हुला शहर से प्राप्त एक अपुष्ट वीडियो फुटेज में मृत्कों में बच्चों की लाशें दिखाई गई हैं। सरकारी विरोधी कार्यकर्ताओं ने इसे 'जनसंहार' की संज्ञा देते हुए कहा है कि शहर पर की गई गोलाबारी में लोग बड़ी संख्या में घायल हुए हैं।

उन्होंने इसे 'कत्लेआम' करार देते हुए राष्ट्रीय शोक दिवस का आह्वान किया है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र से अपील की गई है कि वो नागरिकों की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों को तेज करे। क्षेत्र में मौजूद एक बीबीसी संवाददाता जिम मोयर का कहना है कि अगर मौतों की खबर पुष्ट होती है तो छह हफ्ते पहले लागू हुए युद्धविराम के बाद से ये सबसे बड़ी हिंसक घटना होगी। संवाददाता का कहना है कि 'सुलह अब एक कहानी' से अधिक कुछ नहीं।

'हथियार मुहैया न कराएँ'

इस बीच संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष बान की मून ने कहा है कि 'कुछ शहरों के बड़े हिस्से' पर विरोधी कार्यकर्ताओं का कब्जा है। सुरक्षा परिषद को भेजी गई एक चिट्ठी में बान की मून ने स्थिति को गंभीर बताया है और सदस्य देशों से अपील की है कि वो किसी भी पक्ष को हथियार मुहैया न करवाएं।

कार्यकर्ताओं के मुताबिक शुक्रवार की नमाज के बाद जब दूसरे स्थानों पर हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए तो उन पर भी हमले किए गए जिसमें 20 अन्य लोगों की मौत हो गई है। हुला से कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकारी समर्थित लड़ाकों ने कुछ लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी, जबकि कुछ गोलाबारी में मारे गए और कुछ को सीधे गोली मार दी गई।

बेरूत में बीबीसी संवाददाता जिम मोयर ने कहा है कि कार्यकर्ताओं द्वारा इंटरनेट पर जारी वीडियो में बच्चों की खून से लथपथ कुचली हुई लाशें दिखाई गई हैं जबकि पीछे से आ रही आवाज में कहा जा रहा है कि शवों की तादाद इतनी ज्यादा है कि उनकी गिनती कर पानी मुश्किल है।

कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सुरक्षा बलों ने पूरे के पूरे परिवारों को शहर की सीमा पर ले जाकर कत्ल कर दिया। उनका कहना है कि एक मामले में एक परिवार को छह लोग मारे गए जबकि उनके घर पर गोलाबारी की गई।

'आतंकवादी गुट का हाथ'

सीरिया में अंतरराष्ट्रीय मिडिया के रिपोर्टिंग करने पर पाबंदी है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र-अरब लीग के शांति दूत कोफी अन्नान के एक प्रवक्ता ने कहा था कि वो दमिश्क जाने वाले हैं। हालांकि प्रवक्ता ने इसकी कोई तारीख बताने से इंकार कर दिया।

सुरक्षा परिषद को भेजे गए खत में बान की मून ने ये भी कहा है कि हमला जिस कुशलता से किया गया है उससे लगता है कि सीरिया में हाल में हुए हमलों में आतंकवादी गुटों का हाथ हो सकता है। पिछले माह दमिश्क में हुए एक बम हमले में 55 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने इसमें अल-कायदा का हाथ बताया था।

हाल में शंका जताई जा रही है कि चरमपंथी गुट सीरिया में जारी उथल-पथल का फायदा उठाने की कोशिश कर वहां पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक समीति ने गुरूवार को कहा कि देश में जारी हिंसा के लिए सरकारी सुरक्षाबल अधिक जिम्मेदार है और वो संयुक्त राष्ट्र पर्यवेज्ञकों की उपस्थिति के बावजूद भी जारी है।

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