19 साल के मो. आमिर को बुधवार सुबह पोर्टलैंड जेल से रिहा किया गया. पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सलमान बट और तेज़ गेंदबाज़ों मोहम्मद आसिफ़ और मोहम्मद आमिर को लंदन के साउथवार्क क्राउन कोर्ट ने 'स्पॉट फ़िक्सिंग' के मामले में जेल की सज़ा सुनाई थी.

सलमान बट को दो साल छह महीने,तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद आसिफ़ को एक साल, आमिर को छह महीने की सज़ा सुनाई गई थी. अदालत ने बट्ट को धोखेबाज़ी और भ्रष्ट तरीक़े से पैसे लेने के षडयंत्र का दोषी पाया जबकि आसिफ़ को सिर्फ़ धोखाधड़ी के षडयंत्र का दोषी पाया गया. सलमान बट, मोहम्मद आसिफ़ और मोहम्मद आमिर तीनों खिलाड़ियों पर आईसीसी ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था खिलाड़ियों के एजेंट मज़हर माजिद को सबसे अधिक, दो साल आठ महीने की सज़ा सुनाई गई.

बट्ट और आसिफ़ इस बात से इनकार करते रहे हैं कि वे इस उच्च स्तर की सट्टेबाज़ी में शामिल थे. इस मामले में मोहम्मद आमिर पर भी आरोप लगाए गए थे और उन्होंने स्पॉट फ़िक्सिंग मामले में अदालत में लिखित रुप से अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. ये मामला सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के ट्राब्यूनल ने तीनों खिलाड़ियों को भ्रष्टाचार का दोषी पाते हुए उन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

सलमान बट पर 10 वर्ष की, मोहम्मद आसिफ़ पर सात वर्ष की और मोहम्मद आमिर पर पाँच वर्ष की पाबंदी लगा गई थी. समाचार पत्र 'न्यूज़ ऑफ़ द वर्ल्ड' ने सट्टेबाज़ी के इस षडयंत्र का पर्दाफ़ाश किया था. इस अख़बार के पत्रकार ने सट्टेबाज़ मजीद को डेढ़ लाख रुपए स्वीकार करते हुए फ़िल्म उतार ली थी.

इसके आधार पर खिलाड़ियों पर आरोप लगाया गया था कि अगस्त 2010 में इंग्लैंड में लॉर्ड्स टेस्ट मैच के दौरान तीनों खिलाड़ियों ने 'स्पॉट फ़िक्सिंग' की थी. अभियोजन पक्ष का कहना था कि इन तीनों खिलाड़ियों ने सट्टेबाज़ों के साथ साँठगाँठ की और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मैच के दौरान पहले से तय ओवर और गेंद पर 'नो बॉल' फेंकीं.  मजीद का कहना था कि उसने आसिफ़ को 65 हज़ार पाउंड, बट को दस हज़ार पाउंड और आमिर को ढाई हज़ार पाउंड की राशि दी थी.

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