- फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के लिए नई कवायद

- नेफ्ट में रजिस्ट्रेशन के लिए शुरू हुआ कांटेक्ट प्रोग्राम

Meerut : इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स के क्लेम के साथ अब किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं हो सकेगी। क्लेम का पैसा सीधे इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स के बैंक अकाउंट में पहुंचेगा। पॉलिसी होल्डर्स के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से पॉलिसी कंपनियों ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (नेफ्ट) सर्विस शुरू की है। इस सर्विस के तहत क्लेम का सारा पैसा सीधे लोगों के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा। पॉलिसी कंपनियों ने योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 'कांटेक्ट प्रोग्राम' भी चला रही है, ताकि पॉलिसी होल्डर्स को इस योजना से जोड़ने का काम जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।

चेक नहीं, अकाउंट में पहुंचेगा पैसा

अभी तक क्लेम का भुगतान कंपनियां चेक के माध्यम से करती थीं, लेकिन अब लोगों के अकाउंट में डायरेक्ट पैसों को ट्रांसफर किया जाएगा। इंश्योरेंस पॉलिसी कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि पुरानी व्यवस्था के तहत कभी-कभी पैसे का गलत भुगतान हो जाने से प्रॉब्लम्स आती थी। इन तमाम प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए नेफ्ट की कवायद की गई है। चेक के माध्यम से किसी भी हाल में पैसे का भुगतान नहीं किया जाएगा। कंपनियों ने एक जुलाई से पुरानी व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है।

कंपनियां चला रही कांटेक्ट प्रोग्राम

नेफ्ट में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इंश्योरेंस पॉलिसी कंपनियां इस संबंध में 'कांटेक्ट प्रोग्राम' भी चला रही हैं। प्रोग्राम के अंतर्गत पॉलिसी होल्डर्स को लेटर, एजेंट, अभिकर्ता और मैसेज के थ्रू इस संबंध में इनफॉर्म किया जा रहा है। एलआईसी ने अपने पॉलिसी होल्डर्स के लिए 5000 एजेंट को लगा रखा है। मेरठ के करीब 10 लाख लोगों को इस योजना से जोड़ने का काम किया जाना है।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू

योजना के तहत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सर्विस का लाभ पाने और नेफ्ट में रजिस्ट्रेशन के लिए पॉलिसी होल्डर्स अपने पॉलिसी की जानकारी, ई-मेल आईडी, कांटेक्ट नंबर एवं बैंक अकाउंट नंबर संबंधित ब्रांच में जमा कर सकते हैं।

नेफ्ट में रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही इस सर्विस का लाभ पॉलिसी होल्डर्स को मिल सकेगा। अब चेक के माध्यम से पैसों का भुगतान नहीं किया जाएगा। डायरेक्ट अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके लिए प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।

- एस। चौहान, मैनेजर, एलआईसी