Lucknow: यह मूर्तियों की 'माया' है। यहां लकड़ी के बने हर बाक्स में एक आदमकद मूर्ति है। हर मूर्ति की कीमत लाखों में है। नजारा कुछ ऐसा कि कमजोर दिल का इंसान रात में देख ले तो डर सकता है। सड़ चुके लकडिय़ों के अलग-अलग बाक्स में ऐसी 11 मूर्तियां रखी हैं जो पिछले चार साल से संगीत नाटक एकेडमी की पार्किंग में पड़ी हुई हैं। इसमें से कई डैमेज हो चुकी हैं और कई में धूल और जालों में दबी हुई हैं।

 ये मूर्तियां हैं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर और महात्मा गौतम बुद्ध, और दूसरे तमाम दलित महापुरुषों की। मूर्तियों पर मकडिय़ों ने जाला बुन रखा है। महात्मा गौतम बुद्ध का तो बॉक्स भी गायब हो चुका है। बची है सिर्फ मूर्ति। उनकी मूर्ति जमीन पर एक नाले के पास पड़ी है। इस पर पड़ी त्रिपाल भी चार साल की बारिश में गल गयी है। यह सीन है संगीत नाटक एकेडमी के कैंपस का।

सूत्रों की मानें तो इन मूर्तियों को अम्बेडकर स्मारक के बाहर मरीन ड्राइव कहे जाने वाले रुट पर लगाया जाना था। यहां इन मूर्तियों के पचीस बूथ बनाये गये थे। इसमें तेरह में मूर्तियों को फिट कर दिया गया। लगभग एक दर्जन मूर्तियों की जगह खाली पड़ी है और संगीत नाटक एकेडमी में जो मूर्तियां रखी हैं उनकी संख्या भी एक दर्जन हैं।

मूर्तियों की हालत भी अब खराब हो चुकी है। पिछले चार सालों से या कह लें कि 2008 से ये मूर्तियां यहां पर धूल खा रही हैं। सूत्रों की मानें तो पार्कों में लगाने के लिए पिछली बसपा सरकार में निर्माण निगम ने इन मूर्तियों को बनवाया था।

महापुरुष भी हैं इनमें

सड़े हुए बाक्स पर से जब लकड़ी हटायी गयी तो पहली मूर्ति यूपी की एक्स चीफ मिनिस्टर मायावती की निकली। मायावती की मूर्ति की पहचान उनके लिबास से हुई। चेहरे के तरफ जब लकड़ी हटायी गयी तो वहां मकडिय़ों ने जाल बुन रखा था। अंदर गंदगी का अम्बार था। मायावती की मूर्ति के बगल में भारत के संविधान के निर्माता डॉ। भीमराव साहब अम्बेडकर की मूर्ति का बाक्स था।

मूर्ति में बाबा एक हाथ में भारतीय संविधान लिये हुए हैं लेकिन उनके गले में रस्सी बंधी थी। वहीं पर और भी महापुरुषों की मूर्तियां एक लाइन से नाले के किनारे रखी हुई थीं। इनमें संत रविदास, ज्योतिबाफूले, छत्रपति साहू जी महाराज जैसे दलित महापुरुषों की मूर्तियां भी हैं। यह मूर्तियां जहां लगनी थी वह जगह आज भी खाली पड़ी है।

किसी को नहीं पता इन मूर्तियों के बारे में

जब ताबूतनुमा बाक्स में रखी इन मूर्तियों के बारे में जानकारी चाही तो सबसे पहले मुलाकात हुई एसएनए के सिक्यूरिटी गार्ड से। गार्ड ने बताया की जब से वह नौकरी कर रहा है तब से यह मूर्तियां यहीं रखी हैं। किसने और कब यहां रखा इन मूर्तियों को तो गार्ड का जवाब था कि भैय्या आप ऊपर पता करो। संगीत नाटक एकेडमी के संरक्षक पी के श्रीवास्तव ने बताया कि इन मूर्तियों को निर्माण निगम के अधिकारियों ने यहां रखवाया है। मूर्तियां कहां लगनी थीं और यहां से कब हटायी जाएंगी इसका जवाब उनके पास नहीं था।

कहां है फाइल?

एसएनए के एक कर्मचारी ने बताया कि इन मूर्तियों की एक फाइल है और वो ढूंढने चला गया मगर दो ही मिनट गुजरे थे कि वो वापस आकर बोला कि फाइल नहीं मिल रही है शायद ऊपर साहब के पास हो। साहब का रुम लॉक था इसलिये उनसे बात नहीं हो पायी। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि इसी बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर जैन धर्म के लोग रहते हैं। आप उनसे मिलें शायद वो कुछ बता पाएं या फिर संस्कृति विभाग के ही एक अधिकारी मनोज कुमार सिंह से मिलें वो ही बता पाएंगे बाकी हमें कुछ नहीं पता। फिर जब तीसरी मंजिल पर पहुंच कर जैन धर्म के लोगों से बात की तो वह लोग साफ बोले कि कहां, कौन सी, कैसी मूर्तियां? उन्हें कुछ भी नहीं पता है।

इस बारे में जब शहर के कुछ मूर्तिकारों से बात की गयी तो पता चला कि यह सभी मूर्तियां संगमरमर के पत्थर से बनी हुई हैं। इसकी हर मूर्ति की लागत लाखों में है। राजधानी में पार्कों को बनाने में अथाह पैसे खर्च हुए। करोड़ों रुपये की मूर्तियां लगायी गयीं। कुछ मूर्तियां नहीं लगायी जा सकीं उनकी कीमत भी करोड़ों में है।

जिस जगह पर इन मूर्तियों के लिए खाली जगह दिखाई दे रही है, उस लेन में इन्हीं महापुरुषों, बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कांशीराम की मूर्तियां लगी हुई हैं। तो क्या उस लेन में हर महापुरुषों की दो-दो मूर्तियां लगनी थी या फिर यहां भी पैसों का सिर्फ वेस्ट किया गया है।

शुरु हुई जांच, सौ से ज्यादा हटाये गये

पार्को को बार-बार तोड़े जाने मूर्तियां बदलने और फिर दूना पैसा खर्च कर दोबारा बनवाये जाने की विभागीय जांच शुरु हो चुकी है। इस जांच में प्राइमरी लेवल पर ही लगभग सवा सौ इंजीनियर्स और आफिसर्स को हटाया जा चुका है। यह सभी वह इंजीनियर हैं जो मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रोजेक्ट मैनेजर, जनरल मैनेजर और मैनेजर की पोस्ट पर थे।

लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने कहा था कि पार्कों में हुई फिजूलखर्ची की जांच करायी जाएगी। मंत्री बनते ही उन्होंने जांच शुरु भी करायी और महीने भर के अंदर ही प्रारंभिक रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई भी शुरु कर दी। इन मूर्तियों के सामने आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इसकी जांच में एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।