-धन को देखकर जो ईष्र्या होती है, वह मनोरोग होता है

कत्था फैक्ट्री में चल रही रामकथा में मोरारी बापू ने थर्सडे को शक्ति मिशन के प्रयोग के लिए खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि सत्ता से कुछ लेना-देना नहीं है. अन्त: करण में अध्यात्म व विज्ञान के नये-नये लक्ष्य सिद्ध हुए. फल खाया जाता है और रस पिया जाता है. जमाने में ऐसे कई नादान होते हैं, जहां ले जाते हैं कश्ती वहां तूफान होते हैं. धर्म फल है धर्म का रस है सेवा. कई धर्म कच्चे हैं, जो अभी पालने में झूल रहे हैं. प्यास पीठ चाहती है जो कथा सुनें, उसे आत्मा में जरूर उतारें. कथा भूल भी जायें तो सेवा में अपने आप को लगा दें. पूजा करो अच्छी बात है पर ठाकुर सेवा पूजा से बड़ी है.

10 फीसदी कमाई सेवा में लगाएं

हमारे पास पैसे हैं प्रेम नहीं. प्रत्येक व्यक्ति अपनी कमाई से 10 प्रतिशत ईमानदारी से सेवा में लगाए, पैसे को बन्दी न बनाये. व्यास पीठ का टिकट ले लो तो परलोक पहुंचा है. लोकसभा का कार्यकाल सिर्फ 5 साल ही रहता है. अपने परिवार में कोई दुखी है तो 10 प्रतिशत निकाल कर जरुर सेवा करें.

मनोरोग का होता असर

दूसरों की बहुत ईष्र्या करने से रोग बढ़ता है. ईष्र्या अच्छी चीज नही है. दूसरों के धन को देखकर जो ईष्र्या होती है वह मनोरोग होता है. मनोरोग का शरीर पर असर होता है. दुर्योधन ने सब ईष्र्या के कारण किया. द्रोपदी ने कहा, मुझसे अपराध हो गया. मैने अंधे का बेटा अंधा कह दिया तो पूरी महाभारत हो गई.

जो कहा जाए सत्य नहीं

शिव की जो व्यास पीठ है, वह ही सच्ची व्यास पीठ है. शिव की पंचमुखी पीठ है. सत्य कहा नहीं जा सकता जो कहा जाये वह सत्य नहीं हो सकता. सत्य सिफर् हरि भजन बाकि जगत सब सपना. साधु कहते हैं, राम का चरित्र भी संभाल कर बोलना चाहिए, कही दाग न लग जाए. इसी प्रकार अपने चरित्र का भी ख्याल रखना चाहिए, प्रवचन से कुछ नहीं मिलता.