देश के लगभग हर हिस्से में जुलाई में बारिश कम हुई है। पश्चिमोत्तर हिस्से को छोडक़र लगभग हर क्षेत्र में बारिश की नकारात्मक रिपोर्ट दर्ज होने लगी है।  सामान्य रूप से इस अवधि में करीब 61.4 मिलीमीटर वर्षा होती है जो इस बार घट कर 30.1 ही रह गयी है। जिस कारण सूखे की आशंका जताई जा रही है।

भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के अनुसार, बीते माह से लेकर आठ जुलाई तक होने वाली बारिश में कुल चार फीसद की कमी दर्ज की गई है। मध्य भारत में जून में अच्छी बारिश हुई थी, इसके बावजूद वहां इस अवधि में आठ फीसद कम बारिश दर्ज की गई है। इसके बाद दक्षिणी प्रायद्वीप में यह कमी सात फीसद रही। पूर्वी और पश्चिमोत्तर भारत में चार फीसद कम बारिश हुई। आइएमडी ने मानसून में कमी की भविष्यवाणी कर रखी है। उसका कहना है कि देश भर में इस साल होने वाली बारिश मात्र 88 फीसद ही रहेगी। हालांकि जून में सामान्य से 16 फीसद अधिक बारिश हुई थी। आइएमडी ने जुलाई और अगस्त में आठ से 10 फीसद तक कम बारिश होने की भविष्यवाणी की है।

मौसम की भविष्यवाणी करने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने जुलाई में औसत से ज्यादा (104 फीसद), अगस्त में सामान्य (99 फीसद) और सितंबर में 96 फीसद बारिश होने की भविष्यवाणी की है।  स्काईमेट ने कहा है कि भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान मौसम के दो सर्वाधिक सक्रिय पॉकेट्स पश्चिम तट और पूर्वोत्तर भारत हैं। सामान्य बारिश के रिकॉर्ड के बावजूद जुलाई के पहले हफ्ते में केरल में 30 फीसद, तटीय कर्नाटक में 32 फीसद और कोंकण व गोवा में 15 फीसद कम बारिश हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने पिछले हफ्ते कहा कि मध्य व दक्षिण भारत में जहां खेती बारिश पर ही निर्भर है वहां दाल, तेलहन और कपास की फसलों को बचाने के लिए पर्याप्त बारिश की जरूरत है। देश के अधिकतर भागों में अभी 70 फीसद खरीफ फसलों की बुवाई नहीं हुई है। इसके लिए अच्छी बारिश जरूरी है। इस माह भविष्यवाणी से कम बारिश होने के बावजूद सरकार ने किसानों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि खराब मानसून की वजह से खरीफ फसलों पर किसी भी विपरीत प्रभाव से निपटने के लिए आकस्मिक योजनाओं पर अमल किया जाएगा।

देखना रोचक होगा की किसकी भविष्ययवाणी सही होती है फिल्हारल अब तक तो आइएमडी का प्रिडिक्शन ही सही निकला है।

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