाएगी.
सरदार पटेल को भारत में लौह पुरुष के तौर पर माना जाता है. भारत की आज़ादी के बाद उन्होंने 500 से ज़्यादा रियासतों को भारत में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी.
नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम को साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है.
विरासत पर राजनीति
मोदी पहले ही ये ऐलान कर चुके हैं कि इस मूर्ति को बनाने के लिए वह देश भर के किसानों से उनके लोहे के औज़ारों का एक टुकड़ा चाहते हैं क्योंकि "सरदार पटेल सिर्फ़ लौह पुरुष ही नहीं बल्कि किसान पुत्र भी थे."
29 अक्तूबर को सरदार पटेल संग्रहालय के उद्घाटन का मौक़ा एक तरह से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के बीच बहस में तब्दील हो गया था.
मोदी ने इस मौक़े पर कहा था, “कई लोगों को ये गिला रहेगा कि सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री नहीं हुए.”
नरेंद्र मोदी ने कहा, “काश सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश की तस्वीर ही कुछ और होती.”
लेकिन इसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि दुनिया जिस अखंड भारत को जानती है उसकी बुनियाद रखने में सरदार पटेल का बहुत बड़ा योगदान था.
मनमोहन सिंह ने कहा, “मुझे इस बात का गर्व है कि सरदार पटेल का संबंध जिस पार्टी से था, मैं भी उसी राजनीतिक दल का सदस्य हूँ.”
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