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क्कन्ञ्जहृन् : स्त्री-पुरुष संबंधों के विविध आयाम हैं। इसे देखने का नजरिया अलग- अलग है जिसे समय के साथ नया विस्तार मिल रहा है। हालांकि समाज में खुलापन आया है। समाज इसे स्वीकार कर रहा है। लेकिन स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं है। ये बातें एएन कॉलेज पटना में ' 'स्त्री -पुरुष संबंधों के आयामों' पर परिसंवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित प्रशिद्ध कथा लेखिका एवं साहित्यकार ममता कालिया ने कही। उन्होंने कहा कि दैहिक आवश्यकता भी है। सच है। लेकिन संबंधों के अनेक रूप हो सकते हैं। परिसंवाद का शुभारंभ पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के वीवी प्रो। गुलाब चंद राम जायसवाल, प्रिंसिपल डॉ एसपी साही, उषा किरण खान ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

बदल रहा नैतिकता का स्वरूप

ममता कालिया ने आगे कहा कि आज प्रेम का प्रतिमान घिसा-पिटा नजर आता है। इसमें वह 'स्त्री व्याख्या' नहीं, जिसके बारे में चर्चा हुआ करती थी। नैतिकता का स्वरुप बदल रहा है। अब बड़ी बातें नहीं होती है। इसका कारण युवाओं का अब पहले से अधिक मुखर स्वभाव का होना है। प्रेम का अर्थ सिर्फ स्त्री- पुरुष संबंधों तक नहीं, बल्कि इसके मौलिक एवं विस्तार के बारे में है।

युवाओं को मिली प्रेरणा

कार्यक्रम के दौरान डॉ एसपी शाही ने कहा कि यह एक बड़ा ही सारगर्भित और गंभीर विमर्श वाला रहा। ऐसे आयोजन युवाओं को साहित्य, कथा के साथ -साथ समसामयिक स्वरूप में नई प्रेरणा का भी संचार करता है। मंच संचालन हिंदी विभाग के डॉ कलानाथ मिश्रा ने किया। पद्मश्री उषा किरण खान, आलोक धन्वा और किरण घई मौजूद थीं।