मानसून की दस्तक के साथ सिटी में बीमारियों की भी आहट

जल भराव और गंदगी से कई डिजीजेज होने की संभावना

डॉक्टर्स ने लोगों को खुद अलर्ट रहने की दी एडवाइस

BAREILLY: मानसून शहर में पहली दस्तक देकर फिलहाल थम गया है, लेकिन जब ये पूरी रौ में बरसना शुरू करेगा तो सिटी में बूंदों के साथ बीमारियों की बारिश भी होगी। वजह साफ है बारिश से होने वाला जलभराव और गंदगीहर साल की तरह इस बार भी जिम्मेदारों ने बरेलियंस को हेल्दी मानसून ना देने की पूरी तैयारी जो कर ली है। ना ही निचले इलाकों में नालों की सफाई की गई ना बाकी जरूरी कदम उठाए गए। ऐसे में पिछले कई सालों से मानसून में खुश से ज्यादा दुखी होने वाले लोगों के चेहरे पर फिर टेंशन की लकीरें खिंच गई हैं। लास्ट ईयर सिटी के निचले इलाकों के लोगों को डायरिया, जांडिस, डेंगू, मलेरिया जैसी घातक बीमारियों के अलावा कई स्किन डिजीजेज ने भी खूब रुलाया था। वहीं डॉक्टर्स ने बरेलियंस को मानसून में खुद का ध्यान रखने की एडवाइस दी है, ताकि वह किसी भयंकर बीमारी की चपेट में ना आ जाएं।

पिछले साल भुगत चुके एरिया

लास्ट ईयर मानसून ने शहर के हजियापुर, सुभाषनगर, नेकपुर, गौटिया, किला, गुलाबनगर, डेलापीर, वाल्मीकि नगर, गणेशनगर, पुराना शहर, कटरा मानराय, जखीरा, नवादा शेखान जैसे एरिया के रेजीडेंट्स को अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर कर दिया था। इन इलाकों में बारिश के बाद जलभराव से सीवर का गंदा पानी उफनने लगा था। इस गंदगी और दूषित जल के चपेट में आने से लोग मलेरिया, टाइफाइड, जांडिस और डायरिया जैसी वायरल डिजीज का शिकार हो गए थे। वहीं दूसरी तरफ शहर के पीलीभीत बाईपास व इज्जतनगर की कॉलोनीज के रेजीडेंट्स भी मानसूनी बीमारियों की गिरफ्त में आने से बच नहीं पाए थे।

इस साल भी नहीं कोई अरेंजमेंट

मानसून आने के साथ ही सिटी में रिमझिम के साथ बीमारियां बरसने को तैयार बैठी हैं, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं। मानसूनी आहट के साथ नालों की सिल्ट और सफाई का सिलसिला शुरू नहीं किया। शहर में जोर-शोर के साथ चला यह अभियान मुख्य इलाकों तक सिमटा रहा। इस बाबत हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। सैनिक नगर निवासी सचिन ने बताया कि मानसून के दौरान कॉलोनी के लोगों को जांडिस, मलेरिया और स्किन डिजीजेज की प्रॉब्लम होती हैं, लेकिन इससे बचाव के लिए इस साल भी जिम्मेदारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

डेवलपमेंट फीस लेकर भूल जाते हैं

सुरक्षा, सेहत समेत कई दावे करने वाली प्राइवेट कॉलोनीज का हाल भी इन दिनों बुरा हो जाता है। ज्यादातर कॉलोनीज में जल निकासी, सैनिटेशन और सड़कों पर जलभराव रोकने के इंतजमात नहीं हैं। निवासियों के मुताबिक इन कॉलोनीज में घर खरीदते समय डेवलपमेंट एनओसी फीस के नाम पर अच्छी खासी रकम वसूली जाती है, जिसमें मेनटेनेंस, सैनिटेशन, रोड़, सिक्योरिटी और सेफ्टी समेत कई बातों का जिक्र होता है, लेकिन असलियत इसके उलट है।

बीमारियों का मानसून

डॉक्टर्स भी मानते हैं कि मानसून में बीमारियां ज्यादा फैलती हैं, जिसके पीछे कई रीजन हैं। पहला गंदा पानी, शहर के लिए जलभराव की समस्या आम है। गड्ढों में भरे जल में मच्छर पैदा होने लगते हैं। ऐसे में मच्छर जनित रोग जैसे मलेरिया और डेंगू होने की संभावना करीब ब्0 परसेंट तक बढ़ जाती है। वहीं दूषित जल और खान पान की वजह से बच्चों में हेपेटाइटिस ए और बुजुर्गो में हेपेटाइटिस ई हो जाता है। दूसरा बारिश में भीगने की वजह से स्किन प्रॉब्लम्स होना। बैक्टिरियल इंफेक्शन, घमौरियां, रैशेज और मुंहासे जैसी दिक्कतें भी बूदों के साथ मुफ्त में मिल जाती हैं। साथ ही इस वेदर में बैक्टीरिया और वायरस ज्यादा पनपने से कंजेक्टिवाइटिस, पीलिया, टाइफाइड और पेट संबंधी बीमरियां भी हो जाती हैं।

मानसून में इन बातों का रखें ख्याल

डॉक्टर्स का भी मानना है कि इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जिम्मेदारों की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में लोगों को खुद से ही अवेयर रहने की जरूरत है।

- बुखार या सिरदर्द होने पर डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयों का सेवन ना करें।

- घर या ऑफिस के पास पानी जमा ना होने दें। जमा हुए पानी पर केरोसिन डाल दें।

= कूलर को सुखाकर रखें अथवा हफ्ते भर में पानी बदलते रहें।

- घर में पानी जमा ना हो इसके लिए टूटे फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन ना रखें।

- कंजेक्टिवाइटिस में आंखों को मलने के बजाय पानी से धो लें।

- सूखे हुए साफ तौलिया और रुमाल का इस्तेमाल करें।

- टंकी के बजाय हैंडपंप का पानी पिएं या पानी उबालकर पिएं।

- खुले हल्के कपड़े पहनें, रंग छोडने वाले कपड़े पहनने से बचें।

- एंटी बैक्टिरियल सोप का प्रयोग करें।

- बॉडी को सूखा और फ्रेश रखने का प्रयास करें, बार बार भीगने से बचें।

- पैर व हाथ की अंगुलियों में मॉश्चुराइजर जरूर लगाएं।

मानसून गर्मी से राहत और बीमारियों की आफत का सीजन होता है। लास्ट ईयर सिटी के कई इलाकों में जांडिस और डायरिया का प्रकोप बढ़ गया था। ऐसे में सरकारी तंत्र के भरोसे रहने के बजाय जहां तक संभव हो खुद से अवेयर रहें।

-डॉ। राजीव गोयल, फिजिशियन

बॉडी की इम्यूनिटी पॉवर कम होने से बच्चे और बुजुर्ग मानसूनी बीमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। अभी बारिश होना शुरू हुई है, लेकिन पुराने शहर समेत अन्य इलाकों से डायरिया, कंजेक्टिवाइटिस और पीलिया के पेशेंट्स आना शुरू हो गए हैं।

-डॉ। अजय मोहन, फिजिशियन