नेट फ्रेंडली होना तो स्टेटस सिंबल है

कंप्यूटर क्लास ले रही मॉम्स की मानें तो बदलते जमाने में उनका इंटरनेट फ्रेंडली होना बहुत जरूरी है। इंटरनेट फ्रेंडली ना होने पर सबसे पहले तो बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड नहीं कर पाती हैं, जब बच्चे इंटरनेट अपने प्रोजेक्ट्स सर्च करते हैं, जब वह गेम्स खेल रहे होते हैं, ऐसे में वह कुछ सपोर्ट चाहते हैं। पर जब तक वह इंटरनेट के बारे में नहीं जानती, तब तक बच्चों को कैसे बता सकती हैं। वहीं जिनके बच्चे हास्टल्स में पढ़ते हैं, उनसे वॉइस चैट करने के लिए भी उन्हें इंटरनेट फ्रेंडली होना जरूरी है। वहीं इससे वह बैंकिंग, शॉपिंग से रिलेटेड वर्किंग भी कर पाती हैं। इसके साथ ही हाउस वाइव्स के बीच नेट फ्रेंडली होना स्टेटस सिंबल भी है।

ये तो जरूरी है

मॉम्स मानती हैं कि बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं, मॉम ही उनके लिए सबसे क्लोज फ्रेंड होती है। ऐसे में, जब मॉम उन्हें किसी काम में हेल्प नहीं कर पाती है, तो बच्चे चिड़चिड़े होते जाते हैं। कई बार वह पड़ोसी के घर में जाते हैं, फादर के घर वापस आने के लिए वेट करते हैं। मॉम्स के इंटरनेट फ्रेंडली ना होने पर बच्चे उनके साथ कम्युनिकेशन गैप में आ जाते हैं.  जो दोनों के लिए अच्छा नहीं होता है। अब उनके साथ कदम से कदम मिलाना है तो उन्हें इंटरनेट फ्रेंडली तो होना ही होगा।

सुपर मॉम्स के लिए स्पेशल कोर्स

एक कंप्यूटर सेंटर के फ्रेंचाइजी ओनर जितेंद्र वासुदेव ने बताया कि तकरीबन 6 महीने पहले उनके पास दो मॉम्स आईं, जिन्हें इंटरनेट ब्राउजिंग का शॉर्ट टर्म क ोर्स करना था। उन्होंने 3 मंथ्स का कोर्स ज्वाइन किया। कोर्स शुरू होने 15 दिन के अंदर ही पूरा बैच फुल हो गया। इस बैच के दौरान ही नेक्स्ट बैच की क्वेरीज आने लगीं। अब तो मॉम्स के बीच में इस शॉर्ट टर्म क ोर्स का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। थ्री मंथ्स के कोर्स में मॉम्स को इंटरनेट ब्राउंजिंग, फेसबुक, चैटिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। मॉम्स की डिमांड भी यही होता है।

व्हाट्स एप है सुपर्व

हाउसवाइफ से स्मार्ट मॉम बन चुकी मदर्स को मोबाइल पर व्हाट्स एप भी काफी पसंद आ रहा है। इसके जरिए वह आसानी से चैटिंग कर पाती हैं। वहीं उन्हें इस एप के जरिए पिक्चर मैसेज सेंड का ऑप्शन सबसे ज्यादा पसंद है। वहीं इसके जरिए वह खुद को हर समय ऑनलाइन भी रख पाती हैं। मॉम्स की मानें तो उनका इंटरनेट फ्रेंडली होना बच्चों को काफी पसंद आ रहा है।

ताकि उसके लिए तैयार रहूं मैं

मेरी बेटी अभी प्ले ग्रुप के एज क   है, पर वह अपने स्कूल में कंप्यूटर गेम खेलती है तो घर में भी उसक   ही डिमांड करती है। मैं हाउस वाइफ हूं, घर में पूरे दिन वह मेरे साथ ही रहती है। वह कंप्यूटर के बारे में मुझसे ज्यादा जानती है। जब उसके पापा ने गेम्स लाकर दे दिए तो खेलने के लिए वह कई बार मुझसे पूछती है। ऐसे में, मुझे इंटरनेट के बारे में जानकारी होना तो जरूरी है। धीरे-धीरे उसकी डिमांड्स बढ़ेंगी, तो मुझे इसके लिए खुद को तैयार करना होगा। मैं तो उसके ब्रेक फास्ट के लिए रेसिपी भी इंटरनेट पर सर्च करती हूं।

दीप्ती शर्मा, मॉम स्टूडेंट, रामपुर गार्डन

इससे तो जिंदगी ही बदल गई है

मैं एक टीचर हूं, मेरा बड़ा बेटा क्लास 9 में और छोटा वाला क्लास 4 में है। वह कई बार फेसबुकिंग करते हैं तो मैं उन्हें मना करती थी। उनके इंटरनेट गेम्स भी मुझे अच्छे नहीं लगते थे। कई बार वह मुझसे अपने प्रोजेक्ट वर्क के लिए मुझे हेल्प करने को कहते थे। ऐसे में, मैंने इंटरनेट ब्राउंजिंग से फ्रेंडली होने के लिए कंप्यूटर क्लास ज्वाइन की। मुझे 3 मंथ्स होने वाले हैं, अब मैं बच्चों के साथ फेसबुक भी एंज्वाय कर पाती हूं। वास्तव में, इसके  बाद तो जिंदगी ही बदल गई है।

नीति अरोड़ा, मॉम स्टूडेंट, सिविल लाइंस

'आमतौर पर इंटरनेट ब्राउंजिंग बहुत आसान है, पर इस एज में इसे सीखना कुछ मुश्किल होता है। कई बार किसी आसान बात को समझाने में भी काफी समय लग जाता है। मॉम्स क ो सिखाने में काफी पेशेंस की जरूरत होती है.'

-पल्लवी शर्मा, ट्रेनर