बैंकों में जमा विदेशी पूंजी और निवेश के आधार पर दी जाने वाली रेटिंग के तहत 'मूडीज़’ ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को 'स्पेक्यूलेटिव' यानि अनुमान आधारित श्रेणी से हटाकर 'निवेश' श्रेणी में डाल दिया है।

क्रेडिट रेटिंग असल में एक मूल्यांकन है जो दर्शाती है कि उधार लेने वाले की माली हालत कैसी है और उनकी उधार लौटाने की क्षमता कितनी है। अच्छे मूल्यांकन का अर्थ है कम ब्याज पर आसानी से क़र्ज़। ख़राब मूल्यांकन का मतलब है ऊंची दरों पर मुश्किल से क़र्ज़। इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज़ और फ़िच।

विदेशी पूंजी निवेश में फ़ायेमंद

'मूडीज़' की क्रेडिट रेटिंग में इस बढ़ोत्तरी का फ़ायदा भारतीय बैंको में विदेशी पूंजी के निवेश को मिलेगा। बैंकों में जमा की जाने वाली राशि और सरकारी बॉड के आधार पर साल 2011 में 20 दिसंबर के बाद से अब तक 'मूडीज़’ की ओर से की गई ये लगातार चौथी बढ़ोत्तरी है।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक यह रेटिंग इस बात का सबूत है कि बैंकों के पास अल्पावधि में कर्ज़ आदि चुकाने की क्षमता है।

आर्थिक जानकारों के मुताबिक 'मूडीज़’ की ओर से भारत में जमा विदेशी पूंजी के आधार पर बढ़ाई गई रेटिंग भारत में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी। साथ ही भारतीय कंपनियां इस आधार पर विदेशों में अपने लिए निवेश अर्जित कर पाएंगी।

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