- राजघाट में रविवार को हुआ अंतिम संस्कार

- जीआरडी जवानों ने समर्पित किया पुष्प चक्र

GORAKHPUR: भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष मोहनलाल गुप्त को राजघाट के राप्ती तट पर अंतिम विदाई दी गई। रविवार को उनके बड़े नाती दिव्यांशु ने चिता को मुखाग्नि दी। इसके पहले जीआरडी के जवानों ने उनकी चिता पर पुष्प चक्र अर्पित किया। इस दौरान नेपाली समाज, करीबियों और शुभचिंतकों का तांता लगा रहा।

पासपोर्ट मुकदमे को लेकर थे परेशान

भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष मोहनलाल गुप्त के निधन को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। लोगों ने उनकी मौत पर संदेह जताया है। नेपालियों के फर्जी पासपोर्ट बनवाने के मामले में उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमे में पुलिस कर्मचारियों के साथ एलआईयू के लोगों पर गाज गिरनी तय है। बताया जाता है कि मुकदमे में कदम पीछे खींचने के लिए मोहनलाल पर भारी दबाव बनाया जा रहा था। कुछ लोग उनको मानसिक रूप से परेशान करने में लगे थे। कुछ दिनों पहले इस मुकदमे में मोहनलाल का बयान दर्ज कराया गया। इंजीनियरिंग कॉलेज में अवैध नियुक्ति प्रकरण में कुछ प्रभावशाली उनके पीछे लगे थे।

पुलिस ने नहीं कराया पोस्टमॉर्टम

रेलवे कॉलोनी चौकी के सामने मोहनलाल गुप्ता ने भारत नेपाल मैत्री समाज का ऑफिस बनाया था। पूर्व आईजी सूर्य कुमार शुक्ल की अनुमति से उनको वहां जगह मिली। फैमिली मेंबर्स का कहना है कि शनिवार की देर शाम उनका मोबाइल नहीं लग रहा था। तब उनके बड़े दामाद अनिल का बेटा दिव्यांशु ऑफिस पहुंचा। वह नाना को टेंपो में लादकर जिला अस्पताल ले गया। परिजनों का कहना है कि पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। 20 कदम की दूरी पर अचेत पड़े मोहनलाल की सुधि नहीं ली। जबकि मौत की सूचना के बाद सिपाहियों ने खुद हॉस्पिटल पहुंचाने का दावा किया था। लोगों ने इसमें साजिश की आशंका जताई। पुलिस ने डेड बॉडी का पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया। नौंवी कक्षा के छात्र दिव्यांशु ने रविवार को उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

हमारे ससुर वहां अचेत हाल पड़े रहे। सामने पुलिस चौकी पर तैनात सिपाहियों ने संज्ञान नहीं लिया। मेरा बेटा उनकी तलाश में पहुंचा तो जानकारी हुई। वह अपने प्रयास से नाना को जिला अस्पताल ले गया। लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। अधिकारियों से इसकी जांच की मांग की जाएगी।

अनिल कुमार गुप्ता, दामाद